आदत
खता करना तो आदत सी हो गई है,,
क्योंकि वफ़ा तो हमसे होती नहीं,,
क्या करें कमबख्त नसीब ही ऐसा है,,
कभी भी वक्त पे साथ होती ही नहीं,,
खता करना तो आदत सी हो गई है,,
क्योंकि वफ़ा तो हमसे होती नहीं,,
क्या करें कमबख्त नसीब ही ऐसा है,,
कभी भी वक्त पे साथ होती ही नहीं,,