मंजिल
राहें तो हजार हैं यहां..
पर मंजिल से हम वाकिफ कहा…
बस आसमां आौर ज़मीन के बीच
चलते हमारे ये पांव हैं…
जिंदगी तो जी रहे हैं हम….
पर आज भी साथ अंनदिखे..
वों घुटन और बंदगी के घांव हैं ।2।
राहें तो हजार हैं यहां..
पर मंजिल से हम वाकिफ कहा…
बस आसमां आौर ज़मीन के बीच
चलते हमारे ये पांव हैं…
जिंदगी तो जी रहे हैं हम….
पर आज भी साथ अंनदिखे..
वों घुटन और बंदगी के घांव हैं ।2।