सालोंसे कैद वो घुंगरू। - ZorbaBooks

सालोंसे कैद वो घुंगरू।

 

सलोंस कैद उन घुंघरुओं ने आज….
 मानो मुझे मुझसे ही मिलाया हो…..
उनके मधुर नशिल आवाज ने …
मानो हर ताल-त्रिताल याद दिलाया हो.. ..
आज ना वो समय की पाबंदी थी
और ना ही कोई रोक…..
जैसे पैरोने दिल से कोई डोर बांध….
 हर सूख दुःख को भुलाया हो…।।2।।

 

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Shravani Prakash Lingade