वक्त - ZorbaBooks

वक्त

काश! समझ आया होता वक्त मुझे वक्त रहते,

गुजार दी जिंदगी मैंने यूं ही वक्त के इंतजार में।

आज वक्त लौट आया मेरा, पर अपनों से जुदा करने,

बेवक्त ही इस दुनिया से अलविदा कहने।

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Sristi Mishra
Bihar