Unbelievable relations and a perfect plan - ZorbaBooks

Unbelievable relations and a perfect plan

Chapter -1:- दो अजनबियों की शादी 

श्रीकृष्णनगर नाम एक शहर में ज्यादातर बहुत ही अमीर लोग रहते थे। उसी शहर में सम्पर्क नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही अमीर था।वह उस शहर में एक बड़े से बंगले में अकेला ही रहता था। क्योंकि उनके माता-पिता कुछ साल पहले एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे। कुछ साल पहले तक उसके पिता के पास एक छोटा सा बिजनेस ही था। अपने पिता के एक्सीडेंट के बाद संपर्क ने अपने पिता के उस छोटे से बिजनेस को अपनी मेहनत से कुछ ही सालों में बहुत ही बड़ा बना दिया। जिसकी वजह से अब सम्पर्क बहुत ही अमीर हो गया। अब कुछ ही समय में सम्पर्क उस शहर का सबसे अमीर लड़का बन गया।इस समय उसकी उम्र केवल 26 साल ही थी।अब सम्पर्क के पास सब कुछ था। सम्पर्क ने अब उस शहर में अपना एक बहुत बड़ा आफिस बना लिया था। ज्यादातर लोग सम्पर्क की तरह ही बनना चाहते थे। लेकिन कामयाबी के साथ अभिमान भी आ जाता है। इसलिए अब सम्पर्क को भी अभिमान आ गया था, अब सम्पर्क अपने आगे किसी को अहमियत नहीं देता था। वो यही सोचता था कि वो रुपयों से कुछ भी पाया जा सकता है। सम्पर्क सांत्वना नाम की एक अमीर लड़की को पसंद करता था और जल्दी ही सांत्वना से शादी करने वाला था। सांत्वना बहुत ही सुन्दर और माॅडर्न लड़की थी। लेकिन वो भी स्वभाव से बहुत ही घमंडी लड़की थी। सांत्वना केवल सम्पर्क से शादी करने के लिए ही इस शहर में अकेले रह रही थी जबकि उसके माता-पिता सिंगापुर में रह रहे थे। सांत्वना भी सम्पर्क से शादी करने के बाद, सम्पर्क के साथ हमेशा के लिए अपने माता-पिता के पास सिंगापुर चली जाना चाहती थी। और सम्पर्क भी शादी होने के बाद सांत्वना के साथ ही सिंगापुर में बस जाना चाहता था। 

श्रीकृष्णनगर में सम्पर्क के आफिस में ही शिप्रा नाम की एक गरीब और सीधी-सादी लड़की काम करती थी।‌ शिप्रा श्रीकृष्णनगर के पास ही किशनगढ़ नाम के एक छोटे से गांव में रहती थी। शिप्रा के पिता बचपन में ही गुजर गए थे इसलिए वह उस गांव के एक छोटे से घर में अपनी मां ‘ शान्ती जी ’ के साथ अकेले ही रहती थी। शिप्रा देखने में तो बहुत सुंदर थी, लेकिन वो स्वभाव से भी अच्छी थी। शिप्रा आफिस में काम करने के अलावा, अपनी मां का भी बहुत ख्याल रखती थी। शिप्रा मन ही मन सम्पर्क को पसंद करती थी। वह हर रोज किशनगढ़ से श्रीकृष्णनगर सम्पर्क के आफिस में काम करने के लिए आया-जाया करती थी। वो घर जाकर अपनी मां से हमेशा सम्पर्क की बातें ही किया करती थी।ये बात शिप्रा की मां अच्छी तरह से समझ गई थी कि शिप्रा सम्पर्क को बहुत पसंद करती है। लेकिन वहीं सम्पर्क ये तक नहीं जानता था कि शिप्रा नाम की कोई लड़की, उसके आफिस में काम भी करती है। उसने शिप्रा पर कभी ध्यान तक नहीं दिया था, लेकिन शिप्रा सम्पर्क को रोज ही चुपके-चुपके से देखा करती थी। इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं।

एक दिन सम्पर्क आफिस के सभी लोगों को बात करने के लिए बुलाता है। तभी थोड़ी देर बाद सम्पर्क आफिस के सभी लोगों के सामने आता है।

 उसके बाद सम्पर्क कहता है -“ कल सुबह 9 बजे मैं सात्वना से शादी करने वाला हूं और शादी के बाद मैं सात्वना के साथ हमेशा के लिए इस शहर को छोड़कर सिंगापुर जाने वाला हूं। लेकिन आप लोगों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि मैं आप लोगों के लिए किसी दूसरी पर बात करके जाऊंगा। इसलिए आप सभी लोगों को कल सुबह 9 बजे मेरी शादी में शामिल होने के लिए मेरे बंगले पर आना होगा। ”

ये कहकर सम्पर्क वहां से चला जाता है। उसके बाद आफिस के सभी लोग अपने-अपने घर चले जाते हैं।

शिप्रा अपने घर आने के बाद अपनी मां से कहती है -“ मां, कल सुबह मैं आफिस जाने की जगह सम्पर्क सर के बंगले पर जाऊंगी। इसलिए मां मैं सोने जा रही हूं।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है -“ लेकिन क्यों, शिप्रा।”

 उसके बाद शिप्रा कहती है -“ कोई बात नहीं मां। कल सुबह 9 बजे सम्पर्क सर सांत्वना मैम से शादी करने वाले हैं। इसलिए उन्होंने आफिस के सभी लोगों को कल सुबह 9 बजे अपनी शादी में शामिल होने के लिए अपने बंगले पर बुलाया है।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है- “ शिप्रा, इस बात से तुम तो बहुत दुखी होगी।”

 उसके बाद शिप्रा कहती है -“ मां, मेरे दुखी होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है। मां तुम मेरे बारे में सोचकर बेकार में ही परेशान हो रही हो। सम्पर्क सर के लायक तो केवल सांत्वना मैम ही हैं। सांत्वना मैम बहुत ही अमीर और माडर्न हैं। और शादी के बाद तो सम्पर्क सर उनके साथ हमेशा के लिए विदेश में रहने वाले हैं। सांत्वना मैम के सामने मैं तो कुछ भी नहीं हूं। और सम्पर्क सर मेरे बारे में ये तक नहीं जानते कि मैं उनके आफिस में ही काम करती हूं। मां ये सब बातें छोड़ो। मुझे कल सुबह जल्दी उठकर सम्पर्क सर के बंगले पर जाना है इसलिए मैं सोने जा रही हूं।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है -“ ठीक है जाओ।”

 उसके बाद शिप्रा सोने चली जाती है।

अगले दिन सुबह शिप्रा सम्पर्क के बंगले पर जाने के लिए निकल जाती है। कुछ ही देर बाद शिप्रा सम्पर्क के बंगले पर पहुंच जाती है। तभी शिप्रा देखती है कि आफिस के सभी लोग वहां पर पहुंच चुके हैं। वहां पहुंचकर शिप्रा सम्पर्क का बंगला काफी गौर से देख रही होती है। सम्पर्क का बंगला बहुत ही बड़ा था। शिप्रा ने इतना बड़ा बंगला पहले कभी नहीं देखा था।

अब 9 बजने ही वाले थे। सम्पर्क और सांत्वना शादी के लिए एकदम तैयार थे। तभी सम्पर्क के मोबाइल पर एक काॅल आती है। वो एकदम हैरान हो जाता है। 

 सम्पर्क कहता है-“ क्या??? ऐसा कैसे हो सकता है ?”

 तभी सांत्वना कहती है-“ सम्पर्क क्या नहीं हो सकता है ?”

 सम्पर्क कहता है-“ सांत्वना, दरअसल मैंने एक बहुत बड़ी डील पर अपना सब कुछ लगा दिया था। क्योंकि शादी के बाद मैं तुम्हारे साथ सिंगापुर जाने वाला था। और अगर ये डील अच्छे से पूरी हो जाती, तो मुझे बहुत ज्यादा फायदा होता। वो डील कभी फ़ैल नहीं हो सकती थी, लेकिन पता नहीं कैसे वो डील फैल हो गई। इस डील के फैल हो जाने की बजह से अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। कुछ ही दिनों में मेरा सब कुछ नीलाम हो जायेगा। यहां तक कि मेरा बंगला भी नीलाम हो जाएगा। 

 भले ही मेरे साथ बहुत बुरा हुआ हो। लेकिन एक बात मेरे साथ बहुत अच्छी हुई है कि तुम मेरे साथ हो और आज तुम्हारे साथ मेरी शादी होने वाली है।”

तभी 9 बजे जाते हैं,

उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ अब 9 भी बज गए ।चलो सात्वना, अब हम दोनों शादी कर लेते हैं।”

 तभी सात्वना कहती है -“साॅरी, सम्पर्क अब मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है -“, ये तुम क्या कह रही हो, सात्वना मजाक बन्द करो और अब चलो।”

 तभी सात्वना कहती हैं-“ सम्पर्क, मैं कोई मजाक नहीं कर रही हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क दुखी होकर के कहता है-“ सात्वना ऐसी क्या बात हो गई, जो तुम ये सब बोल रही हो।”

 तभी सात्वना रुखी आवाज में कहती है-“ ठीक है तो सुनो। जब तुम्हारे माता-पिता गुजर गए थे। तो मेरे पापा ने तुमसे शादी करने से मना कर दिया था। उसके बाद भी मैंने तुम्हारी मेहनत की बजह से, अपने पापा को तुमसे शादी करने के लिए मना लिया था। और केवल तुमसे शादी करने के लिए ही, मैं अपने पापा से दूर इस शहर में अकेली रह रही थी। लेकिन आज तुम्हारे पास कुछ भी नहीं बचा है।अब अगर मैं तुमसे शादी करती भी हूं, तो मेरे मम्मी पापा यही सोचेंगे कि उनकी बेटी एक भिखारी लड़के से शादी करने के लिए इस शहर में अकेली रुकी थी। और जो भी उस लड़के के बारे में उनकी बेटी ने उन्हें बताया था वो सब कुछ झूठ था। मैं नहीं चाहती कि वो ऐसा कुछ भी सोचें। और मैं अब तुम्हारे साथ गरीबी में रह भी नहीं सकती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ सांत्वना तुम्हें अपने मम्मी-पापा से झूठ बोलने की कोई जरूरत नहीं है। मैं फिर से बहुत सारे रूपए कमाऊंगा, लेकिन तुम मुझे छोड़कर मत जाओ।”

 तभी सांत्वना कहता है-“ सम्पर्क सच तो ये है कि अब मैं तुमसे शादी करना ही नहीं चाहती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क दुखी होकर के कहता है-“ सांत्वना, ये तुम क्या कह रही हो । क्या अब तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो। ”

 तभी सात्वना रुखी आवाज में कहती है-“ सम्पर्क, ये प्यार-मोहब्बत सब फालतू की बातें हैं। मैं हमेशा से एक बहुत ही अमीर लड़के से शादी करना चाहती थी, जो मेरी सारी ख्वाहिशें पूरी कर सके, लेकिन अब तुम तो अमीर रहे नहीं। ये सब जानते हुए भी अब तुमसे शादी करना, मेरी सबसे बड़ी बेबकूफी होगी। अब तुमसे मेरी जैसी लड़की तो क्या कोई भी लड़की शादी नहीं करना चाहेगी।”

तभी शिप्रा सात्वना के पास आती है।

 उसके बाद शिप्रा कहती है-“ सांत्वना मैम, मैं सम्पर्क सर से शादी करना चाहती हूं।”

 तभी सांत्वना कहती है-“ कौन हो तुम??? और ये तुम क्या कह रही हो। क्या तुमने ठीक से सुना नहीं कि तुम्हारे सम्पर्क सर के पास अब कुछ भी नहीं बचा है।”

उसके बाद शिप्रा कहती है-“ सांत्वना मैम, मैंने सब कुछ ठीक से सुना भी है, और मैं सम्पर्क सर को बहुत अच्छी तरह से जानती भी हूं, इसलिए मैं सम्पर्क सर से शादी करना चाहती हूं।”

 तभी सात्वना शिप्रा से कहती है-“ अब तो सम्पर्क के पास कुछ भी नहीं बचा है तो तुम उससे क्यों शादी करना चाहती हो??”

उसके बाद शिप्रा कहती हैं-“ सांत्वना मैम, क्योंकि मैं सम्पर्क सर से बहुत प्यार करती हूं और आपकी तरह उनके रूपयों से प्यार नहीं करती हूं।”

 तभी सात्वना कहती है-“ ये प्यार-मोहब्बत सब फालतू की बातें हैं। अब सम्पर्क तुम्हारी कोई भी ख्वाहिश पूरी नहीं कर पायेगा।”

उसके बाद शिप्रा कहती है-“ सांत्वना मैम, पहले मैं समझती थी कि आप ही सम्पर्क सर के सबसे लायक हैं। लेकिन मैं गलत सोचती थी। आपका लगाव तो सम्पर्क सर के रूपयों से ही था, और प्यार का मतलब केवल अपनी खुशियों के बारे में सोचना नहीं होता।आप जैसी लड़कियां शादी से पहले अमीरी-गरीबी देखती है। लेकिन मेरे जैसी लड़कियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं सम्पर्क सर का साथ किसी भी हालात में नहीं छोडूंगी।”

 तभी सांत्वना कहती है-“ ठीक है, मैं भी देखती हूं कि तुम सम्पर्क का साथ कब तक देती हो। अब मैं कुछ महीनों तक इसी शहर में रूकूंगी, और देखूंगी।”

उसके बाद शिप्रा कहती है-“ ठीक है आप देख लेना।”

ये सुनकर सात्वना वहां से चली जाती है।

उस घटना के बाद, सम्पर्क अब बिल्कुल बदल चुका था।

तभी शिप्रा सम्पर्क के पास आती है।

सम्पर्क शिप्रा से पूछता है-“ कौन हो तुम?? और तुम मुझसे शादी क्यों करना चाहती हो?? मैं तो तुम्हें जानता तक नहीं हूं।”

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर मेरा नाम शिप्रा है। मैं आपके आफिस में ही एक छोटा सा काम करती थी। इसलिए शायद आप मुझे जानते नहीं हो। लेकिन मैं आपको रोज ही देखा करती थी। मैं कई सालों से आपसे बहुत प्यार करती हूं। सम्पर्क सर चाहें अभी आपके पास कुछ हो या न हो, इस बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।”

 उसके बाद सम्पर्क सम्पर्क कहता है-“ शिप्रा, अब मैं तुम्हारा बाॅस नहीं रहा इसलिए अब तुम मुझे सम्पर्क सर नहीं बल्कि मेरे नाम से ही बुलाया करो।”

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, मैं आपकी ये बात नहीं मान सकती। मैं पहले भी आपको सम्पर्क सर बोला करती थी और आज भी आप मेरे लिए सम्पर्क सर ही हो। और आप मुझसे ये सब फिर कभी नहीं कहोगे। ”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ ठीक है शिप्रा।”

तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, मैं आपसे एक बात और कहना चाहती हूं।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ ठीक है, शिप्रा। कहो जो भी कहना चाहती हो।”

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, अगर मैं आपको पसन्द हूं। और अगर आपकी मर्जी होगी तभी मैं आपसे शादी करूंगी। ये जरूरी नहीं कि आपको मुझसे शादी करनी ही पड़े। मैंने केवल सांत्वना मैम को जवाब देने के लिए शादी करने के लिए कहा था। लेकिन मैं आपको बहुत पहले से प्यार करती हूं, ये बात झूठ नहीं है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ शिप्रा, अगर आज मैंने सांत्वना से शादी कर ली होती तो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो जाती। मुझे तो तुम्हारी जैसी किसी लड़की से शादी करनी चाहिए। तुमसे शादी न करके मैं जानबूझकर गलती नहीं करना चाहता हूं। और रही बात पसंद करने की, तो तुम मुझे बहुत पसंद हो। अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो, तो मैं अभी तुमसे शादी करना चाहता हूं।”

 तभी शिप्रा ख़ुश होकर सम्पर्क से कहती है-“ सम्पर्क सर आपसे शादी करने के बाद ,आज का दिन मेरे लिए बहुत खास हो‌ जायेगा।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ लेकिन शिप्रा, शादी के बाद हम रहेंगे कहां पर। अब मेरे पास तो रहने के लिए घर भी नहीं बचा है।”

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, आप इस बात की फिक्र मत कीजिए। शादी के बाद, आप मेरे साथ मेरे घर पर रहने के लिए किशनगढ़ चलेंगे।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ मैं वहां कैसे रह सकता हूं।”

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर आपसे शादी करने के बाद, वो घर केवल मेरा ही नहीं रहा बल्कि आपका भी तो हुआ ना। इसलिए आप आज से हमारे साथ ही रहोगे। वहां पर आप, मैं और मेरी मां हम तीनों एक साथ रहेंगे। लेकिन सम्पर्क सर मेरा घर तो बहुत छोटा है उसमें आप रह तो पायेंगे ना।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ शिप्रा, अगर तुम उस घर में रह सकती हो तो मैं क्यों नहीं रह सकता हूं।”

कुछ ही देर बाद वहां पर सम्पर्क शिप्रा से शादी कर लेता है। शादी के बाद, शिप्रा सम्पर्क को साथ लेकर किशनगढ़ में अपने घर के लिए निकल जाती है। किशनगढ़ में अपने घर पहुंचकर शिप्रा अपनी मां को पूरी बात बताती है।

Chapter -2:- सच्चे प्यार की कसौटी और ख़त का राज़ 

 उसके बाद शिप्रा की मां कहती हैं-“ शिप्रा ये तुमने बिल्कुल सही किया जो तुम शादी के बाद सम्पर्क बेटा को यहां पर ले आईं। सम्पर्क बेटा तुम भी शिप्रा की तरह ही मेरे बेटे जैसे ही हुए। इसलिए अब से ये तुम्हारा घर भी है।

शिप्रा मुझे तुम्हें एक बात बतानी है।”

उसके बाद शिप्रा शान्ती जी से कहती है-“ बोलिए मां।”

 उसके बाद शान्ती जी कहती हैं -“ शिप्रा मैं कल कुछ महीनों के लिए घूमने जाना चाहती हूं, मैं वहां पर ईश्वर से तुम्हारी ओर सम्पर्क की शादी के लिए धन्यवाद भी बोल दूंगी, इसलिए तुम मुझे रोकोगी नहीं।”

तभी शिप्रा कहती है-“ ठीक है मां।”

अगले दिन सुबह शिप्रा की मां चलीं जाती हैं।

 तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, क्या मैं कल से दूसरी नौकरी ढूंढने के लिए जा सकती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ शिप्रा, इसमें तुम्हें मुझसे पूछने की क्या जरूरत है। तुम्हें जो भी सही लगे, तुम वो करो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।”

 अगले ही दिन सुबह शिप्रा तैयार होकर दूसरी नौकरी ढूंढने के लिए चली जाती है। उसी दिन शाम के समय शिप्रा जब घर लौटकर आती है।

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” क्या हुआ शिप्रा। नौकरी मिल गई क्या??”

