सालोंसे कैद वो घुंगरू।
सलोंस कैद उन घुंघरुओं ने आज….
मानो मुझे मुझसे ही मिलाया हो…..
उनके मधुर नशिल आवाज ने …
मानो हर ताल-त्रिताल याद दिलाया हो.. ..
आज ना वो समय की पाबंदी थी
और ना ही कोई रोक…..
जैसे पैरोने दिल से कोई डोर बांध….
हर सूख दुःख को भुलाया हो…।।2।।