एहसास - ZorbaBooks

एहसास

तेरी नजदीकियों की आदत पड़ती जा रही थी मुझे,,,

और तुम्हें भी बहुत अच्छे से जनता हूं मैं,,,

इसलिए तुमसे ख़ुद दूरी बना ली मैंने,,,

तुम्हें मुझे ख़ुद से दूर करने के लिए मजबूर करके,,,

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Sudhanshu Pratap