 तभी शिप्रा कहती है-” हां सम्पर्क सर, आज मैं बहुत खुश हूं।आज मुझे एक कंपनी में बहुत ही अच्छी नौकरी मिल गई है, और कल से मैं रोज सुबह 9 बजे उस नौकरी पर जाया करूंगी।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, ये तो बहुत ही अच्छी खबर है। शिप्रा मैं सोच रहा था कि कल से मैं भी कोई नौकरी ढूंढने के लिए तुम्हारे साथ ही चलूं, क्योंकि अकेले घर पर बैठे-बैठे मैं बोर हो जाता हूं।”

 तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क सर मैं नौकरी कर तो रही हूं, फिर आपको नौकरी ढूंढने की क्या जरूरत है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा वो तो ठीक है, लेकिन तुम अकेले ही काम करोगी और मैं घर पर बैठा ही रहूं ये मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा। और मेरे होते हुए तुम अकेले ही काम करो ये मैं देख भी नहीं सकता हूं, अगर तुम्हें मेरी फिक्र है तो तुम मुझे रोकोगी नहीं।”

 तभी शिप्रा कहती है-” अच्छा ठीक है सम्पर्क सर। जिस काम को करने से आपको खुशी मिले उस काम को करने से मैं आपको बिलकुल भी नहीं रोकूंगी, अच्छा सम्पर्क सर अब मैं सोने जा रही हूं। कल मेरा पहला दिन है। इसलिए मैं लेट बिल्कुल भी नहीं होना चाहती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा, तो मैं भी सोने जाता हूं। कल मुझे नौकरी ढूंढने के लिए भी जाना है। “

अगले दिन सुबह,

शिप्रा नौकरी पर जाने के लिए तैयार हो रही होती है। तभी सम्पर्क भी तैयार होने लगता है।

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूं।

 तभी शिप्रा कहती है -” सम्पर्क सर आपने नौकरी करने की सोच ही लिया है। सम्पर्क सर अगर मैं आपसे एक बात कहूंगी तो आप मेरी बात मानेंगे।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मैं तुम्हारी अकेले काम करने के अलावा हर बात मानूंगा।”

 तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क सर, आप नौकरी करने की बजाय कोई नया बिजनेस शुरू कर दीजिए। नौकरी मैं करूंगी और आप बिजनेस करना।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मैंने अपना सब कुछ और अपने सारे रूपए अपनी उस बिजनेस डील पर लगा दिए थे ,जो फैल हो गई थी। जिसकी वजह से अब मेरे पास कोई दूसरा बिजनेस शुरू करने के लिए बिल्कुल भी रुपए नहीं बचे हैं। इसलिए मुझे नौकरी करनी ही पड़ेगी ।”

 तभी शिप्रा कहता है-” सम्पर्क सर आप थोड़ी देर रूकिए, मैं अभी आती हूं।”

ये कहकर शिप्रा घर के अंदर एक कमरे में चली जाती है। थोड़ी देर बाद शिप्रा सम्पर्क के पास आती है।

तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क सर, ये लीजिए कुछ गहनें। इनको बेचकर आप अपना नया बिजनेस शुरू कर लीजिएगा।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-“ शिप्रा, मैं इन गहनों को अपना नया बिजनेस शुरू करने के लिए कैसे बेंच सकता हूं। इन गहनों को तो तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए बहुत उम्मीदों से बनवाये होगें। शिप्रा इन्हें तुम रखो, ये मुझसे नहीं होगा।”

तभी शिप्रा कहती है-“ सम्पर्क सर, ये गहनें तो बुरे समय पर काम आने के लिए ही बनवाये जाते है। और शादी के बाद, आपकी हर परेशानी मेरी भी तो हुई है। और अगर ये गहनें आपके काम आ जाते हैं, तो मैं समझ लूंगी कि ये गहनें मेरे भी काम आ गए। अगर आपको मेरी थोड़ी सी भी फिक्र है, तो आप इन गहनों को लेने में ज्यादा नहीं सोचेगे। और आपका नया बिजनेस के चलने के बाद मैं आपसे बहुत सारे गहनें भी तो लूंगी,जो नौकरी करने से तो नहीं बन सकते हैं। इसलिए आप ज्यादा सोचे विना इन गहनों को बेंच दीजिए। ”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा! मैं इन गहनों को जरूर लूंगा । लेकिन तुम्हें मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी।”

 तभी शिप्रा कहती है-” ठीक है सम्पर्क सर! बताइए क्या शर्त है आपकी।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मैं इन गहनों को तभी लूंगा। जब तुम मुझे कभी भी सम्पर्क सर कहकर नहीं बुलाया करोगी। अगर तुम मुझे मेरे नाम से बुलाया करोगी तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा। जब तुम मुझे सम्पर्क सर कहकर बुलाती हो तो मुझे पराया सा महसूस होता है।”

 तभी शिप्रा कहती है- “ठीक है, अब से मैं आपको सम्पर्क सर कहकर नहीं बुलाया करूंगी। अब से मैं आपको सम्पर्क जी कहूंगी, अब तो ठीक है। 

 अब तो आप इन गहनों को लेंगे ना।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, अब मैं इन गहनों को खुशी-खुशी ले लूंगा।”

उसके बाद सम्पर्क और शिप्रा घर से बाहर निकल ही रहे होते हैं। तभी घर के अन्दर कोई पत्थर फेंकता है। शिप्रा उस पत्थर को उठाती है। उस पत्थर पर एक लैटर लिपटा हुआ होता है।

 तभी सम्पर्क कहता है-” शिप्रा पढ़ो तो इसे। क्या लिखा है इस लैटर में।”

 उसके बाद शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी इसमें बस इतना ही लिखा है कि आज शाम 4 बजे मुझे और आपको आपके श्रीकृष्ण नगर वाले आफिस में किसी सिया मैम से मिलने जाना है। आना ज़रूर।”

 उसके बाद शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी, क्या मैं आपसे एक बात पूंछ सकती हूं ??”

 तभी सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, तुम मुझसे कोई भी बात पूऺछ सकती हो।”

उसके बाद शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी, ये सिया मैम कौन है।

मैं तो सिया मैम को जानती नहीं। क्या आप सिया मैम को जानते हैं??”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” हां मैं जानता हूं कि सिया कौन है??”

 तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी बताइए कि ये सिया मैम कौन हैं??”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, सिया मेरी बड़ी बहन का नाम है। वो मुझसे केवल तीन साल ही बड़ी थी। फिर भी सिया ने मुझे कभी भी मेरे माता-पिता के गुजर जाने का एहसास नहीं होने दिया। वो भले ही मुझसे बड़ी थी। लेकिन हम दोनों कभी एक दूसरे से कोई भी बात नहीं छिपाते थे। सिया मेरी बड़ी बहन ही नहीं बल्कि मेरी दोस्त भी थी। हम दोनों बहन-भाई के बीच कभी भी कोई नहीं आ सकता था। लेकिन मैं शायद गलत था। फिर एक दिन मुझे पता चला कि सिया किसी शल्य नाम के एक लड़के को पसंद करने लगी। मैं उस लड़के को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। मैंने सिया को उस लड़के से दूर रहने के लिए बहुत समझाया। कुछ दिनों बाद ही मुझे पता चला कि सिया ने मुझे कुछ बताये बिना ही उस लड़के से शादी कर ली है। शादी करने के बाद सिया मेरे पास आईं। सिया ने मुझसे बात करने की कोशिश की। लेकिन मैं उस समय सिया से बहुत ज्यादा नाराज था और सिया की शक्ल देखना भी नहीं चाहता था। उसके बाद सिया उसी दिन उस लड़के के साथ हमेशा के लिए लंदन चली गई। वहां पहुंचकर सिया ने मुझसे फोन द्वारा कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन अब मैं सिया से कोई भी बात नहीं करना चाहता था। धीरे-धीरे सिया की काॅल आनी भी बन्द हो गई। मैंने सिया के बारे में सांत्वना या किसी को कभी कुछ नहीं बताया। लेकिन आज तुम्हारे पूछने पर मैं मना नहीं कर पाया। मैं आज भी सिया से बिल्कुल भी बात नहीं करना चाहता हूं। लेकिन आज इतने समय बाद सिया मुझसे पता नहीं क्यों मिलना चाहती है।”

 तभी शिप्रा कहती हैं-” सम्पर्क जी, मुझे लगता है कि सिया बहन को हमसे कोई जरुरी बात करनी होगी इसलिए उन्होंने हम दोनों को आज शाम को बुलाया है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, चाहें कोई भी बात हो। लेकिन मैं सिया से बिल्कुल भी मिलना नहीं चाहता। इसलिए तुम अकेले ही सिया से मिलने चली जाना।”

 तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी आप केवल मेरे लिए ही सिया बहन से मिलने चलिए।”

 उसके बाद सम्पर्क रुखी आवाज में शिप्रा से कहता है-” ठीक है शिप्रा, मैं आज आखिरी बार तुम्हारे लिए शिप्रा से मिलने चलूंगा। लेकिन केवल आखिरी बार।”

 तभी शिप्रा खुश होकर कहती है-” ठीक है, सम्पर्क जी। अभी तो 9 बजे हैं शाम 4 बजने में तो बहुत समय है। तब तक मैं भी आफिस में हो आती हूं। आज शाम 4 बजे मैं आफिस से सीधे आपके श्रीकृष्णनगर वाले आफिस में ही पहुंच जाऊंगी।आप भी शाम 4 बजे वहीं पर पहुंच जाना।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। तुम जाओ। मैं शाम 4 बजे तक वहां पर पहुंच जाऊंगा।”

उसी दिन शाम 4 बजे सम्पर्क और शिप्रा श्रीकृष्णनगर वाले आफिस में पहुंच जाते हैं। सम्पर्क और शिप्रा आफिस के अन्दर जाते हैं ,सिया वहां पर पहले से ही मौजूद थी और सिया के अलावा उस पूरे आफिस में कोई भी नहीं था।

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” हमें तुमने यहां पर क्यों बुलाया है, और अब तुम क्या करना चाहती हो।”

 तभी सिया कहती है-” सम्पर्क, मैं यहां पर कुछ करने के लिए नहीं आईं हूं। बल्कि मैंने तुम्हें यहां पर कुछ बताने के लिए बुलाया है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” सिया, मैं तुम्हारी कोई भी बात सुनना नहीं चाहता हूं।”

तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है-” सम्पर्क जी, सुन तो लीजिए कि सिया बहन क्या कहना चाहती हैं।”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है-” ठीक है बोलो।”

 तभी सिया कहती है-” आज़ से कुछ महीने पहले, लंदन जाने के बाद मैंने तुमसे कई बार काॅल करके बात करने की कोशिश की, लेकिन तुमने मेरी काॅल उठानी ही बन्द कर दी। फिर मैंने शल्य से बात की, तो शल्य ने मुझसे कहा कि सिया अब से सम्पर्क का ख्याल रखना तुम्हारी ही नहीं बल्कि मेरी भी जिम्मेदारी है। इसलिए अब तुम चिंता मत करो। मैं श्रीकृष्णनगर में एक बहुत अच्छे प्राइवेट डिटेक्टिव को जानता हूं। मैं उससे बात कर लूंगा वो हमें सम्पर्क के बारे में हर बात बताता रहेगा।

उसके बाद मैंने तुम्हें काॅल करनी बन्द कर दी। मुझे तुम्हारी हर बात के बारे में पता चलने लगा। कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि तुम सांत्वना नाम की एक लड़की से प्यार करने लगे हो और तुम जल्दी ही सात्वना से शादी करने वाले हो। तब मैंने सांत्वना के बारे में पता लगवाया, तो मुझे पता चला कि सात्वना बहुत ही लालची लड़की है और तुमसे नहीं बल्कि तुम्हारे रूपयों से प्यार करती है। और वो तुमसे शादी केवल तुम्हारे रूपयों के लिए ही कर रही है। मैं इस शादी को रोकना चाहती थी और तुम्हारे सामने सात्वना की सच्चाई भी लाना चाहती थी। अगर मैं तुमसे सात्वना के बारे में कुछ भी कहती तो तुम कभी भी मेरी बात पर भरोसा नहीं करते। तभी मैंने शल्य से इस शादी को जल्द ही रोकने के लिए कहा। उसके बाद शल्य ने तुमसे एक बहुत बड़ी डील करवाईं, उस डील में तुमसे तुम्हारा सब कुछ लगवाया। वो पूरी डील झूठी थी, लेकिन तुम्हारे सामने उसे सचमुच की डील दिखाई गई। फिर मैं शल्य के साथ अगले ही दिन लन्दन से श्रीकृष्णनगर आ गई। मैं चाहती थी कि जब सांत्वना अपनी सच्चाई तुम्हारे सामने खुद बताए, उस समय मैं वहां पर मौजूद होऊं, इसलिए उस समय मैं भी वहां पर मौजूद हूं। इसलिए मैं और शल्य छिपकर लन्दन से सीधे तुम्हारे बंगले पर ही आ गये। तुम्हारी शादी कुछ ही देर में सात्वना से होने वाली थी। तभी हमारे कहने पर तुम्हें एक काॅल आईं।उस काॅल के बाद तुम्हारे सामने सात्वना की पूरी सच्चाई आ गई। कुछ ही देर बाद हम तुम्हें तुम्हारा सब कुछ लौटाने वाले ही थे। लेकिन तभी शिप्रा नाम की लड़की तुमसे शादी करने के लिए तैयार हो गई। शादी करने से पहले शिप्रा ने तुमसे कहा कि वो किसी भी हालत में तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेगी। शिप्रा की ये बात सुनकर हमने तुम्हें कुछ दिनों तक तुम्हारा कुछ भी ना लौटाने का फैसला किया। पहले मैं शिप्रा के बारे में सब कुछ पता लगाना चाहती थी। फिर हमने उसी प्राइवेट डिटेक्टिव से शिप्रा के बारे में सब कुछ पता लगाने के लिए कहा लेकिन शिप्रा के बारे में कुछ खास पता नहीं चला। अब हम भी जानना चाहते थे कि कहीं शिप्रा भी सांत्वना की तरह नाटक तो नहीं कर रही है। इसलिए हम शिप्रा पर हर पल नजर रखने लगे। तभी हमें पता चला कि शिप्रा ने अपनी शादी के एक दिन बाद से ही तुम्हारे लिए नौकरी पर जाना शुरू कर दिया। हम शिप्रा को और परखने लगे। और तभी आज हमें पता चला कि शिप्रा ने तुम्हें अपना नया बिजनेस शुरू करने के लिए अपने सारे गहनें बेंचने के लिए दे दिये। उसके बाद हमें पूरा यकीन हो गया कि तुम्हारे लिए शिप्रा से बेहतर कोई दूसरी लड़की हो ही नहीं सकती। इसलिए मैंने तुम्हें यहां पर तुम्हारा सब कुछ लौटाने के लिए ही बुलाया है। अब तुम्हें कोई दूसरा बिजनेस शुरू करने की जरूरत नहीं है और शिप्रा को भी कहीं और नौकरी करने की भी जरूरत नहीं है। तुम्हें कल सुबह 11 बजे कुछ कागजात पर साइन करने होंगें उसके बाद सब कुछ तुम्हें बापस मिल जायेगा। तुम्हें सब कुछ लौटाने के बाद कल मैं और शल्य हमेशा से लिए लन्दन चली जाऊंगी।”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है-” सिया दीदी, तो क्या आप कल मेरे साथ बंगले पर रूकेंगी नहीं।”

 तभी सिया कहती है-” सम्पर्क तुमने मुझे माफ़ कर दिया क्या??”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” हां सिया दीदी। अब मैं आपसे और शल्य जी से बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं। क्योंकि केवल आपकी बजह से ही मेरी शादी सांत्वना जैसी लड़की से होने से रूक गई और शिप्रा से मेरी शादी हो पाई है। इसलिए अब मैं आपसे कैसे नाराज रह सकता हूं। इसलिए कल आपको और शल्य जी को मेरे बंगले पर रूकना ही पड़ेगा। वैसे अभी शल्य जी कहां पर हैं??”

