हद से ज्यादा प्यार - ZorbaBooks

हद से ज्यादा प्यार

यूपी के शहर इलाहाबाद के पास एक बहुत सुंदर गांव था। यह गांव आम की फसल के लिए मशहूर था। इस गांव के प्रधान सरवन कुमार एक सज्जन पुरुष थे। उनके गांव के लोग और आसपास के गांव के लोग उनका बहुत मान सम्मान करते थे। और उनकी सलाह और हुकुम को मानते थे। सब उन्हें प्यार से बड़े बाबू कहते थे।

आसपास के इलाके में बड़े बाबू का हुकुम चलता था, लेकिन घर में उनके ऊपर उनकी विधवा मां का हुकुम चलता था। उनकी विधवा मां बहुत समझदार सुलझी हुई और गुणवान महिला थी।

बड़े बाबू की पत्नी घरेलू सीधी-सादी अनपढ़ महिला थी। उनके ऊपर परिवार के सभी सदस्यों का हुकुम चलता था।

जगह-जगह धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना करने के बाद उनके घर एक पुत्री का जन्म हुआ था। जिसका नाम उन्होंने ज्योति रखा था। ज्योति इकलौती पुत्री थी। इसलिए ज्यादा लाड प्यार की वजह से वह जिद्दी हो गई थी।

ज्योति की दादी को वैसे तो सभी जानवरों से प्यार था लेकिन उन्हें कुत्ते पसंद नहीं थे। एक दिन ज्योति बहुत ही सुंदर से कुत्ते के पिल्ले को पालने के लिए अपनी हवेली में ले आती है। और अपनी दादी के मना करने के बावजूद उसको पालने की जिद पर अड़ जाती है।

अपनी मां और बेटी को खुश करने के लिए बड़े बाबू पिल्ले को अपने आम के बाग में पालने की ज्योति को इजाजत दे देते हैं। और सबसे कहते हैं कि ज्योति किसी भी समय जाकर पिल्ले की देखभाल कर सकती है। उनके इस फैसले से उनकी मां बेटी दोनों प्रसन्न हो जाती है।

ज्योति उस पिल्ले नाम बहादुर रखी है। एक दो बरस के अंदर ही बहादुर जवान होकर शेर चीते जैसा दिखने लगता है। वह हट्टा कट्टा शक्तिशाली निडर तो था ही साथ में वह बहुत चतुर और बुद्धिमान भी था।

गांव के सब लोग उसे बहुत प्यार करते थे क्योंकि उसके कारण गांव में चोरों का आना बंद हो गया था। और जंगली खूंखार जानवर भी गांव में घुसने से डरते थे। बहादुर इतना ताकतवर इसलिए भी था, क्योंकि ज्योति के साथ साथ गांव के लोग भी उसे देसी घी दूध आदि खाने की चीजें देते रहते थे। ज्योति भी बहादुर का पूरा ख्याल रखती थी, और उसको रोज ताकतवर खाना खिलाती थी। इसके अलावा बहादुर शिकारी कुत्ता भी था, वह शिकार खेल कर भी अपना पेट भर लेता था।

बहादुर गांव के लोगों के साथ उनकी गाय भैंस भेड़ बकरियां चराने जंगल जाता था, और जब तक गाय भैंस भेड़ बकरियां चुगती रहती थी, वह नदी में नहा कर जंगल में इधर-उधर दौड़ भाग करके जंगली जानवरों का शिकार करने की कोशिश करता रहता था।

और गांव वालों के साथ शाम को उनके सारे पालतू जानवरों को इकट्ठा करके गांव में वापस लाता था। फिर चौपाल पर गांव के बच्चों बड़े बूढ़ों और ज्योति के साथ बैठकर टीवी देखता था। टीवी के अंदर किसी जंगली जानवर या अन्य कोई दृश्य आता था, जो उसे पसंद नहीं आता था तो वह तेज तेज भोंकता था। सिर्फ वह ज्योति के कहने से ही चुप होता था।

ज्योति जितना हद से ज्यादा प्यार बहादुर से करती थी, उतना ही हद से ज्यादा प्यार बहादुर ज्योति से करता था। उसके सामने हंसी मजाक में भी कोई ज्योति से छेड़खानी नहीं कर सकता था।

एक दिन बड़े बाबू के आम के बाग में चार-पांच चोर छोटा टेंपो लेकर आम की चोरी करने घुस आते हैं। बहादुर उनकी हरकतों से उन्हें पहचान लेता है कि यह चोर हैं। और उन पर हमला कर देता है। बहादुर ताकतवर होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी था, इसलिए सबसे पहले वह टेंपो के ड्राइवर को चीर फाड़ देता है। फिर बाकी चोरों को धराशाई कर देता है। इतने में शोर-शराबा सुनकर बड़े बाबू और गांव के लोग आकर चोरों को दबोच लेते हैं।

पुलिस से उनके गांव के लोगों और आसपास के गांव के लोगों को पता चलता है कि उन चोरों के सर पर पुलिस ने इनाम रख रखा था। पुलिस जनता की सिफारिश पर सरकार खुश होकर बहादुर को पुरस्कार देती है। और उसे साहब बहादुर की उपाधि भी देती है।

