धीरे धीरे - ZorbaBooks

धीरे धीरे

दूरी भड़ रही है धीरे  धीरे ।

तुम्हारी कमी होने की आदत  भी हो रही है धीरे धीरे,

तुम्हारे आकर , चले जाने से क्या क्या हो रहा है, मेरी हालत बिगड़ रही है धीरे धीरे,

कैसे हुआ सब तुम्हरे आने से जाने तक, मै अब होश नहीं संभाल पा रहा ,
मेरी धड़कने रुक रही है धीरे धीरे

इसके उसके  तुम्हरे सबके  वादे बदलते जा  रहे है, उम्मीद खत्म हो रही है  धीरे धीरे,

सपने टूटते जा रहे है ,
सुबह हो रही है धीरे धीरे। 

Comments are closed.

Sumit bharti