तभी सिया कहती है-” शल्य मेरे साथ नहीं आये ताकि तुम्हें बुरा ना लगे। लेकिन कल हम दोनों तुम्हारे बंगले पर जरूर रूकेंगे।

सम्पर्क आज तुमने मुझे पहली बार सिया दीदी कहकर बुलाया है। मुझे बहुत ही अच्छा लगा। सम्पर्क आज अचानक ये सब कैसे??”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” सिया दीदी, ये सब शिप्रा की बजह से ही हुआ है। मैं तो यहां पर आ ही नहीं रहा था, लेकिन मुझे शिप्रा ही यहां पर लेकर आईं हैं। आज से मैं आपको हमेशा सिया दीदी कहकर ही बुलाऊंगा।”

 तभी सिया कहती है-” सम्पर्क, मैं जानती थी कि शिप्रा तुम्हें यहां पर लेकर जरूर आयेगी इसलिए मैंने लैटर में तुम्हारे साथ शिप्रा को भी आने के लिए कहा था।

ठीक है सम्पर्क तो मैं चलती हूं। कल मैं तुमसे 11 बजे तुम्हारे बंगले पर मिलती हूं।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है -“ठीक है सिया दीदी।”

 तभी सिया वहां से चली जाती है। कुछ देर बाद शिप्रा और सम्पर्क भी अपने घर के लिए निकल जाते हैं।

Chapter -3:- फिर से अमीर होने के बाद सम्पर्क का अपने पैरों से विकलांग होना 

किशनगढ़ में अपने घर पहुंचकर,

सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, तुम अपना सब जरूरी सामान रख लो, कल से हम अपने श्रीकृष्णनगर वाले बंगले में ही रहेंगे।”

 तभी शिप्रा कहती है-” ठीक है सम्पर्क जी। लेकिन मेरी मां को लौटने के बाद इस किशनगढ़ वाले घर में अकेली ही रहना पड़ेगा। “

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, तुमने ये सोच भी कैसे सकती हो कि मैं तुम्हारी मां को इस घर में अकेले छोड़कर जाऊंगा।”

शादी के बाद जब मेरे पास कुछ भी नहीं था तो उस समय तुम्हारी मां ने मुझे अपना संगा बेटा माना था, और मुझे अपने इस घर में जगह दी। इसलिए अब वो मेरी मां भी है, और मैं अपनी मां को अकेले छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। वो हमारे साथ ही रहेंगी। शिप्रा तुम अपने सामान के साथ-साथ मां का जरूरी सामान भी रख लेना।

 तभी शिप्रा खुश होकर सम्पर्क से कहती है-” ठीक है सम्पर्क जी।”

अगले दिन सुबह 11 बजे सम्पर्क शिप्रा के साथ अपने श्रीकृष्णनगर वाले बंगले में पहुंच जाता है। वहां पर सिया और शल्य पहले से ही मौजूद थे।

तभी सिया सम्पर्क को साइन करने के लिए कुछ कागजात देती है। सम्पर्क उन कागजातों पर साइन कर देता है।

 तभी सिया कहती है-” सम्पर्क, आज से सब कुछ तुम्हारा फिर से हो गया।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” आज से कम से कम तीन दिनों के लिए सिया दीदी आप और शल्य जी हमारे साथ यहां पर ही रूकेंगे।”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है-” ठीक है सम्पर्क। जैसा भी तुम चाहो।”

तीन दिनों बाद सिया सम्पर्क के पास आती है।

 उसके बाद सिया सम्पर्क के पास आती है-” मैंने तुम्हारी बात मानी। अब कल मैं तुम्हें और शिप्रा को अपने साथ एक सप्ताह के लिए लन्दन घुमाने के लिए ले जाना चाहती हूं।”

 तभी सम्पर्क सिया से कहता है-” सिया दीदी , कल आप अपने साथ केवल शिप्रा को लेकर चली जाइएगा। सिया दीदी, आप चिंता मत करिएगा, दो दिनों के बाद, मैं एक जरूरी काम खत्म करके वहां पर आ जाऊंगा।”

 उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है-” ठीक है सम्पर्क।”

सम्पर्क शिप्रा के पास जाकर सिया और शल्य के साथ लन्दन जाने के लिए मना लेता है।

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मैं कल अकेले सिया बहन के साथ लन्दन चली तो जाती हूं, लेकिन मैं आपके वहां पर आने के बाद ही लन्दन घूमने के लिए जाऊंगी।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। कल तुम सिया दीदी के साथ वहां पर जाओ मैं दो दिन के बाद वहां पर जरूर आ जाऊंगा।”

अगले दिन शिप्रा सिया और शल्य के साथ लन्दन चली जाती है।

लन्दन में शिप्रा को दो दिन बीत जाते हैं।

दो दिनों के बाद शिप्रा सम्पर्क का बहुत बेचैनी से इन्तजार कर रही होती है। तभी वहां पर सिया के फोन पर एक काॅल आती है। उस काॅल के बाद सिया एकदम परेशान हो जाती है। उसकी आंखें भर आती हैं।

उसके बाद सिया कहती है-” नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है।”

तभी शिप्रा कहती है-” क्या हुआ सिया बहन।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है-” मुझे अभी-अभी श्रीकृष्णनगर के एक हाॅस्पिटल से काॅल आई थी कि आज सम्पर्क का एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया है। और इस समय वो ICU में एडमिट है। इसलिए हमें अभी श्रीकृष्णनगर के लिए निकलना होगा। शल्य पता नहीं कब आयेंगे।हम शल्य का इन्तजार नहीं कर सकते। मैं रास्ते में शल्य को काॅल करके सब बता दूंगी।और ये भी कह दूंगी कि आप बाद में आते रहना।”

थोड़ी देर बाद, सिया शल्य को काॅल करके सम्पर्क के बारे में सबकुछ बता देती है।

श्रीकृष्णनगर में पहुंचकर, सिया और शिप्रा सीधे हाॅस्पिटल में पहुंचती हैं। वहां पर पहुंचकर दोनों सम्पर्क के डाॅक्टर से मिलती हैं।

 उसके बाद सिया कहती है-” डॉक्टर सर, अब सम्पर्क कैसा है??”

तभी डॉक्टर कहता है-” अभी मैं कुछ भी नहीं कह सकता। कुछ और चेकअप करने के बाद कल तक मैं आपको सब कुछ बता दूंगा।”

अगले दिन सिया और शिप्रा डाॅक्टर, के पास जाती हैं। और सम्पर्क की तबीयत के बारे में पूछती हैं।

 उसके बाद डाॅक्टर कहता है-” अब सम्पर्क ठीक है। आप लोग एक सप्ताह बाद सम्पर्क को घर पर ले जा सकते हैं। लेकिन??”

तभी सिया डाॅक्टर से पूछती है-” लेकिन क्या, डाॅक्टर??

 उसके बाद डाॅक्टर सिया से कहता है-” मैंने सम्पर्क के सारे चेकअप कर लिए, उसके बाद रिपोर्टों से यही पता चला है कि सम्पर्क अब कभी अपने पैरों पर चल नहीं सकेगा। कुछ दिनों तक आप लोगों को ये बात सम्पर्क को नहीं बतानी है। और अब से आप लोगों को सम्पर्क का ज्यादा ख्याल रखना होगा।”

थोड़ी देर बाद शल्य सम्पर्क को देखने के लिए लन्दन से आ जाता है। सिया शल्य को सम्पर्क की विकलांगता के बारे में पूरी बात सही-सही बता देती है और इस बात के बारे में सम्पर्क को कुछ भी बताने से मना कर देती है।

शल्य सम्पर्क से मिलता है। सात दिनों बाद सिया, शल्य और शिप्रा सम्पर्क को हाॅस्पिटल से घर ले आते हैं।

  कुछ दिनों बाद सम्पर्क को पता चल ही जाता है कि अब वो कभी भी अपने पैरों पर चल नहीं सकेगा। इस बात के बारे में पता चलते ही सम्पर्क बहुत दुखी होता है। फिर सम्पर्क अपनी व्हीलचेयर से शिप्रा के पास जाता है।

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, आप यहां। कोई काम था तो मुझे ही बुला लेते।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, अभी मुझे तुमसे एक बात करनी है।”

तभी शिप्रा बोलती है-” बोलिए सम्पर्क जी।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मुझे पता चल चुका है कि डॉक्टर ने कह दिया है कि अब मैं कभी भी अपने पैरों पर चल नहीं सकूंगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो। अगर तुम मुझसे दूर जाकर अपनी एक नई जिंदगी की शुरुआत करोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।”

तभी शिप्रा दुखी होकर सम्पर्क से बोलती है-” सम्पर्क जी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं। मै आपको किसी भी हालत में छोड़कर जाने की सोच भी नहीं सकती हूं। और सम्पर्क जी मैं आपसे दूर जाकर कभी खुश भी नहीं रह सकती हूं। मेरी खुशी तो हमेशा आपके पास रहने में ही है। सम्पर्क जी, अगर आपने मुझसे फिर कभी खुद से दूर जाने के लिए कहा तो मैं आपसे बिल्कुल भी बात नहीं करूंगी।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा, अब से मैं कभी भी तुमसे दोबारा ऐसी बातें नहीं करूंगा। इस बार तुम मुझे माफ़ कर दो।”

तभी शिप्रा खुश होकर बोलती है-” ठीक है सम्पर्क जी।”

 तभी सम्पर्क शिप्रा को वहीं पर रुकने की कहकर अपनी व्हीलचेयर से सिया के कमरे में चला जाता है। वहां पर शल्य भी था।

 उसके बाद सिया कहती है-” सम्पर्क तुम यहां पर। कोई काम था क्या??” किसी से कहकर मुझे अपने पास ही बुलवा लेते।”

 तभी सम्पर्क कहता है-” कोई बात नहीं सिया दीदी। मैं यहां आपसे एक बात करने के लिए आया हूं।”

 उसके बाद सिया कहती है-” बोलो सम्पर्क क्या बात है??”

 तभी सम्पर्क कहता है-” सिया दीदी, मुझे पता चल चुका है कि मैं अब कभी भी अपने पैरों पर चल नहीं सकूंगा। इसलिए अब आप शल्य जी के साथ लन्दन चली जाइये आप मेरे लिए कब तक यहां पर रूकेंगी। मेरी देखभाल करने के लिए शिप्रा है तो। मुझे देखने के लिए आप और शल्य जी बीच-बीच में यहां पर आते रहिएगा।”

 उसके बाद सिया कहती है-” सम्पर्क मैं तुम्हें इस हालत में छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी। तुमसे दूर जाकर मैं एक बार गलती कर चुकी हूं। मैं फिर से वही गलती दोहराना नहीं चाहती हूं। अगर तुम्हें कोई परेशानी ना हो तो अब से मैं तुम्हारे पास यहीं पर रहूंगी। कुछ महीनों में शल्य इसी शहर में अपना बिजनेस भी शिफ्ट कर लेंगे और अगर तुमने मुझे दोबारा से यहां से जाने के लिए कहा तो, मैं यहां पर दोबारा कभी नहीं आऊंगी।”

 तभी शल्य बोलता है-” सम्पर्क, सिया बिल्कुल सही कह रही है। सिया को तुम्हारे पास ही रूकना चाहिए। कुछ महीनों के बाद मैं अपना बिजनेस लन्दन से श्रीकृष्णनगर में ही ट्रान्सफर कर लूंगा और तब तक बीच-बीच में मैं यहां पर आता ही रहूंगा।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है सिया दीदी। आप और शल्य जी को जैसा भी सही लगे। और सिया दीदी आपके यहां पर रहने से, मुझे कभी कोई भी परेशानी नहीं होगी बल्कि मुझे तो बहुत ही खुशी होगी।”

तभी सम्पर्क सिया के कमरे से अपने कमरे में चला जाता है।

अगले दिन शाम को शल्य अकेले ही लन्दन चला जाता है।

Chapter -4:- सम्पर्क द्वारा अपनी विकलांगता को हराना 

इसी तरह कई दिन बीत जाते हैं। एक दिन शिप्रा सम्पर्क को घुमाने के लिए पास के एक गार्डन में ले जाती है। शिप्रा सम्पर्क को गार्डन के अन्दर ही छोड़कर, सम्पर्क के लिए पीने का पानी लेने गार्डन के बाहर चली जाती है। शिप्रा सम्पर्क के पास पानी लेकर जा ही रही होती है। तभी शिप्रा को पीछे से एक आबाज आती है। शिप्रा पीछे मुड़कर देखती है। वहां पर शिप्रा को सांत्वना दिखाई देती है। तभी सांत्वना शिप्रा के पास आती है।

उसके बाद सांत्वना शिप्रा से कहती है-” और शिप्रा तुम कैसी हो ? मैंने सुना है कि सम्पर्क अब कभी भी अपने पैरों पर चल नहीं पायेगा। मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि तुम्हें सम्पर्क से शादी करने के बाद कोई भी खुशी हासिल नहीं होगी भले ही सम्पर्क को अपना बिजनेस दोबारा से मिल गया हो। तुम तो बड़ा कह रहीं थीं कि तुम सम्पर्क से प्यार करती हो, और तुम किसी भी हालत में सम्पर्क का साथ नहीं छोड़ोगी। अब तुम सम्पर्क की इसी हालत के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना और सम्पर्क की सेवा करना। कुछ ही दिनों में सम्पर्क का बिजनेस भी बर्बाद हो जायेगा। उसके बाद तुम्हें अच्छी तरह पता चल जाएगा कि प्यार ही सबकुछ नहीं होता।”

तभी शिप्रा सांत्वना से बोलती है-” सांत्वना मैम, आपको मेरी बहुत फिक्र है। उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सांत्वना मैम, मैं पहले भी कहती थी और अब भी कहती हूं कि मैं सम्पर्क जी का साथ किसी भी हालत में नहीं छोडूंगी। ये सही हुआ जो आपकी शादी सम्पर्क जी से नहीं हुई, वरना आप सम्पर्क जी को ऐसी हालत में जरूर छोड़कर चलीं जातीं। आप केवल उनके रूपयों से प्यार करती थीं। और आप सम्पर्क जी के बारे में मत सोचिए। उनके बारे में सोचने के लिए अभी मैं हूं। और रही बात सम्पर्क जी के चलने की तो आज से छः महीनों के भीतर सम्पर्क जी अपने पैरों पर चलेंगे भी और उनका बिजनेस भी बर्बाद नहीं होगा। ये सब आप छः महीने बाद खुद ही आकर देख लेना।”

ये कहकर शिप्रा गार्डन के अन्दर जाकर सम्पर्क को वहां से लेकर सीधे घर पर आ जाती है।

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है-” सम्पर्क जी, मुझे आपसे एक बात करनी है।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा बताओ क्या बात कहना चाहती हो।”

उसके बाद शिप्रा सम्पर्क को सांत्वना द्वारा कही गई पूरी बात बता देती है।

 तभी शिप्रा हिचकते हुए बोलती है-” सम्पर्क जी, आपको छः महीने के भीतर अपने पैरों पर चलने की पूरी कोशिश करनी होगी।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, लेकिन डॉक्टर ने तो कहा है कि मैं अपने पैरों पर कभी चल नहीं पाऊंगा। तो फिर कोशिश करने से क्या फायदा।”

तभी शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी, जरूरी नहीं कि आपके बारे में जो भी डॉक्टर कहे वो हमेशा सच ही साबित हो। आप खुद को कभी अकेला मत समझिएगा। चलने की कोशिश में, मै हमेशा आपकी मदद करूंगी। सम्पर्क जी, शायद आप यही सोच रहे होंगे कि मुझे अब आपके साथ चलने में शर्म आने लगी है, इसलिए मैं आपसे ये सब कह रही हूं। लेकिन सच तो ये है कि मुझे आपके साथ ऐसी हालत में रहने में ज्यादा अच्छा लगता है। क्योंकि इस हालत में, मैं आपके साथ ज्यादा से ज्यादा रह सकती हूं। और इस बीच, मैं आपसे बहुत सारी बातें भी कर सकती हूं। शादी से पहले मेरी बात सुनने वाला मेरी मां के अलावा कोई भी नहीं था। लेकिन अब मैं आपसे अपनी हर बात कर सकूंगी। आप यही सोच रहे होंगे, तो मैं आपसे चलने की क्यों कह रही हूं। सम्पर्क जी, बहुत से लोग आपकी पीठ पीछे ये कहते है कि आप अब विना किसी के सहारे के कुछ भी कर नहीं सकते। ये बात मुझे बहुत बुरी लगती है। इसलिए आपको अपने पैरों पर चलकर उन सभी लोगों को दिखाना ही होगा कि आप किसी से भी कमजोर नहीं हैं, और आपको किसी और के सहारे की भी कोई जरूरत नहीं है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। आज से छः महीने के भीतर मैं अपने पैरों पर चलकर ही रहूंगा।” 