बड़े बाबू की मां बहादुर की बहादुरी से खुश होकर साहब बहादुर को हवेली में रहने की इजाजत दे देती है।

उस दिन ज्योति पूरे गांव में लड्डू बांट बांट कर सबको अपने साहब बहादुर के बचपन से लेकर चोरों को पकड़ने तक के बहादुरी के किस्से सुनाती है। ज्योति को अब 24 घंटे साहब बहादुर को अपने साथ रखने की इजाजत मिल जाती है।

वह किसी भी शादी समारोह में शामिल होती थी तो साहब बहादुर को अपने साथ लेकर जाती थी। साफ बहादुर भी बैंड बाजे पर खूब ठुमक ठुमक कर ठुमके मार-मर कर नाचता था और शादी के स्वादिष्ट खाने का आनंद लेता था।

ज्योति का बहुत बड़े और खानदानी परिवार से शादी का रिश्ता आता है। इसलिए बड़े बाबू उनकी मां ज्योति का बड़ी धूमधाम से विवाह कर देते हैं।

ज्योति की शादी के बाद साहब बहादुर की तो ज्योति के बिना शरीर की शक्ति ही खत्म हो जाती है। उधर ज्योति भी अपने ससुराल में साहब बहादुर को याद कर करके दुखी रहती थी। इसलिए ज्योति के पति और सास के कहने पर बड़े बाबू बहुत से उपहार मिठाइयों के साथ साहब बहादुर को ज्योति की ससुराल भेज देते हैं।इतने दिनों बाद एक दूसरे से मिलकर ज्योति और साहब बहादुर खुशी से पागल हो जाते हैं।

उन्हीं दिनों में ज्योति के पति की नौकरी बड़े शहर में लग जाती है। शहर में बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर ज्योति का पति किराए पर मकान ले लेता है। इस बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर ज्योति और साहब बहादुर को अपने गांव के आम के बाग नदी जंगल माता पिता दादी गांव के यार दोस्तों गांव के लोगों की बहुत याद आती थी।

एक दिन ज्योति साहब बहादुर के साथ पार्क में घूमने जाती है। फिर वह रोज पार्क जाने लगती है। पार्क में एक दिन शाम को कुछ आवारा कुत्ते और पालतू कुत्ते साहब बहादुर पर बहुत भोंकते हैं। साहब बहादुर भी उनको घायल कर देता है।

पालतू कुत्तों के मालिक साहब बहादुर की शिकायत ज्योति के पति से करते हैं। ज्योति का पति साहब बहादुर और ज्योति के बेइंतेहा प्रेम से पहले ही दुखी था। साहब बहादुर की शिकायत सुनने के बाद उसके मन में साहब बहादुर के लिए नफरत और बढ़ जाती है।

ज्योति का पति जब भी शादी विवाह बाजार आदि कहीं भी ज्योति के साथ घूमने फिरने जाता था, तो साहब बहादुर को एक कमरे में बंद करके जाता था। साहब बहादुर एक साधारण कुत्ता नहीं था वह शेर चीते जैसा था और उसकी आवाज भी शेर चीते जैसी ही थी। जब वह अकेले घर में दहाड़ता था, तो पड़ोसियों को उसकी भारी आवाज से परेशानी होती थी।

साहब बहादुर की रोज-रोज की शिकायत और ज्योति और साहब बहादुर के बीच हद से ज्यादा प्यार देखकर ज्योति का पति ज्योति को बिना बताए साहब बहादुर को खाने में हद से ज्यादा नींद की गोलियां देना शुरू कर देता है। और लगातार ज्यादा नींद की गोलियां खाने की वजह से साहब बहादुर का दिमाग कमजोर होने लगता है। और वह एक दिन पूरी तरह पागल हो जाता है। ज्योति का पति पागल साहब बहादुर को घर से भगा देता है।

ज्योति साहब बहादुर की ऐसी हालत का जिम्मेदार अपनों को मानती है‌। और वह उदास बीमार रहने लगती है।

एक दिन ज्योति पार्क में अकेले बैठी हुई थी, तो उसी समय कुछ महिलाएं बच्चे आकर ज्योति को बताते हैं कि पागल साहब बहादुर ने एक फौजी की पत्नी को काट लिया था, इसलिए उस फौजी ने पागल साहब बहादुर को गोली से मार दिया है। इतने में दूसरा बच्चा कहता है कि “साहब बहादुर इतना हटा कटा ताकतवर था कि एक गोली से वह जब मर नहीं रहा था, तो फौजी ने छह गोलियां साहब बहादुर को मारी तब जाकर सा बहादुर का दम निकला।”

पागल साहब बहादुर की मौत की खबर सुनते ही ज्योति के दिल की धड़कन तेज हो जाती है, और वह चक्कर खाकर जमीन पर गिर जाती है। और कुछ क्षणों में उसकी भी मौत हो जाती है।

ज्योति और साहब बहादुर की मौत की खबर सुनकर ज्योति के पति को बहुत दुख और अफसोस होता है। और वह अपने मन में सोचता है कि इन दोनों का प्यार हद से ज्यादा था या नहीं लेकिन मेरी नफरत जरूर साहब बहादुर के लिए हद से ज्यादा थी।

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Rakesh
Delhi