नजरबन्द आँखें - ZorbaBooks

नजरबन्द आँखें

 🦋🌺🦋

हे खेल नजरबन्द आँखों का

हे जो नजरों के सामने

दिखता हे लाजवाब आज भी।

हे जो छुपे राज दिल में 

वो दिखते नही खुली आँखों से आज भी।

हे सब कुछ नजरों के सामने ही मगर

जो दिखते नही साफ, खुली नजरों से आज भी।

🦋🌺🌸🌸🌼🌼🌺🌺🌸🌸🌼🌼🦋

हे पैमाना पुराना

दिखता हे नया आज भी।

हे जो शराब उसमें

हे उसमें नशा बरकरार उतना ही आज भी।

☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️

जो राज होते नही बया आँखों से

होते हे वो राज दरकिनार आज भी।

हे सच्चाई होठों पे तेरे भले ही

मन में छिपे जो राज हे 

वो उजागर होते हे आज भी।

🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋

हे तु भले ही कैसा भी

हे तु ऐसा ही मुझको स्वीकार आज भी।

भले ही चालाक बनताा हो तु कितना ही

हे तु दिल का मासूम उतना ही आज भी।

🌺🌺🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌺🌺

🦋🥀स्वामी गंगानिया🌹🦋

Leave a Reply