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मुझे आप पर पूरा भरोसा है कि आपके लिए ये करना कोई बड़ी बात नहीं है। सम्पर्क जी मुझे आपसे एक बात और करनी थी।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” बोलो शिप्रा, अब तुम्हें और क्या बात करनी है।”

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मैं चाहती हूं कि जब तक आप पूरी तरह से सही नहीं हो जाते, तब तक मैं और सिया बहन मिलकर आपके बिजनेस को सम्भालें। ताकि आप सारी फिक्र छोड़कर केवल अपने चलने पर ही ध्यान दें। और शाम को आफिस से आने के बाद, मैं आपकी चलने में मदद करूंगी। जब आप पूरी तरह से सही हो जायेंगे तब आप अपना बिजनेस खुद ही सम्भालना और फिर मैं केवल आराम करूंगी।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। मैं कल वकील को बुलाकर अगले छः महीनों के लिए अपना बिजनेस तुम्हारे और सिया दीदी के नाम कर दूंगा।”

 अगले दिन सम्पर्क वकील बुलाकर अपने बिजनेस को छः महीनों के लिए शिप्रा और सिया के नाम कर देता है। बिजनेस नाम होते ही, अगले दिन से सिया और शिप्रा सम्पर्क के बिजनेस को सम्भालने के लिए श्रीकृष्णनगर वाले आफिस में जाने लगते हैं।

शिप्रा हर रोज शाम को आफिस से आने के बाद सम्पर्क की चलने में मदद करने लगी। इसी तरह कुछ महीने बीत जाते हैं।

पांच महीनों में ही सम्पर्क थोड़ा-थोड़ा चलने लगता है। और छः महीनों में सम्पर्क पूरी तरह से सही हो जाता है। अब सिया और शिप्रा ने मिलकर सम्पर्क का बिजनेस पहले से भी ज्यादा अच्छा कर दिया था। सम्पर्क ने अपना बिजनेस छः महीनों के लिए शिप्रा और सिया के नाम किया था, अब उसका समय भी पूरा हो गया था।

आज सम्पर्क बहुत खुश था क्योंकि आज उसने शिप्रा से अपने छः महीने के भीतर अपने पैरों पर चलने वाली बात को पूरा कर दिया था। तभी सम्पर्क शिप्रा के कमरे को सजा देता है, और वहीं पर शिप्रा के आफिस से आने का इंतजार करने लगता है। थोड़ी देर बाद, शिप्रा आफिस से घर आ जाती है, घर आकर वो अपने कमरे में जाती है। वहां सम्पर्क पहले से ही मौजूद था।

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा आज मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि आज मैंने तुमसे जो वादा किया था, उसे पूरा कर दिया है, अब मैं पूरी तरह से सही हो गया हूं। इसलिए अब कल से तुम आफिस नहीं जाओगी बल्कि मैं जाऊंगा। तुम और सिया दीदी केवल आराम करोगे। वैसे भी तुम्हें आफिस जाते हुए, आज पूरे छः महीने हो गए हैं। कल मेरा बिजनेस अपने-आप ही मेरे नाम आ जायेगा, शिप्रा आज मैं तुमसे एक बात और कहना चाहता हूं।”

तभी शिप्रा बोलती है-” बोलिए, सम्पर्क जी।”

उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है-“, शिप्रा अगर तुम ना होतीं तो शायद मैं कभी भी अपने पैरों पर चल नहीं पाता। तुमने और सिया दीदी ने मेरी बहुत मदद की है। शिप्रा, तुम हमेशा इसी तरह मेरा साथ देती रहना।”

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, सही बात तो ये है कि मैंने कुछ भी नहीं किया है। आप मेरी बजह से नहीं बल्कि अपनी मेहनत की बजह से ही अपने पैरों पर चल पा रहे हैं। कल से आप आफिस जाना चाहते हैं। तो जरूर जाइये वैसे भी आप इतने समय तक एक ही जगह पर रहते-रहते बोर हो गए होंगे। आफिस में आपको अच्छा महसूस होगा।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। तो कल से मैं आफिस जाना शुरू कर देता हूं।”

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी , बहुत दिनों से मैं आपसे एक बात कहना चाहती थी। लेकिन पहले आपसे इस बात को करना मुझे सही नहीं लगा। आज जब आप पूरी तरह से सही हो गए हैं, तो आज आपको ये बात बतानी जरूरी है। लेकिन सम्पर्क जी आप बिल्कुल भी गुस्सा तो नहीं करेंगे।”

Chapter -5- सम्पर्क के विकलांग होने की असली बजह और रुद्र का राज़ 

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। अब बताओ क्या बात है।”

 तभी शिप्रा बोलती है -” सम्पर्क जी आपका एक्सीडेंट अचानक नहीं हुआ था बल्कि जानबूझकर कराया गया था।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, तुम ये क्या कह रही हो। मेरा एक्सीडेंट कोई क्यों करवायेगा।”

 तभी शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मैं आपको सबकुछ बताती हूं।

( फ्लैशबैक का आरंभ) 

‘आज़ से छः महीने पहले जब आपके साथ ये एक्सीडेंट हुआ था, तो यहां पर आकर मेरे दिमाग में ख़्याल आया कि कहीं आपका ये एक्सीडेंट जानबूझकर तो नहीं कराया गया है। क्योंंकि आप तो बहुत अच्छी तरह से गाड़ी चलाते थे। तभी मैंने चुपके से आपके इस एक्सीडेंट के बारे में उसी प्राइवेट डिटेक्टिव से पता लगवाया, जिससे सिया बहन ने सांत्वना की सच्चाई के बारे में पता लगवाया था।

कुछ ही दिनों बाद उस प्राइवेट डिटेक्टिव ने मुझे काॅल करके अपने आफिस में अकेले बुलाया। मैं उस प्राइवेट डिटेक्टिव से मिलने उसके आफिस गई।

तभी उस डिटेक्टिव ने मुझे बताया कि ‘ सम्पर्क का एक्सीडेंट अचानक नहीं हुआ है, बल्कि किसी रूद्र नाम के आदमी ने किया है, मैं इतना ही पता लगा पाया हूं। ’

मैं तो इस नाम किसी आदमी को जानती तक नहीं थी। तब मैंने सोचा शायद आप ‘ रूद्र ’ नाम के उस आदमी को जानते होंगे। तब मैंने ‘ रूद्र ’ के बारे में पता लगाने के लिए आपके आफिस में और आपके सभी जानने-पहचानने वालों से बहुत पूछताछ की। लेकिन रूद्र बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया। इस तरह मुझे रूद्र के बारे में पता लगाते हुए काफी दिन बीत गए। लेकिन कुछ भी पता नहीं चला।

फिर एक दिन अचानक मेरे फोन पर एक मैसेज आया। जिसमें लिखा था – ‹ अगर रूद्र के बारे में जानना चाहती हो तो आज शाम 4 बजे इस पर लिखे पते पर आ जाना और अकेले ही आना। › फिर मैंने स मैसेज को देखा, तो नीचे एक हाॅस्पिटल का पता लिखा था।

शाम 4 बजे मैं उस पते पर पहुंचती हूं। वो हाॅस्पिटल एक सुनसान जगह पर था। उसके बाद, मैं हाॅस्पिटल के अन्दर जाकर देखती हूं। वहां पर भी कोई नहीं था। तभी मुझे उस हाॅस्पिटल में एक कमरा दिखाई देता है। मैं उस कमरे के अन्दर जाती हूं। वहां पर मुझे सुरेश एक बैड पर लेटा हुआ मिलता है।(फ्लैशबैक का अन्त)’

तभी सम्पर्क शिप्रा से पूछता है-” शिप्रा, ये सुरेश कौन है??”

 उसके बाद शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मैंने आपको पहले कभी सुरेश के बारे में बताया ही नहीं। क्योंकि ऐसी कभी जरूरत ही नहीं पड़ी, लेकिन आज मैं आपको सुरेश के बारे में और आगे की पूरी घटना के बारे में सबकुछ बताती हूं।

 (फ्लैशबैक का आरंभ)’ मेरी आपसे शादी होने के करीब दो साल पहले, मैं और सुरेश आपके आफिस में ही काम करते थे। सुरेश मेरा बहुत अच्छा दोस्त था। फिर एक दिन सुरेश ने मुझसे कहा कि वो मुझसे बहुत प्यार करता है, और मुझसे शादी करना चाहता है। मैंने सुरेश को मना करते हुए कहा कि मैं सम्पर्क सर को पसंद करती हूं। इसलिए मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। ये सुनकर सुरेश वहां से चला गया। उसके बाद मैंने सुरेश को कभी नहीं देखा। ’

तभी सम्पर्क कहता है -“ हां शिप्रा, मुझे याद आया कि सुरेश नाम का व्यक्ति तो मेरे आफिस में काम करता था।

 शिप्रा, बताओ आगे क्या हुआ। ” 

उसके बाद शिप्रा बोलती है-“ ‹ इस बात को लगभग दो साल बीत गए। इतने सालों बाद उस दिन उस जगह पर सुरेश को ऐसी हालत में देखकर मैं एकदम हैरान रह गई। मैं सुरेश से उसकी ऐसी हालत के बारे में पूछना चाहती थी। लेकिन मैं पहले उस हाॅस्पिटल की छत पर भी रूद्र को ढूंढना चाहती थी। इसलिए मैं वहां से जाने लगती हूं । तभी सुरेश ने मुझे पीछे से‌ आबाज देकर कहा कि ” शिप्रा रूद्र को ढूंढ रही हो क्या??”

मैं सुरेश के मुंह से ‘रूद्र’ का नाम सुनकर हैरान रह गई,

तभी मैं सुरेश के पास गई और उससे पूछा-” तुम रूद्र को कैसे जानते हो??”

तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” क्योंकि मैं ही रूद्र हूं। मैंने ही सम्पर्क का एक्सीडेंट किया था। और मैंने ही तुम्हें यहां पर आने केे लिए मैसेज किया था।” 

तभी मैंने सुरेश से पूछा-“तुमने सम्पर्क जी के साथ ऐसा क्यों किया। और तुमने मुझे इस जगह पर क्यों बुलाया है।”

तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” तुमने सम्पर्क की बजह से मुझसे शादी नहीं की। इसी बात का सम्पर्क से मैं बदला लेना चाहता था। इसलिए मैंने ‘रूद्र’ बनकर सम्पर्क का एक्सीडेंट इस तरह से किया, ताकि कोई भी मेरे बारे में पता ना कर पाए।”

उसके बाद मैंने उससे पूछा-” सुरेश, अब तुमने मुझे यहां पर क्यों बुलाया है ?”

 तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” ठीक है, मैं तुम्हें सबकुछ बताता हूं। (फ्लैशबैक का आरंभ)

‘ आज से लगभग दो साल पहले जब तुमने मुझे सम्पर्क की बजह से शादी करने से मना कर दिया था, तो मुझे सम्पर्क पर बहुत गुस्सा आया था। तभी से मैं सम्पर्क से बदला लेने की सोचने लगा, लेकिन मैं सही वक्त का इंतजार करने लगा। और उस दिन मैं इस शहर को हमेशा के लिए छोड़कर चला गया। कुछ महीनों बाद मुझे पता चला कि तुमने सम्पर्क से शादी कर ली है। तभी मैंने सम्पर्क का एक्सीडेंट करने का प्लान बनाया। अब मैं सम्पर्क को तुमसे कुछ दिनों के लिए दूर जाने का इन्तजार करनेे लगा, ताकि तुम्हें ये कभी भी पता नहीं चल पाए कि सम्पर्क मेरी बजह से ही मरा है। फिर सम्पर्क के मरने के बाद, मैं तुमसे शादी कर लूंगा। कुछ दिनों बाद, मुझे पता चला कि तुम सम्पर्क को इस शहर में अकेले छोड़कर सम्पर्क की बहन ‘ सिया ’ के साथ कुछ दिनों के लिए लन्दन चली गई हो। उसके बाद मैंने खुद ही सम्पर्क को मारने के लिए एक्सीडेंट किया। इस काम के लिए मैंने ‘रूद्र’ नाम का इस्तेमाल किया। ताकि कोई मुझ तक कभी भी ना पहुंच पाए। सम्पर्क का एक्सीडेंट करने के कुछ दिनों बाद ही मेरा बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया। उसके बाद मैंने अपना बहुत इलाज करवाया लेकिन सभी डॉक्टरों ने मुझसे कहा कि मैं अब बचूंगा नहीं, और मैं कुछ ही दिनों तक जिंदा रहूंगा। मैं मरने से पहले एक बार तुमसे दोस्ती निभाना चाहता था, इसलिए मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता देना चाहता था। तभी मुझे पता चला कि कई दिनों से तुम ‘रूद्र’ के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही हो। इसलिए मैंने तुम्हें यहां पर सबकुछ सच बताने के लिए बुुलाया हैै।’ 

उसके बाद मैंने सुरेश से कहा-” सुरेश, ये तुमने बहुत ही गलत किया।”

तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” मुझे पता है शिप्रा। तभी मैं अपने किये की इतनी बड़ी सजा भुगत रहा हूं।

 फिर जैसे ही मैं वहां से जाने लगी। तभी सुरेश मुझे रोककर कहा-” क्या तुम इस एक्सीडेंट को करवाने में, मेरा साथ देने वाले का नाम नहीं जानना चाहोगी??”

मेरे पैर अचानक ही रुक गये। और मैं तभी सुरेश के पास गई। 

 मैंने सुरेश से पूछा-” सुरेश बताओ मुझे, कौन है वो।”

तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” शिप्रा, उस व्यक्ति को तुम बहुत अच्छी तरह जानती हो।”

मैंने सोचा-” ऐसा कौन हो सकता है, जिसे मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हो।”

तभी सुरेश ने मुझे जो बताया उसे सुनकर मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ। ›

(फ्लैशबैक का अन्त)

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, तुमसे सुरेश ने ऐसा भी क्या कह दिया था ?”

( फ्लैशबैक का आरम्भ)

 ‹ उसने मुझे बताया कि “वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि सिया का पति शल्य है।”

मुझे सुरेश की बातों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ।

तभी मैंने सुरेश से कहा-” सुरेश, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो। शल्य जी, कभी ये सब कर ही नहीं सकते।”

तभी सुरेश ने मुझसे कहा-” मुझे पता था कि तुम मेरी बातों पर भरोसा नहीं करोगी, इसलिए मैं तुम्हें एक वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाना चाहता हूं, जिसे देखने के बाद तुम्हें मेरी बातों पर पूरा भरोसा हो जायेगा।”

 तभी सुरेश ने मुझे एक वीडियो दिखाया।

उस वीडियो में सुरेश और शल्य जी आपका एक्सीडेंट करवाने के बारे में बात कर रहे थे।”

 मैं उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखकर एकदम हैरान रह गई। मुझे यकीन नहीं हो पा रहा था कि शल्य जी ऐसा कभी कर भी सकते हैं।

फिर मैंने सुरेश से पूछा-” शल्य जी ने ऐसा क्यों किया।”

सुरेश ने मुझे बताया-” ये तो मुझे मालूम नहीं है।”

फिर सुरेश से मैं वो वीडियो लेकर वहां से चली आई। › (फ्लैशबैक का अन्त)

 तभी शिप्रा सम्पर्क को वो वीडियो दिखाती है। सम्पर्क उस वीडियो को देखकर हैरत में पड़ जाता है।

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है-” मैं आपको उस समय ये सब बताकर परेशान नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैंने इस बारे में अभी तक किसी को कुछ भी नहीं बताया है। लेकिन आज जब आप पूरी तरह से सही हो गए हैं, इस बात से मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। अब ये बात मैं आपसे छुपा नहीं सकती हूं,‌‌ इसलिए आज मैं आपको ये सब बता रही हूं। सम्पर्क जी, आपका एक्सीडेंट होने के बाद सिया बहन ने हमारी बहुत मदद की है। जब सिया बहन को इस बारे में पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?? इसलिए आप इस बारे में सिया बहन को कभी कुछ भी नहीं बताओगे और ना ही उन्हें किसी भी तरह से पता चलने दोगे।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है शिप्रा। इस बारे में मै सिया दीदी को कभी कुछ भी पता नहीं चलने दूंगा, लेकिन मैं शल्य जी से ये जरूर पूछूंगा कि उन्होंने मेरे साथ ये सब क्यों किया है।”

तभी सम्पर्क शल्य को काॅल करता है। और शल्य को लन्दन से यहां पर आने के लिए कहता है। शल्य सम्पर्क को अगले दिन शाम तक आने की कह देता है।

अगले दिन शाम के समय शल्य लन्दन से आ जाता है।

तभी सिया कहती है-” शल्य तुम यहां पर अचानक ? सबकुछ ठीक तो है ?”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” सिया दीदी, आप चिंता मत कीजिए। मैंने ही शल्य जी को यहां पर एक जरूरी बात करने के लिए बुलाया है।”

 तभी सिया कहती है-” ठीक है सम्पर्क, तुम शल्य के साथ अपनी जरूरी बात करो। तब तक मैं भी शिप्रा के साथ बाहर होकर आती हूं।”

तभी सिया शल्य और सम्पर्क को वहां पर बात करने के लिए अकेले छोड़कर शिप्रा के साथ चली जाती है।

Chapter -6:- असली सच का पता और दरवाजे के पीछे का राज़ 

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शल्य जी, अब सच-सच बताइए कि आपने मेरा एक्सीडेंट क्यों करवाया। आखिर मैंने आपके साथ ऐसा भी क्या किया था।”

 तभी शल्य कहता है-” सम्पर्क, ये तुम क्या कह रहे हो। मैं तुम्हारा एक्सीडेंट क्यों करवऊंगा ?”

तभी सम्पर्क शल्य को वो वीडियो दिखाता है जिसमें शल्य सुरेश के साथ सम्पर्क का एक्सीडेंट करवाने के बारे में बात कर रहा था।

उस वीडियो को देखकर शल्य के पसीने छूट जाते हैं। 

तभी शल्य सम्पर्क से कहता है-” सम्पर्क ये बात बिल्कुल सच है कि मैंने ही तुम्हारा एक्सीडेंट करवाया था। इस बात के लिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं। तुम्हारा एक्सीडेंट मुझे मजबूरी में करवाना पड़ा।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” आपकी ऐसी भी क्या मजबूरी थी, जो आपको मेरा एक्सीडेंट करवाना पड़ा।”

 तभी शल्य कहता है-” सम्पर्क मैं तुम्हें सबकुछ बताता हूं। लेकिन तुम इस वीडियो के बारे में किसी और को नहीं बताना।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है, मैं आपकी बात सुनने के बाद ही सोचूंगा कि ये बात किसी को बतानी चाहिए या नहीं। अब आप मुझे सबकुछ सच-सच बताओ।”

 तभी शल्य कहता है-” ठीक है। तुम्हारी शिप्रा से शादी होने के बाद, जब तुमने मुझे और सिया को अपने बंगले पर बुलाया। तब से सिया हमेशा तुम्हारी और शिप्रा की तारीफ करती रहती थी। इस बात से मैं तुमसे चिढ़ने लगा था। अब मैं तुमसे किसी भी तरह से बदला लेना चाहता था।

तभी मुझे सुरेश मिला वो भी तुमसे बदला लेना चाहता था। फिर मैंने और सुरेश ने तुम्हारा एक छोटा सा एक्सीडेंट करने का प्लान बनाया। लेकिन सुरेश ने तुम्हारा छोटा सा एक्सीडेंट करने की बजाय बहुत बड़ा एक्सीडेंट कर दिया। जिसकी बजह से तुम विकलांग हो गए।”

 तभी शल्य कहता है-” सम्पर्क, अगर ये बात सिया को पता चल गई कि तुम मेरी बजह से ही विकलांग हुए थे। तो सिया मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। इसलिए प्लीज तुम ये बात सिया को बिल्कुल भी मत बताना।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” अब आप मुझसे ये झूठ बोलना छोड़िए और अब मुझे सब सच-सच बताइए कि आपने मेरा एक्सीडेंट क्यों करवाया।”

 तभी शल्य कहता है-” क्या मतलब है तुम्हारा।”

तभी सम्पर्क शल्य को एक वीडियो और दिखाता है। उस वीडियो को देखने के बाद शल्य के पसीने छूट जाते हैं।

 उसके बाद सम्पर्क- कहता है-” शल्य जी ये मान लिया कि आप और सुरेश उस कमरे में मेरे एक्सीडेंट का प्लान बनाने रहे थे। लेकिन उसी कमरे में सिया दीदी पर्दे के पीछे क्या कर रही थीं। इसका मतलब कि सिया दीदी भी इस प्लान में शामिल थीं।

 तभी शल्य कहता है-” तुमने इस वीडियो के बारे में किसी और को बताया तो नहीं।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” अभी तक तो किसी को नहीं। लेकिन अगर आपने अबकी बार मुझे सबकुछ सच-सच नहीं बताया, और मुझसे जरा सा भी झूठ बोला, तो मैं इस वीडियो के बारे मेें और पहले वाले वीडियो के बारे में सभी को बता दूंगा।”

 तभी शल्य कहता है शल्य-” सम्पर्क तुम ऐसा नहीं करना। इस बार मैं तुमसे कोई झूठ नहीं बोलूंगा और तुम्हें केवल सच-सच ही बताऊंगा। “

 उसके बाद सम्पर्क कहता है- “ठीक है, मैं इन दोनों वीडियो के बारे में किसी को भी नहीं बताऊंगा, लेकिन अगर इस बार आपने मुझे कोई भी झूठी कहानी सुनाई, तो फिर आप मुझसे कोई भी उम्मीद नहीं रखना। आप यही सोच रहे होंगे कि ये वीडियो मेरे पास आया कहां से?? इसके बारे में, मैं आपको बाद में बताऊंगा। पहले आप मुझे सच बताइए।”

 शल्य-” ठीक है, सम्पर्क तो सुनो 

(फ्लैशबैक का आरंभ)

« आज से लगभग तीन साल पहले मेरी सिया से शादी होने के बाद, मैं उसी दिन सिया के साथ लन्दन चला गया। वहां पर मैंने अपना एक नया बिजनेस शुरू किया। उस समय मुझे अच्छी तरह से बिजनेस करना नहीं आता था। इसलिए कुछ महीनों बाद ही मेरा बिजनेस घाटे में चलने लगा। मैंने अपने बिजनेस को बहुत बचाने की कोशिश की। लेकिन मैं कामयाब नहीं हो सका। आज से छः महीने पहले तो मेरा बिजनेस पूरी तरह से बर्बाद होने वाला था। अब जल्द से जल्द मुझे कुछ दिनों के लिए एक ऐसे बिजनेस की जरूरत थी। जो मार्केट में बहुत ही अच्छा और बहुत बड़ा हो ,तब ही मेरा बिजनेस बच सकता था। तभी मुझे तुम्हारा ख्याल आया। उस समय तुम्हारा बिजनेस बहुत ही बड़ा हो गया था।

तभी मैंने सिया से कुछ दिनों के लिए तुम्हारा बिजनेस लेकर अपने बिजनेस को बचाने के लिए कहा। लेकिन सिया ने मुझे तुम्हारा बिजनेस मांगने से एकदम इंकार कर दिया। तुम्हारा बिजनेस लेने में मुझे सिया की मदद की बहुत जरूरत थी। इसलिए मैंने सिया को बहुत मनाया। जिसके बाद सिया मान तो गईं।

 उसके बाद सिया ने मुझसे कहा-” शल्य, मैं आखिरी बार इस काम में आपकी मदद करूंगी। लेकिन इसमें सम्पर्क को कोई भी नुकसान नहीं होना चाहिए।”

 तभी मैंने सिया से कहा-” मैं भी आखिरी बार ही सम्पर्क के बिजनेस का सपोर्ट लेना चाहता हूंं। आगे से मैं सम्पर्क को अपनी बजह से कभी परेशान नहीं होने दूंगा। और इस काम में सम्पर्क को कोई नुक़सान नहीं होगा।”

 उसके बाद सिया ने मुझसे कहा-” शल्य, मैं आपकी मदद कर तो देती। लेकिन एक समस्या है, सम्पर्क तो मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं करता। तो मैं आपकी मदद करूंगी कैसे??”

 तभी मैंने सिया से कहा-” इसके लिए मेरे पास एक प्लान है।”

 उसके बाद सिया ने मुझसे कहा-” अच्छा बताओ।”

 तभी मैंने सिया से कहा-” ठीक है सुनो। सिया, मैंने पता किया है कि सम्पर्क किसी सांत्वना नाम की लड़की से बहुत ही जल्द शादी करने वाला है। और मैंने ये भी पता लगाया है कि सांत्वना एक बहुत ही लालची लड़की है। वो सम्पर्क से शादी केवल उसके रूपयों के लिए ही कर रही है। हमें सम्पर्क के सामने सांत्वना की सच्चाई लानी होगी।उसके लिए हमें किसी भी तरह से सम्पर्क का बिजनेस सहित सबकुछ एक-दो दिनों के लिए सम्पर्क से दूर करना होगा। उसके बाद सांत्वना की पूरी सच्चाई सम्पर्क के सामने आ जाएगी। एक-दो दिन बाद तुम सम्पर्क से मिलकर, उसे सबकुछ ही लौटा दोगी और फिर तुम्हें सम्पर्क से इस तरह से बात करनी होगी। जिससे सम्पर्क समझे कि तुम्हें अपनी पुरानी सभी गलतियों का अहसास हो गया है। उसके बाद सम्पर्क तुम पर पहले की तरह ही भरोसा करने लगेगा। उसके बाद तुम्हें आगे क्या करना है। ये मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा।”

 तभी सिया शल्य से कहती है-” ठीक है शल्य। शल्य, एक बात पूछूं क्या??

 उसके बाद शल्य कहता है-” ठीक है पूछो।”

 तभी सिया कहती है-” शल्य जब एक-दो दिनों के लिए सम्पर्क का बिजनेस हमारे पास होगा। तब क्या तुम सम्पर्क के बिजनेस से अपने बिजनेस को बचा नहीं सकते हो।”

उसके बाद शल्य कहता है-” नहीं सिया।”

 तभी सिया कहती है-” लेकिन क्यों??”

 उसके बाद शल्य कहता है-” सिया मेरे बिजनेस का 50% हिस्सा मेरे और 50% हिस्सा तुम्हारे नाम है। इसलिए जब सम्पर्क अपनी मर्ज़ी से अपने बिजनेस को कम से कम एक महीने के लिए तुम्हारे नाम कर देगा, तभी मेरा बिजनेस बच पाएगा।”

 उसके बाद मैं और सिया लन्दन से श्रीकृष्ण नगर आ जाते हैं। और तुम्हारे सामने सांत्वना की सच्चाई ला देते हैं। उसके बाद सिया तुम्हारा सबकुछ लौटा देती है जिससे तुम सिया पर बहुत ज्यादा भरोसा करने लगते हो। मैं आगे के प्लान के बारे में सोच ही रहा था, तभी मेरी मुलाकात सुरेश से हुई। उसने कहा कि वो तुम्हें बहुत अच्छे से जानता है। फिर मैंने सुरेश को अपनी सारी परेशानी बताई। वो मेरी मदद करने के लिए तुरन्त तैयार हो गया। मेरे बहुत पूछने पर भी सुरेश ने मुझे मदद करने की बजह नहीं बताई। सुरेश मुझे तुम्हारे बारे में हर ख़बर देने लगा। जब तुम इस शहर में अकेले रूक गये, तभी मैंने सुरेश से तुम्हारा बहुत छोटा सा एक्सीडेंट करने के लिए कहा, ताकि तुम कुछ दिनों तक अपने बिजनेस को सम्भालने के लिए आफिस ना जा पाओ। और कुछ दिनों के लिए अपने बिजनेस को सिया के नाम कर दो। इस बीच मेरा बिजनेस बच जाएगा।

 फिर मैंने तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे में सिया से बात की। सिया ने मुझे साफ-साफ मना कर दिया।

 फिर सिया ने मुझसे कहा-“शल्य, आपने तो मुझसे कहा था कि इस काम में सम्पर्क को कोई नुकसान नहीं होगा, तो फिर ये एक्सीडेंट क्यों?? मै सम्पर्क से उसके बिजनेस को कुछ दिनों के लिए अपने नाम करने के लिए भी तो कह सकती हूं।”

तभी मैंने सिया से कहा-” सिया, इतने समय बाद सम्पर्क तुम पर बहुत ज्यादा भरोसा करने लगा है। 

अगर तुम सम्पर्क से कुछ दिनों के लिए उसका बिजनेस अपने नाम करने के लिए कहोगी, तो सम्पर्क यही समझेगा कि तुमने अभी तक का सारा नाटक अपने मतलब के लिए ही किया था। उसके बाद सम्पर्क तुम पर कभी भी भरोसा नहीं करेगा और ये भी हो सकता है कि फिर सम्पर्क अपने बिजनेस को तुम्हारे नाम पर कभी भी नहीं करेगा। और उसके बाद मेरा बिजनेस कभी भी बच नहीं पाएगा। इसलिए सम्पर्क एक छोटा सा एक्सीडेंट करवाने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। सिया तुम बस एक बार इस काम में मेरा साथ दे दो। मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा। तुम मुझ पर भरोसा करो, मैं बस एक छोटा सा एक्सीडेंट करवाऊंगा। और इस एक्सीडेंट में सम्पर्क को कोई ज्यादा नुक़सान नहीं पहुंचेगा। इस एक्सीडेंट के बाद, मैं हाॅस्पिटल के डाॅक्टर से बात करके, सम्पर्क को कम से कम एक महीने तक आराम करने के लिए कहलवा दूंगा। इस बीच तुम सम्पर्क के बिजनेस को कुछ दिनों के लिए अपने नाम करा लेना। इस बीच मेरा बिजनेस भी बच जाएगा। उसके एक महीने के बाद, तुम सम्पर्क के बिजनेस को वापस कर देना।

उसके बाद सिया ने मुझसे कहा-” ठीक है शल्य, मैं इस काम में आपका साथ दूंगी। लेकिन आप सम्पर्क को ज्यादा नुक़सान नहीं होने देंगे।”

 फिर मैंने सिया से कहा-” ठीक है सिया। सुरेश इस काम में हमारी मदद कर रहा है। सिया अभी तुम यहीं पर रुको, मुझे सम्पर्क के एक्सीडेंट के बारे में बात करने के लिए सुरेश से मिलने के लिए जाना है। “

तभी सिया ने मुझसे कहा-” ठीक है शल्य। मैं भी आपके साथ सुरेश से मिलने चलूंगी। 

तभी मैंने सिया को समझाया-” नहीं सिया। मैं नहीं चाहता हूं कि इस काम में तुम्हारा नाम सबके सामने आये, इसलिए सुरेश से मिलने मैं अकेले ही जाना चाहता हूं।”

तभी सिया ने मुझसे कहा-” शल्य, आप सुरेश को बात करने के लिए यहीं पर बुला लीजिए। सुरेश के आने के बाद मैं इस कमरे में पर्दे के पीछे छिप जाऊंगी। ताकि मुझे भी पता सके कि आप सम्पर्क के एक्सीडेंट के बारे में सुरेश से क्या बात करते हैं ?” 

 उसके बाद मैंने सिया से कहा-” ठीक है, सिया।”

 तभी मैंने सुरेश को काॅल करके अपने पास ही बुला लिया।। सुरेश के आने के बाद, सिया उस कमरे में पर्दे के पीछे छिप जाती है। और मैं सुरेश से तुम्हारा एक छोटा सा एक्सीडेंट करने के बारे में बात करने लगता हूं। सुरेश भी तुम्हारा एक छोटा सा एक्सीडेंट करने के लिए मान जाता है। शायद तभी सुरेश ने मेरा वीडियो बना लिया होगा। लेकिन सुरेश ने मुझे बहुत बड़ा धोखा दिया। उसने तुम्हारा छोटा सा एक्सीडेंट करने की बजाय, तुम्हारा बहुत ही बड़ा एक्सीडेंट करके तुम्हें मारने की कोशिश की। लेकिन सुरेश की ये कोशिश कामयाब नहीं हुई, लेकिन तुम विकलांग हो गए। मैंने सिया से इस काम के लिए माफी मांगी। फिर जब मुझे इस बात का पता चला कि सुरेश ये सब जानबूझकर किया है, तो मुझे सुरेश पर बहुत गुस्सा आया। मैं तुरन्त सुरेश से मिलने पहुंचा।

सुरेश के पास पहुंचकर मैंने सुरेश से पूछा-” मैंने तो तुमसे सम्पर्क का एक छोटा सा एक्सीडेंट करने के लिए कहा था। फिर तुमने ऐसा क्यों किया है?”

फिर सुरेश ने मुझसे जो कहा जिसे सुनकर मैं एकदम हैरान रह गया।

सुरेश ने मुझसे कहा-” मैंने सम्पर्क का छोटा सा एक्सीडेंट करने के लिए तुम्हारा साथ नहीं दिया था, बल्कि मैंने सम्पर्क को जान से मार देने के लिए तुम्हारा साथ दिया था। लेकिन वो बच गया, और हमेशा के लिए विकलांग हो गया। एक बात और मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं कि इस काम में मैंने तुम्हारी कोई मदद नहीं की, बल्कि तुम्हारा इस्तेमाल किया है। और अगर तुमने मेरे बारे में किसी को कुछ भी बताया तो मैं सबको यही बताऊंगा कि ये सब मैंने तुम्हारे कहने पर ही किया है, इस बात का मेरे पास सुबूत भी है। उसके बाद तुम तो बहुत बुरी तरह से फंसोगे। इसलिए समझदारी इसी में है कि तुम कभी किसी को कुछ भी ना बताओ।”

फिर मैंने सुरेश से पूछा-” आखिर तुम सम्पर्क से बदला क्यों लेना चाहते हो??”

लेकिन सुरेश ने मुझे कुछ भी बताने से साफ-साफ इन्कार कर दिया। उसके बाद मैं वहां से चला आया। तीन दिनों बाद मैंने खुद सुरेश का एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट करके, तुम्हारे एक्सीडेंट का बदला भी ले लिया। कुछ ही दिनों के बाद, तुमने अपना बिजनेस सिया और शिप्रा के नाम छः महीनों के लिए कर दिया। उसके बाद मेरा पूरा बिजनेस बच गया। (फ्लैशबैक का अन्त) »

तभी शल्य सम्पर्क से कहता है -“ इस बार मैंने तुम्हें सबकुछ सच-सच बताया है। सम्पर्क इस सब में सिया की बिल्कुल भी गलती नहीं है। सिया ने जो भी किया है, मेरे कहने पर ही किया है।”

Chapter -7:- रिश्तों की ताकत, नई टेक्नोलॉजी और शिप्रा की मां सम्पर्क के घर में आगमन 

उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शल्य जी, आपकी बातें सुनने के बाद, मैं आपको माफ कर दिया, लेकिन आप भी मुझसे वादा करो कि फिर कभी ऐसा नहीं करेंगे। और हमारे बीच में जो भी बातें हुई है, वो बातें सिया दीदी को कभी भी नहीं बताएंगे। “

तभी शल्य सम्पर्क से कहता है -“ सम्पर्क वादा तो क्या, मैं सिया की क़सम खाता हूं कि अब मैं ये ग़लती दोबारा से नहीं करूंगा। ”

उसके बाद सम्पर्क शल्य से कहता है -“ एक बात आपसे पूछूं। तो क्या आप मुझे सच-सच बताएंगे ?”

तभी शल्य कहता है-” जरूर, सम्पर्क पूछो।”

उसके बाद सम्पर्क शल्य से कहता है -” क्या आप शिप्रा को भी पहले से जानते थे, और क्या आपके कहने पर ही उसने मुझसे शादी की थी ? ”

 तभी शल्य कहता है-” नहीं सम्पर्क, मैं तुमसे बिल्कुल सच कह रहा हूं कि मैं शिप्रा से यहां पर आकर ही मिला हूं। शिप्रा एक बहुत अच्छी लड़की है, और वो तुम्हारी बहुत परवाह करती है। एक बात मैं तुमसे जरुर कहना चाहूंगा कि तुम शिप्रा का साथ कभी मत छोड़ना, आज तुम शिप्रा की बजह से ही सही हो पाये हो।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” शल्य जी, ये तो आपने बिल्कुल सही कहा है।”

 तभी शल्य कहता है-” सम्पर्क मुझे तुमसे एक बात और बतानी है। मैंने तुम्हारे साथ ये सब मजबूरी में किया था। सिया ने मेरा साथ, मेरी परेशानी दूर के लिए ही दिया था। इस सब के लिए, तुम सिया से कभी नाराज़ नहीं होना। शिप्रा तुम्हारा साथ हमेशा ही देती आई है, इसलिए सिया शिप्रा से बहुत खुश रहती है।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है- ” शल्य जी। आप चिंता मत कीजिए। अब मैं ना ही आपसे और ना ही सिया दीदी से बिल्कुल भी नाराज़ हूं। अब तो आपने सिया दीदी की क़सम भी खाई है,और आप वो कसम कभी भी नहीं तोड़ेगी, क्योंकि आप सिया दीदी से बहुत प्यार करते हैं। “

 तभी शल्य सम्पर्क से पूछता है-” सम्पर्क, एक बात मुझे समझ में नहीं आई कि मेरे सुरेश से तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे में बातचीत का वीडियो और सिया के पर्दे के पीछे छिपे रहने वाला वीडियो तुम्हारे पास कहां से आया ? सुरेश को तो सिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था, तो सिया के पर्दे के पीछे छिपे रहने वाला वीडियो तुम्हें दिया किसने ?”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” ठीक है, मैं आपको सबकुछ बताता हूं।”

« (फ्लैशबैक का आरंभ)

आज से दो साल पहले जब मैं शिप्रा को जानता तक नहीं था। उस समय शिप्रा और सुरेश मेरे ऑफिस में ही काम करते थे। सुरेश शिप्रा को बहुत अच्छे से जानता था। मेरे एक्सीडेंट के कुछ दिनों बाद, सुरेश ने शिप्रा से मिलकर वो वाला वीडियो दिखाया, जिसमें आप और सुरेश मेरे एक्सीडेंट करने का प्लान बना रहे थे। शिप्रा ने वो वीडियो सुरेश से लेकर उस समय तो मुझे नहीं दिखाया। लेकिन जब मैं पूरी तरह से सही हो गया। तो कल शिप्रा ने मुझे वो वीडियो दिखाया। उस वीडियो को देखकर मैं एकदम हैरान रह गया, उसके बाद मुझे आप पर बहुत गुस्सा आया। मुझे उस वीडियो पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो पा रहा था। मैंने तुरन्त आपको काॅल की और आपको यहां पर आने के लिए कहा। आपने मुझे अगले दिन शाम तक आने के लिए कह दिया। तभी मुझे ये ख्याल आया कि कहीं वो वीडियो नकली तो नहीं है। उसके बाद मैं इस वीडियो की असलियत जानने के लिए शहर से दूर एक कम्प्यूटर वाले के पास चला गया।

मैंने उस वीडियो के बारे में पूरी जानकारी के लिए, उस कम्प्यूटर वाले से कहा।

लेकिन कम्प्यूटर वाले ने मुझसे कहा-” सर ये वीडियो तो एकदम असली है। और इस वीडियो में कितने लोग हैं ये अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा।”

तभी मैंने उस कम्प्यूटर वाले से कहा-” इस वीडियो में तो दो ही लोग दिखाई दे रहे हैं, जो आपस में बात कर रहे हैं।”

तभी उस कम्प्यूटर वाले ने मुझे बताया-” सर, आजकल एक नई टेक्नोलॉजी आई है, जिसमें किसी भी वीडियो को स्कैन करके उस वीडियो में छिपे सारे लोग दिखाई दे जाते हैं। इसी तरह इस वीडियो को स्कैन करने के बाद पता चल ही जायेगा कि ये वीडियो असली है या नक़ली, और ये भी पता चल जाएगा कि वास्तव में इस वीडियो में कितने लोग हैं।”

तभी मैंने उस कम्प्यूटर वाले से उस वीडियो को जल्दी स्कैन करने के लिए कहा।

उस स्कैन हुए वीडियो को जब मैंने देखा तो मेरे पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई।

उस वीडियो में, कमरे में आप और सुरेश मेरे एक्सीडेंट का प्लान बना रहे थे, और उसी कमरे में सिया दीदी पर्दे के पीछे छिपी साफ-साफ दिखाईं दे रहीं थीं। मैं उस कम्प्यूटर वाले से पहले वाला वीडियो और स्कैन हुए वीडियो की काॅपी लेकर वहां से चला आया। मैंने इस वाले वीडियो के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। उसके बाद मैं आपसे सबकुछ सच-सच जानने के लिए आपका बेसब्री से इंतज़ार करने लगा।”(फ्लैशबैक का अन्त) »

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” आज़ मुझे सबकुछ सच-सच पता चल चुका है। इसलिए अब मुझे इन दोनों वीडियो को अपने पास रखने की कोई जरूरत नहीं है।”

 तभी सम्पर्क उन दोनों वीडियो को अपने पास से डिलीट कर देता है। तभी थोड़ी देर बाद, वहां पर सिया शिप्रा के साथ आ जाती है।

 उसके बाद सिया कहती है-” सम्पर्क तुम्हारी जरूरी बात खत्म ना हुईं हों, तो मैं और शिप्रा फिर से चली जाती हैं।”

 तभी सम्पर्क कहता है-” नहीं सिया दीदी। अब आप और शिप्रा कहीं पर मत जाइये। सिया दीदी, मैं शल्य जी से बिजनेस के बारे में कुछ बातें पूछ रहा था। और मैं शल्य जी से ये भी कह रहा था कि अब तो मैं पूरी तरह से सही हो गया हूं ,इसलिए अब आप सिया दीदी को अपने साथ लन्दन लेकर जाइये। वैसे भी सिया दीदी आप मेरे लिए बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हैं। अब मैं आपको अपनी बजह से और परेशान नहीं करना चाहता हूं। इसलिए मैं शल्य जी से आपको वापस लन्दन ले जाने की कह रहा था।”

उसके बाद सिया कहती हैं-” सम्पर्क, अब तुम्हें क्या मेरा इस घर में रुकना पसंद नहीं आ रहा है।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ नहीं सिया दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने सोचा कि आप मेरे लिए बहुत परेशान हो चुकी हैं, इसलिए मैंने शल्य जी से आपको साथ लेकर जाने के लिए कहा था। ”

 उसके बाद सिया कहती हैं-” सम्पर्क, तुम तो सीरियस हो गये, मैं तो बस मज़ाक कर रही थी।

 ठीक है सम्पर्क, तो मैं कल शाम तक शल्य के साथ लन्दन के लिए निकल जाऊंगी। मेरे जाने के बाद तुम अपना ख्याल रखना।”

 तभी सम्पर्क कहता है- ” सिया दीदी, आप मेरी चिंता मत कीजिएगा, मेरी फिक्र करने के लिए अब तो यहां पर शिप्रा भी है।”

अगले दिन शाम को सिया शल्य के साथ लन्दन जाने के लिए निकल ही रही होती है।

 तभी सिया शिप्रा से कहती है-” शिप्रा, अभी तक जिस तरह तुमने हर मुसीबत में सम्पर्क का साथ दिया है। उसी तरह तुम हमेशा सम्पर्क का साथ देती रहना।”

 उसके बाद शिप्रा सिया को गले लगाकर बोलती है-” सिया बहन, आप बेफिक्र होकर जाइए। मैं सम्पर्क जी का साथ कभी भी नहीं छोडूंगी। अब से मैं आपको सिया बहन नहीं, बल्कि मैं आपको सिया दीदी बोला करुंगी, क्योंकि आपने मेरा बड़ी बहन की तरह साथ दिया है। “

 सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, तुम्हें कभी भी मेरी कोई जरूरत पड़े, तो मुझे काॅल जरुर करना।”

 उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है-” सम्पर्क, तुम भी शिप्रा को कभी दुखी नहीं होने दोगे। और तुम हमेशा शिप्रा का ख्याल रखोगे।”

 तभी सम्पर्क कहता है-” सिया दीदी। अब से शिप्रा की जिम्मेदारी मेरी है। मैं शिप्रा को कभी भी दुखी नहीं होने दूंगा। मैं खुद से भी ज्यादा शिप्रा की परवाह करूंगा।”

 उसके बाद सिया कहती है-” ठीक है सम्पर्क। अब मैं भी लन्दन के लिए बेफिक्र होकर निकल सकती हूं।”

तभी सिया और शल्य लन्दन के लिए निकल जाते हैं।

 उसके बाद शिप्रा सम्पर्क से बोलती है-” सम्पर्क जी, जब आपने शल्य जी से एक्सीडेंट के बारे में पूछा, तो फिर उन्होंने क्या कहा ?”

 तभी सम्पर्क कहता है-” शिप्रा, मैंने जब वो वीडियो शल्य जी को दिखाया तो उन्होंने मुझे बताया कि ये वीडियो एकदम नकली है। उनकी सुरेश से कोई दुश्मनी थी, इसी बजह से सुरेश इस वीडियो के जरिए मेरे और शल्य जी की बीच में बहुत बड़ा झगड़ा करवाना चाहता था, इसलिए सुरेश ने तुमसे मिलकर वो वीडियो तुम्हें दिखाया था। “

 उसके बाद शिप्रा बोलती है-” सम्पर्क जी, मुझे तो लग ही रहा था कि शल्य जी ऐसा करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते हैं। जरुर सुरेश मुझसे झूठ बोल रहा है।

 अच्छा किया जो आपने शल्य जी को यहां पर बात करने के लिए बुला लिया था, और ये गलतफहमी दूर हो गई। “

तभी सम्पर्क शिप्रा से कहता है-” शिप्रा, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं कि मैं अब तुम पर इस पूरी दुनिया में आंखें बन्द करके भरोसा कर सकता हूं। और अब से मैं तुम्हें अपनी बजह से कभी परेशान भी नहीं होने दूंगा।”

 उसके बाद शिप्रा कहती है-” सम्पर्क जी, आज आप ये सब क्यों कह रहे हैं ?”

 तभी सम्पर्क कहता है-” कुछ नहीं शिप्रा। आज़ मेरा तुमसे कहने का मन हुआ, तो मैंने कह दिया है।”

अगले ही दिन वहां पर, शिप्रा की मां भी घूमकर आ जाती है।

सम्पर्क ने शिप्रा से अपनी मां को अपने एक्सीडेंट के बारे में कुछ भी बताने से मना करने का इशारा कर दिया।

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” मां आपने तो बहुत दिन लगा दिए।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है-” हां, सम्पर्क बेटा मुझे लगभग छः महीने हो गए हैं, दरअसल आने के बाद पहले जब मैं किशनगढ़ में अपने घर पर गई, तो वहां पर लोगों ने मुझे बताया कि तुम लोग अब श्रीकृष्णनगर में रहने लगे हो। उसके बाद मैं यहां का पता लेकर तुम लोगों से मिलने यहां पर आ गई। दो-तीन दिनों के बाद, मैं वापस अपने किशनगढ़ वाले घर में लौट जाऊंगी।”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” अच्छा किया मां जो आप यहां पर आ गईं, लेकिन अब से आप यहीं पर हमारे साथ ही रहेंगी।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है-” लेकिन सम्पर्क बेटा, लोग क्या कहेंगे ?”

 उसके बाद सम्पर्क कहता है-” लोगों को जो भी कहना हो, वो कहते ही रहें। लेकिन मां, अगर आप मुझे अपना बेटा समझती हो, तो आप बिना कुछ कहें ही यहां पर रुकेंगी।”

 तभी शिप्रा की मां कहती है-” ठीक है सम्पर्क बेटा।”

अब सम्पर्क शिप्रा के साथ खुशी-खुशी रहने लगता है।

Chapter 8:- शिप्रा के प्रति सम्पर्क का रुखा व्यवहार और सम्पर्क के घर में सिया का आगमन 

अब सम्पर्क शिप्रा से बहुत प्यार करने लगा था। इसी तरह कई महीने बीत जाते हैं, लेकिन समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है, अच्छे समय के बाद जरुर खराब समय आता है। समय बीतने के साथ-साथ अब सम्पर्क का शिप्रा से लगाव कम होने लगा था, वह ज़्यादातर अपने बिजनेस में ही व्यस्त रहने लगा था। अब सम्पर्क एकदम से बदल गया था। अब सम्पर्क शिप्रा की खुशियों पर खास ध्यान नहीं देता था। शिप्रा उसे कहीं घूमने के लिए कहती थी, तो सम्पर्क शिप्रा की बात टाल देता था, और वो शिप्रा के साथ कहीं घूमने के लिए नहीं जाता था। और वो आफिस में देर रात तक काम करता रहता था। और कभी कभी तो वो शिप्रा से बात किये बिना ही आफिस से आने पर सो जाता था। लेकिन शिप्रा को इस बात से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था, वो अपनी खुशी छोड़कर, सम्पर्क की खुशी में ही खुश रहती थी। वो यही समझती थी कि सम्पर्क काम में ज्यादा व्यस्त होने की बजह से ऐसे व्यवहार कर रहा है। धीरे-धीरे सबकुछ सही हो जाएगा। अब ऐसा ही चलने लगा। ऐसे कई और दिन बीत जाते हैं।

एक दिन सुबह शिप्रा सम्पर्क के पास जाकर कहती है-“ सम्पर्क जी,आपके कहने पर मैं घर पर खाली बैठी रहती हूं,अगर आप कहें तो मैं कल फिर से आपके साथ आपके आफिस में आपकी मदद करने के लिए चलूं।”

तभी सम्पर्क ने शिप्रा से कहा -“ नहीं शिप्रा, अभी तक तुमने मेरी बहुत मदद की है, अब तुम सिर्फ आराम करोगी और मैं आफिस में काम करुंगा। अभी आफिस में कुछ ज्यादा काम है, थोड़े दिनों बाद हम कहीं घूमने के लिए जरूर चलेंगे।”

तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, सम्पर्क जी।”

ये कहकर सम्पर्क अपने आफिस के लिए निकल जाता है।

 थोड़ी देर बाद शिप्रा की मां शिप्रा के पास आकर के कहती है -“ शिप्रा, आजकल सम्पर्क बेटा तुमसे ज्यादा बात नहीं करता है। तुम दोनों के बीच सबकुछ सही तो है ना।”

तभी शिप्रा अपनी मां से कहती है -“ नहीं मां, ऐसी कोई बात नहीं है। सम्पर्क जी के आफिस में बहुत काम है।अब तो मैं आफिस में भी नहीं जाती हूं, इसलिए सम्पर्क जी को अकेले ही सारा काम करना पड़ता है। इसी बजह से सम्पर्क जी को कभी-कभी मुझसे बात करने का समय नहीं मिलता। मां, वैसी कोई बात नहीं है।”

तभी शिप्रा की मां कहती है -“ ठीक है, अगर कोई और बात हो तो मुझे बताना। मैं सम्पर्क बेटा को समझाऊंगी। वो मुझे अपनी मां की तरह मानता है, वो मेरी बात जरूर मानेगा।”

 तभी शिप्रा कहती है -“ठीक है मां।”

उसके बाद शिप्रा वहां से चली जाती है।

तभी शिप्रा की मां सोचती है -“ शिप्रा मुझे तुम बताना नहीं चाहती हो, लेकिन तुम्हारे और सम्पर्क के बीच जरूर कोई बात है। मुझे जल्दी ही कुछ करना ही होगा। ये सब मैं ऐसे ही नहीं देख सकती।”

उसके बाद शिप्रा की मां भी वहां से चली जाती है।

तभी अगले दिन शिप्रा के मोबाइल पर एक व्यक्ति की काॅल आती है।

तभी शिप्रा फोन रिसीव करके बोलती है-“ हैलो कौन बोल रहा है।

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है-“ मैं शान्तनु बोल रहा हूं।”

तभी शिप्रा फोन पर बोलती है -“ कौन शान्तनु ? मैंने तुम्हें पहचाना नहीं।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, मैं तुम्हें याद दिलाता हूं-

 कई साल पहले, मैं तुम्हारे गांव किशनगढ़ में ही तुम्हारे घर के पास रहता था, उस गांव में तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी। उसके बाद मैं पढ़ाई के सिलसिले में गांव से बाहर चला गया। आज मैं एक बहुत बड़ा डाक्टर बन गया हूं। आज से कुछ दिनों पहले, जब मैं तुम्हारे गांव में गया, तो वहां मैंने तुम्हारे और तुम्हारी मां शान्ती जी के बारे में पूछा, तो मुझे लोगों से पता चला कि तुमने श्रीकृष्णनगर में किसी सम्पर्क नाम के एक लड़के से शादी कर ली है, और तब से तुम अपनी मां के साथ वहीं पर रह रही हो। और मुझे तुम्हारा मोबाइल नंबर भी वहीं से मिला है। मैंने तो ये भी सुना है कि सम्पर्क उस शहर का सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक है।सम्पर्क में जरुर ऐसी कोई बात होगी, जो तुमने सम्पर्क को पसन्द किया है। अब तो मैं भी श्रीकृष्णनगर के सबसे प्रसिद्ध अस्पताल ‘ सिद्धिविनायक ’ में डाक्टर की पदवी पर हूं। मैं तुम्हें अभी अपना पता भेजता हूं। आखिर मैं भी सम्पर्क से मिलनकर देखना चाहता हूं कि सम्पर्क में ऐसा भी क्या है, जो तुमने सम्पर्क को पसन्द कर शादी कर ली है। मैं तुमसे तुम्हारे पति के साथ जल्द ही मिलना चाहता हूं।”

तभी शिप्रा फोन पर शान्तनु से कहती है -“ ठीक है, मैं तुमसे सम्पर्क जी के साथ जल्दी ही मिलने आऊंगी।”

तभी फोन पर दूसरी तरफ से शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, शिप्रा, मैं अभी तुम्हें अपना पता भेजता हूं ताकि तुम्हें मुझे सम्पर्क के साथ मिलने आने में कोई परेशानी नहीं हो। ठीक है, तो अभी मैं काॅल काटता हूं। ”

तभी शिप्रा फोन पर शान्तनु से कहती है-“ ठीक है।”

तभी शिप्रा के मोबाइल पर काॅल कट जाती है। थोड़ी देर बाद शिप्रा के मोबाइल पर शान्तनु की तरफ से एक पता आता है। उस पते को देखने के बाद, अब शिप्रा सम्पर्क के आफिस से वापस लौट कर आने का इन्तज़ार करने लगती है।

देर रात को जब सम्पर्क आफिस से लौटकर घर आता है।

 जब वो खाना खाने के बाद सोने के जा रहा होता है,

 तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है-“ सम्पर्क जी, क्या आप कल कुछ देर के लिए मेरे लिए समय निकाल सकते हैं।”

तभी सम्पर्क शिप्रा से कहता है-“ क्यूं क्या हुआ ?”

तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है -“सम्पर्क जी, दरअसल आज मेरे पास मेरे एक बहुत पुराने दोस्त की काॅल आई थी, और वो आपसे मिलना चाहता है, इसलिए कल मुझे आपके साथ उससे मिलने के लिए जाना है।”

तभी सम्पर्क शिप्रा से कहता है-“ शिप्रा मैंने तुम्हें कल सुबह 

ही बताया था कि अभी मैं कहीं नहीं जा सकता हूं, मैं तुम्हारे दोस्त से फिर कभी मिल लूंगा। अच्छा अभी मैं सोने जा रहा हूं।”

शिप्रा दुखी होकर कहती है-“ ठीक है, सम्पर्क जी।”

तभी सम्पर्क सो जाता है।

 उसके बाद शिप्रा दुखी होकर सोचती है-“ सम्पर्क जी, आप कितने बदल गए हो।”

उसके बाद शिप्रा भी सो जाती है।

अगले दिन सुबह ही सम्पर्क अपने आफिस के लिए निकल जाता है। सम्पर्क के आफिस में जाने के थोड़ी देर बाद ही उस घर के दरवाज़े की घंटी बजती है, उस समय उस घर में केवल शिप्रा और शान्ती जी ही थीं। तभी शिप्रा उस घर का दरवाज़ा खोलने जाती है।

जैसे ही शिप्रा ने दरवाज़ा खोला, वह हैरान होकर बोलती है-“ आप यहां।”

दरवाज़े पर सिया शल्य के साथ होती है।

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, आप यहां अचानक ।”

तभी सिया शिप्रा से हंसकर बोलती है-“ अब क्या दरवाज़े पर खड़े रहकर ही सारे सवाल पूछोगी या अन्दर भी आने दोगी।”

तभी शिप्रा सिया से हंसकर कहती है -“ नहीं सिया दीदी, आप अन्दर आइए।”

उसके बाद शिप्रा सिया से गले मिलती है और फिर कहती है-“ सिया दीदी, आपके आने से मुझे बहुत खुशी हुई, मुझे आपकी बहुत याद आती थी।”

तभी शिप्रा की मां आ जाती है।

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, तब तक आप मां से बात कीजिए, तब तक मैं आपके और शल्य जी के लिए नास्ते का इंतजाम करती हूं।

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ ठीक है।”

उसके बाद शिप्रा अन्दर किचन में चली जाती है।

शिप्रा के जाने के बाद, सिया शिप्रा की मां से कहती है -“ शान्ती जी, परसों जैसे ही आपकी मुझे काॅल आई और अपने मुझे बताया कि शिप्रा और सम्पर्क के बीच में कुछ सही नहीं चल रहा है, और अब सम्पर्क देर रात तक काम में ही व्यस्त रहता है। उसके बाद मैं शल्य के साथ कुछ हफ्तों के लिए यहां पर रहने के लिए आ गई। अब जब तक सम्पर्क और शिप्रा के बीच में सबकुछ सही नहीं हो जाता, मैं यहीं पर रहूंगी, और शल्य दो-तीन दिनों के बाद अकेले ही लन्दन वापस लौट जाएंगे।”

तभी शान्ती जी सिया से कहती है -“ सिया, तुमने ये बहुत ही अच्छा किया जो मेरे कहने पर यहां तुरंत ही चली आईं।”

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ शान्ती जी, मुझे तो यहां आना ही था, आखिर शिप्रा ने सम्पर्क के लिए इतना कुछ किया है जो कोई भी नहीं कर सकता, और शिप्रा ने सम्पर्क के लिए मेरी चिंता भी दूर कर दी। मैं शिप्रा को बिल्कुल अपनी छोटी बहन समझती हूं। शान्ती जी, अब मुझे बताइए कि सम्पर्क और शिप्रा के बीच आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो आपको मुझे यहां अचानक बुलाना पड़ गया।”

तभी शान्ती जी सिया से कहती है -“ सिया, सम्पर्क और शिप्रा के बीच ऐसी भी कोई बात नहीं हुई है, लेकिन अब सम्पर्क शिप्रा की खुशियों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है। अब सम्पर्क हमेशा ही अपने आफिस में व्यस्त रहता है, और देर रात तक वापस आता है। सम्पर्क अब कभी शिप्रा के साथ कहीं घूमने भी नहीं जाता है। मैंने शिप्रा से कई बार सम्पर्क और उसके बीच में परेशानी के बारे में पूछने की कोशिश की, लेकिन शिप्रा ने मुझे अपनी और सम्पर्क के बीच में परेशानी के बारे में कुछ भी नहीं बताया। फिर मैंने तुम्हें बुलाने की सोची, क्योंकि शिप्रा तुम्हें अपनी बड़ी बहन समझती है, इसलिए वो तुमसे कुछ नहीं छिपाएगी। इसी बजह से मैंने तुम्हें बुलाया है।”

उसके बाद सिया शिप्रा की मां से कहती है -“ शान्ती जी, ये आपने बहुत अच्छा किया। अब आप सम्पर्क और शिप्रा की चिंता छोड़ दीजिए, अब मैं आ गई हूं, मैं सम्पर्क और शिप्रा के बीच में सबकुछ सही कर दूंगी।”

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ शान्ती जी, मैं इस घर में बहुत महीनों के बाद आई हूं।”

लेकिन ये बात सिया को बिल्कुल भी पता नहीं थी कि उसके इस घर में आने के साथ ही उस घर में ऐसा कुछ ख़तरनाक होने वाला था, जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था।

तभी शिप्रा नास्ता लेकर आ जाती है। तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, पहले आप कुछ नास्ता कर लीजिए, बाद में आप मां से बात करते रहियेगा।”

सिया और शल्य नास्ता के करने के थोड़ी देर के बाद, सिया अकेले ही शिप्रा के कमरे में जाती है जब शिप्रा अपने कमरे में अकेली होती है।

उसके बाद सिया शिप्रा से पूछती है -“ शिप्रा मुझे शान्ती जी ने फ़ोन पर बताया कि तुम्हारे और सम्पर्क के बीच में कुछ ठीक नहीं है। शिप्रा मुझे तुम सच-सच बताओ कि क्या ये सब सच है ?”

तभी शिप्रा की आंखों में आसूं आ जाते हैं और वो सिया से कहती है -“ हां सिया दीदी, ये सब सच है, अब सम्पर्क जी बहुत बदल गए हैं, अब वो पहले की तरह नहीं रहे हैं।”

तभी शिप्रा सिया से गले मिलकर रोने लगती है। तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ शिप्रा शान्त हो जाओ, मैं यहां पर सिर्फ तुम्हारी बजह से आई हूं, जब तक तुम्हारे और सम्पर्क के बीच में सबकुछ सही नहीं हो जाता, मैं यहीं पर रहूंगी।”

तभी शिप्रा रोना बन्द कर सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

तभी सिया शिप्रा से पूछती है -“ तो अभी सम्पर्क अपने आफिस गया है ना।”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ हां, सिया दीदी।”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है।”

उसके बाद सिया शिप्रा के कमरे से बाहर चली जाती है।

उस दिन भी देर रात को सम्पर्क अपने आफिस से घर वापस आता है। तभी सम्पर्क सिया को वहां अचानक देखकर खुश हो जाता है।

तभी सम्पर्क सिया से पूछता है -“ सिया दीदी, आप यहां अचानक कैसे ?”

उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है -“ मुझे तुम्हारी और शिप्रा की बहुत याद आ रही थी, इसलिए मैं शल्य के साथ कुछ हफ्तों के लिए यहां पर आ गई, और शल्य दो-तीन दिनों बाद लन्दन वापस लौट जाएंगे, और मैं कुछ हफ्तों बाद जाऊंगी।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, आपने यहां आकर बहुत ही अच्छा किया, लेकिन सिया दीदी अगर आप मुझे पहले ही बता देती, तो मैं आफिस से जल्दी आ जाता।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी, इसलिए मैंने तुम्हें पहले नहीं बताया। ठीक है सम्पर्क, अभी बहुत रात हो गई है, इसलिए तुम सो जाओ, हम कल सुबह बात करेंगे।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

उसके बाद सम्पर्क सोने के लिए चला जाता है।

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ शिप्रा तुमने ठीक कहा था, अब सम्पर्क आफिस के काम में बहुत व्यस्त रहने लगा है, कल सुबह मैं सम्पर्क से इस बारे में जरुर बात करुंगी। अभी हम दोनों भी सोने जाते हैं, शान्ती जी और शल्य तो काफी देर पहले ही सो चुके हैं।

तभी सिया और शिप्रा भी सोने चले जाते हैं।

Chapter 9:- शिप्रा की एक्सीडेंट में हुई अचानक मौत 

अगले दिन सुबह ही शिप्रा, शिप्रा की मां ‘ शान्ती जी ’ और शल्य घर से बाहर घूमने के लिए गये हुए थे। सिया उस घर में अकेली ही थी। तभी सम्पर्क अपने आफिस जाने के लिए निकलने लगता है। 

 उसी समय सिया सम्पर्क को रोककर कहती है -“ सम्पर्क, इतनी सुबह-सुबह कहां जा रहे हो।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, मेरे आफिस में बहुत काम हो गया है, इसलिए अभी मैं अपने आफिस में जा रहा हूं।”

तभी सिया सम्पर्क को समझाती है -“ सम्पर्क, रुपए कमाना अच्छी बात है, क्योंकि ज्यादातर जगहों पर रुपए ही काम आता है। लेकिन रुपए की बजह से उन रिश्तों को भुला देना जिन्होंने तुम्हारे हर बुरे वक्त में साथ दिया है, बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है।

सम्पर्क मैंने सुना है कि आजकल तुम शिप्रा को बिल्कुल भी समय नहीं दे रहे हो। सम्पर्क, शिप्रा आखिर तुम्हारी पत्नी है। उसने तुम्हारा हर उस वक्त में साथ दिया था जब सब ने तुम्हारा साथ छोड़ दिया था, इसलिए तुम्हें भी शिप्रा की हर छोटी-बड़ी खुशी का ख्याल रखना चाहिए।

 और रही बात तुम्हारे आफिस में बहुत सारे काम की तो मैंने पहले भी तुम्हारा बिजनेस सम्हाला है, तो उसमें अभी भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी। ”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ नहीं सिया दीदी, आपको मेरे बिजनेस में मदद करने की कोई जरूरत नहीं है। सिया दीदी, अब मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो गया है, मैंने अपना पूरा ध्यान केवल अपने बिजनेस पर ही लगा दिया था, मैंने शिप्रा की खुशियों की ओर ध्यान देना छोड़ ही दिया था, फिर भी कभी भी उसने मुझसे कोई शिकायत नहीं की।

 सिया दीदी, अब मैं अपनी हर एक ग़लती को सुधारुगा, और अब से मैं शिप्रा को बिल्कुल भी दुखी नहीं होने दूंगा।

ये कहकर सम्पर्क घर के अन्दर चला जाता है। उसके बाद सिया भी अपने कमरे में चली जाती है।

 थोड़ी देर बाद शिप्रा उस घर में वापस आ जाती है।

 तभी सम्पर्क शिप्रा के पास आकर कहता है -“ शिप्रा मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया, केवल अपने बिजनेस की तरफ ही ध्यान देता रहा। शिप्रा आगे से मैं ये गलती दोबारा से कभी नहीं करूंगा, बस आखिरी बार मुझे माफ कर दो। ”

तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है -“ कोई बात नहीं, सम्पर्क जी। आप मुझसे माफ़ी मत मांगिए, जो भी हुआ उसे मैं और आप बुरी यादें समझकर भूल जाते हैं।”

तभी सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, अब से मैं तुम्हें बिल्कुल भी दुखी नहीं होने दूंगा।”

तभी सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ शिप्रा, लगभग दो दिनों पहले, तुम मुझसे कह रही थीं कि तुम्हें मेरे साथ अपने एक दोस्त से मिलने जाना है, तो मैं आज ही तुम्हारे साथ तुम्हारे उस दोस्त से मिलने के लिए चलता हूं।”

तभी शिप्रा सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, सम्पर्क जी। अभी मैं तैयार होकर आती हूं। ”

थोड़ी देर बाद शिप्रा तैयार होकर आती है, और तभी वो सम्पर्क को साथ लेकर शान्तनु द्वारा बताए गए पते पर पहुंच जाती है। वो वहां के प्रसिद्ध ‘ सिद्धिविनायक हास्पिटल ’ के एक कमरे का पता था।

जब शिप्रा सम्पर्क को साथ लेकर उस पते पर पहुंचती है, तो वहां पर शान्तनु मौजूद नहीं होता है। शिप्रा शान्तनु को चारों ओर ढूंढती है, लेकिन शान्तनु उसे कहीं नहीं मिलता है, तो वो रिसेप्शन पर अकेले ही जाकर के पूछती है -“ यहां पर डाॅ. शान्तनु कहां मिलेंगे।”

तभी रिसेप्शन पर एक लड़की शिप्रा से बोलती है -“ मैंम डाॅ.शान्तनु तो किसी काम से शहर से बाहर गये हुए हैं, और वो दो दिनों बाद वापस आयेंगे।”

उसके बाद शिप्रा सम्पर्क के पास वापस लौट आती है।

तभी सम्पर्क शिप्रा से पूछता है -“ वैसे तुम्हारे उस दोस्त का नाम क्या है ?”

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ मेरे उस दोस्त का नाम शान्तनु है, वो मेरे बचपन का दोस्त है और वो इसी हास्पिटल में एक बहुत बड़ा डाॅक्टर है। मैंने यहां की रिसेप्शन पर जाकर पूछा था, तभी वहां पर मुझे पता चला कि वो दो दिनों के लिए इस शहर से बाहर गया हुआ है। मैं आपको उससे दो दिनों के बाद मिला दूंगी।

तभी सम्पर्क शिप्रा से बोलता है -“ ठीक है, तो अभी हम घर पर चलते हैं।”

तभी सम्पर्क शिप्रा के साथ अपने घर पर चला आता है। उसी दिन रात को सम्पर्क पूरे परिवार के साथ बाहर खाना खाने के लिए के लिए जाता है।

 अगले ही दिन सम्पर्क शिप्रा के साथ घूमने के लिए जाता है।

 अब सम्पर्क शिप्रा का बहुत ध्यान रखने लगा 

था। इसी तरह दो दिन बीत जाते हैं। अब उस घर के सभी लोग सम्पर्क और शिप्रा को लेकर बहुत खुश थे। अब जल्द ही उस घर में कुछ बहुत बड़ा होने वाला था।

अगले दिन सुबह ही, शल्य सिया को वहां पर छोड़कर लंदन वापस लौट जाता है।

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क तुम आज ही शिप्रा को साथ लेकर कुछ दिनों के लिए शहर के बाहर घूमने के लिए चले जाओ।”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। थोड़ी देर बाद, मैं शिप्रा के साथ अपनी गाड़ी से घूमने के लिए निकल जाता हूं।”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ लेकिन सिया दीदी, आज मैं सम्पर्क जी को साथ लेकर अपने दोस्त ‘ डॉ. शान्तनु ’ से मिलवाने के लिए जाना चाहती थी।”

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ तुम घूमकर वापस आने के बाद सम्पर्क को अपने दोस्त से मिलवाने चली जाना।”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी। जैसा भी आपको सही लगे। मैं अपने दोस्त से लौट कर वापस आने के बाद ही मिलने चली जाऊंगी।”

थोड़ी देर के बाद शिप्रा तैयार होकर सम्पर्क के साथ अपनी गाड़ी से घूमने के लिए निकल जाती हैं।

 घर से निकलने के कुछ घंटों के बाद ही, शिप्रा और सम्पर्क का एक बहुत ही बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है। उस एक्सीडेंट में सम्पर्क उछलकर अपनी गाड़ी से बाहर गिरकर बच जाता है, उसे ज्यादा चोट भी नहीं लगती है, लेकिन शिप्रा गाड़ी के साथ दूर पानी में जाकर गिर जाती है। सम्पर्क शिप्रा को चारों ओर बहुत ढूंढता है, लेकिन शिप्रा उसे कहीं भी नहीं मिलती है। जब वो शिप्रा को ढूंढ-ढूंढकर थक जाता है, तो वो वापस अपने घर पर लौट आता है।

सम्पर्क को ऐसी हालत में देखकर सिया और शान्ती जी सम्पर्क से पूछती हैं -“ सम्पर्क तुम्हें ये चोटें कैसे लगीं, और शिप्रा कहां है ? ”

तभी सम्पर्क घबराकर सिया से कहता है -“ सिया दीदी, शिप्रा वो???”

उसके बाद सिया घबराकर सम्पर्क से पूछती है -“ सम्पर्क, साफ-साफ बताओ कि शिप्रा को क्या हुआ है ?”

तभी सम्पर्क बताता है -“ हमारा एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें मैं उछलकर गाड़ी से बाहर गिर गया था, लेकिन शिप्रा गाड़ी में ही थी, और शिप्रा का गाड़ी के साथ कुछ भी पता नहीं चल रहा है। लेकिन आप लोग फिक्र मत करिए, मैं शिप्रा को ढूंढने के लिए जमीन आसमान एक कर दूंगा।”

तभी सम्पर्क अपने फोन से किसी व्यक्ति को काॅल करके कहता है -“ हैलो, मेरी पत्नी ‘ शिप्रा ’ का एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया है, और वो कहीं मिल नहीं रही है, मेरी पत्नी मेरी गाड़ी में ही है। चाहे कितना भी रुपया खर्च क्यों न हो जाए, लेकिन आज शाम तक तुम लोगों को मेरी पत्नी को ढूंढना ही होगा। और एक्सीडेंट वाली जगह पर मैं भी तुम्हारे साथ आऊंगा।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, सर । आप मुझे अपनी गाड़ी की जानकारी जिसमें आपकी आपकी पत्नी बैठी थी, अपनी पत्नी की तस्वीर और एक्सीडेंट की जगह का पता भेज दीजिए।”

तभी सिया और शिप्रा की मां ‘ शान्ती जी ’ सम्पर्क से उसके साथ एक्सीडेंट वाली जगह पर चलने की ज़िद करते हैं।

तभी सम्पर्क फोन पर कहता है -“ ठीक है, मैं अभी सारी जानकारी भेजता है। लेकिन मैं और मेरे घर के दो लोग तुम्हारे साथ चलेंगे।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, सर।”

ये कहकर सम्पर्क काॅल कट कर देता है। तभी थोड़ी देर बाद सम्पर्क उस फोन नंबर पर सारी जानकारी भेज देता है। कुछ देर के बाद ही सम्पर्क अपने परिवार के लोगों के साथ शिप्रा को ढूंढने के लिए एक्सीडेंट वाली जगह पर पहुंच जाता है। सम्पर्क ने जहां फोन किया था, वहां से 8-10 व्यक्ति उस एक्सीडेंट वाली जगह पर शिप्रा को ढूंढने के लिए आ जाते हैं। 

उसके बाद सिया शिप्रा की मां से कहती है -“ शान्ती जी, आप यहीं रुकिए, मैं बाकी सभी लोगों के साथ शिप्रा को ढूंढती हूं।”

तभी शिप्रा की मां रोते हुए सिया से कहती है -“ नहीं, मैं भी शिप्रा को ढूंढने के लिए चलूंगी।”

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ ठीक है, चलिए।”

उसके बाद सम्पर्क और बाकी सभी व्यक्ति शिप्रा को ढूंढने लगते हैं।

शिप्रा को ढूंढते-ढूंढते कई घंटे बीत गए थे, लेकिन अभी तक शिप्रा के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था।

 तभी उनमें से एक व्यक्ति कहता है -“ सम्पर्क सर, यहां पास में ही एक नदी है, शायद शिप्रा मैम गाड़ी सहित उस नदी के आस-पास हो, इसलिए हमें वहां भी ढूंढना चाहिए। ”

तभी सम्पर्क कहता है -“ ठीक है, हम सब लोग वहां ही चलते हैं, शाय़द शिप्रा वहां पर ही मिल जाए।”

उसके बाद सम्पर्क सभी लोगों के साथ नदी के आस-पास शिप्रा को ढूंढने लगता है। तभी उन सभी लोगों को वहां पर एक गाड़ी नदी में गिरी हुई दिखाई देती है। वो वही गाड़ी थी, जिसमें शिप्रा बैठी हुई थी। वे सभी लोग उस गाड़ी को नदी से बाहर निकालते हैं, लेकिन उस गाड़ी में शिप्रा नहीं होती है। उसके बाद वे सभी लोग शिप्रा को नदी में ढूंढने लगते हैं, लेकिन कई घंटे ढूंढने के बाद भी शिप्रा का कहीं कोई पता नहीं चलता है।

तभी उसी दिन शाम हो जाने पर, एक व्यक्ति सम्पर्क के पास आकर के कहता है-” सम्पर्क सर, आप अपने परिवार के सभी लोगों को साथ लेकर अपने घर पर लौट जाइए, तब तक हम लोग शिप्रा मैम को नदी में ढूंढते हैं, शिप्रा मैम के बारे में अगर हमें कुछ भी पता चलता है तो हम आपको बता देंगे।”

तभी सम्पर्क कहता है-“ ठीक है, तुम लोग शिप्रा को अच्छी तरह से ढूंढना और रुपयों की बिल्कुल भी फ़िक्र मत करना।”

 उसके बाद सम्पर्क अपने परिवार के साथ अपने घर पर लौट आता है। लगभग तीन दिनों तक लगातार शिप्रा को ढूंढने के बाद भी शिप्रा के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था। अब वो लोग शिप्रा को थककर ढूंढना छोड़ देते हैं, और शिप्रा को मरा हुआ मान लेते हैं। उसके बाद वे लोग सम्पर्क को फोन करके शिप्रा के बारे में बता देते हैं।अब सम्पर्क, शान्ती जी और सिया भी शिप्रा को मरा हुआ मानकर रोने लगते हैं। उसके बाद सिया रोते हुए लंदन कॉल करके शल्य को शिप्रा के बारे में सबकुछ बता देती है, और कुछ हफ्तों तक सम्पर्क के पास रुकने के लिए कह देती है।

 अब सम्पर्क और सिया दुखी रहने लगते हैं, लेकिन शान्ती जी शिप्रा को याद करके हमेशा रोती ही रहतीं थीं।

 लगभग सात दिनों बाद, शिप्रा की मां सम्पर्क के पास आकर के कहती है -“ सम्पर्क बेटा, मुझे तुमसे एक बात करनी है।”

तभी सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ ठीक है, मां बोलिए।”

तभी शान्ती जी सम्पर्क से कहती हैं -“ सम्पर्क बेटा, अब शिप्रा इस दुनिया में नहीं है, तो मैं सोच रही थी कि मैं यहां से अपने घर ‘ किशनगढ़ ’ में रहने के लिए चली जाऊं।”

तभी सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ क्या मां आप केवल शिप्रा को ही अपनी बेटी मानती थीं, जो आप मुझे इस हालात में छोड़कर जा रही हो।”

तभी शान्ती जी सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, मेरे लिए तुम और शिप्रा बिल्कुल बराबर थे, अब शिप्रा तो इस दुनिया में रही नहीं। इसलिए अब मैं तुम्हें छोड़कर कभी भी कहीं नहीं जाऊंगी, और ना ही तुमसे फिर कभी ऐसी बात करुंगी।”

तभी सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ ठीक है, मां।”

उसके बाद शान्ती जी वहां से चली जाती हैं।

उसके बाद सम्पर्क शिप्रा के दुख को भुलाने के लिए अपने आफिस में जाने लगता है। सिया और शान्ती जी गुमसुम से रहने लगते हैं। इसी तरह कुछ हफ्ते और बीत जाते हैं।

Chapter 10:- सम्पर्क की सांत्वना के साथ शादी तय

एक दिन जब सम्पर्क आफिस गया हुआ था, सिया और शान्ती जी उस घर में अकेले ही थे, तभी अचानक कोई दरवाज़े पर दस्तक देता है। जैसे ही सिया दरवाज़ा खोलने जाती है, 

वैसे ही सिया एकदम हैरान हो जाती है, उसके बाद वह हैरान होकर बोलती है -“ तुम, यहां पर ?”

दरवाज़े पर और कोई नहीं बल्कि ‘ सांत्वना ’ होती है, जिससे पहले सम्पर्क की शादी होने वाली थी।

वहां पर सांत्वना को देखकर गुस्से में सिया उससे कहती है कहती है -“ अब तुम यहां पर किसलिए आई हो।”

तभी सांत्वना नरमी से सिया से कहती है -“ सिया दीदी,‌‌ आपका मुझ पर गुस्सा करना एकदम सही है, आखिर मैं इसी लायक हूं। मैंने आप सभी के साथ बहुत ही बुरा किया था, लेकिन अब मैं पहले की तरह नहीं रही हूं, अब मैं बदल गई हूं। सिया दीदी, जब मैंने सुना कि शिप्रा अब इस दुनिया में नहीं रही है, तो मुझे बहुत दुखी हुआ। उसके बाद मैं अपने आपको यहां पर आने से रोक नहीं पाई, और मुझे आपसे माफी भी मांगनी थी। मैं सम्पर्क से उसके आफिस में जाकर पहले ही उससे माफी मांग चुकी हूं, और सम्पर्क ने मुझे माफ भी कर दिया है। उसके बाद मैं यहां पर आपसे माफ़ी मांगने के लिए आ गई हूं। सिया दीदी, आप मुझे मेरी सारी पुरानी गलतियों के लिए बस एक बार माफ कर दीजिए, और मुझे बस एक आखिरी मौका और दे दीजिए, मैं आपको यकीन दिलाती हूं कि मैं फिर कभी आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी।” 

तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ ठीक है, लेकिन फिर कभी ऐसी ग़लती नहीं करना।”

उसके बाद सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

तभी सांत्वना शान्ती जी के पास जाकर कहती है -“ आण्टी जी, आपके साथ बहुत ही बुरा हुआ । मैं शिप्रा की जगह तो कभी नहीं ले सकती, लेकिन मैं आपकी बेटी बनने की पूरी कोशिश करूंगी।”

तभी शान्ती जी सांत्वना से पूछती हैं -“ बेटी तुम कौन हो, मैंने तुम्हें पहचाना नहीं ?”

तभी सांत्वना शान्ती जी से कहती है -“ आण्टी जी मेरा नाम सांत्वना है, आपको मेरे बारे में शिप्रा ने पहले बताया होगा।पहले मैं बहुत घमंडी लड़की हुआ करती थी, आज से कई महीनों पहले मैं सम्पर्क से शादी करने जा रही थी, लेकिन मैंने अपने घमंड में आकर सम्पर्क से शादी करने से मना कर दिया, उसके बाद शिप्रा ने मुझे बहुत सुनाया, उसके बाद शिप्रा ने सम्पर्क से शादी कर ली। शिप्रा की बातें सुनने के बाद मुझे बहुत गुस्सा आया, लेकिन शिप्रा द्वारा कही हुई बातों की बजह से आज मैं पूरी तरह सुधर गई हूं। अब मैं अपनी पहली की सारी गलतियों को सुधारना चाहती हूं, जिनसे इस घर के सभी को बहुत दुख पहुंचा है। अब मैं आप सभी लोगों अपनी बजह से कोई भी दुःख पहुंचने नहीं दूंगी।”

उसके बाद सांत्वना हाथ जोड़कर शान्ती जी और सिया से कहती है -“ ठीक है, तो अब मैं चलती हूं, मैं दोबारा से फिर कभी आप सभी लोगों को परेशान करने नहीं आऊंगी। ”

उसके बाद शान्ती जी सांत्वना से कहती हैं -“ सांत्वना बेटी,अगर तुम्हें अपनी पुरानी गलतियों का एहसास है, तो हमें भी पुरानी बातें याद नहीं रखनी चाहिए, और तुम्हारे इस घर में आने से मुझे भी अच्छा लग रहा है, और मैं कुछ देर के लिए अपने के दुख को भूल गई थी, इसलिए तुम यहां पर आती रहना।”

तभी सांत्वना शान्ती जी से कहती है -“ ठीक है, आण्टी जी।”

उसके बाद सांत्वना वहां से चली जाती है।

उसी दिन शाम के समय जब सम्पर्क आफिस से लौटकर घर वापस आता है, तो सिया सांत्वना के घर पर आने के बारे में सम्पर्क को सबकुछ बताती है।

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, आज सांत्वना ने मुझे काॅल करके पहले ही बता दिया था कि वो आपसे माफ़ी मांगने जा रही है। सिया दीदी, सांत्वना अब पहले की तरह नहीं रही है। सिया दीदी, जब सांत्वना मुझसे माफ़ी मांगने के लिए मेरे आफिस में आई थी, तो रो-रोकर मुझसे माफ़ी मांग रही थी, इसलिए मैंने तो सांत्वना को माफ भी कर दिया है। क्योंकि पहले सांत्वना ना किसी से माफी मांगती थी और ना ही किसी के सामने कभी रोती थी, इसलिए सिया दीदी मुझे लगता है कि सांत्वना अब सचमुच में बदल गई है, और वैसे भी पुरानी बातें याद रखने का कोई फायदा भी नहीं है। ”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, सम्पर्क। जैसा तुम्हें सही लगे, लेकिन अभी मुझे सांत्वना पर भरोसा नहीं हो पा रहा है।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। आप सांत्वना को कुछ दिन और परख लीजिए।”

अब सांत्वना लगभग रोज़ ही सम्पर्क के घर पर आने लगती है, कुछ ही दिनों में सम्पर्क और शान्ती जी शिप्रा के दुख को भूलकर सांत्वना के साथ बहुत खुश रहने लगते हैं, लेकिन सिया सांत्वना के साथ ज्यादा खुश नहीं थी, लेकिन सांत्वना के व्यवहार से लग रहा था कि अब वो बदल चुकी है।

 

उसी दिन सांत्वना के वापस जाने के बाद सम्पर्क सिया के पास जाकर कहता है -“ सिया दीदी, अब बताइए कि सांत्वना सचमुच बदल गई है या फिर बदलने का नाटक कर रही है।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सांत्वना पहले से बदल तो गई है, ऐसा लग तो रहा है, लेकिन पता नहीं क्यूं इस बात का मुझे भरोसा क्यों नहीं हो पा रहा है ?”

 

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, आपको ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि आपको मेरी बहुत फिक्र है। सिया दीदी, मैं आपको पूरे यकीन से कह सकता हूं कि सांत्वना अब सचमुच में बदल गई है।”

तभी सिया बेफिक्र होकर सम्पर्क से कहती है -“ शायद तुम ठीक कह रहे हो, सांत्वना सचमुच में बदल गई है, अब से मैं फिर कभी सांत्वना पर शक नहीं करूंगी।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, अब मैं आफिस के लिए निकलता हूं।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है।”

उसके बाद सिया वहां से चली जाती है।

सम्पर्क के आफिस जाने के थोड़ी देर बाद शान्ती जी सिया के पास आकर कहती हैं -“ सिया, मुझे तुमसे एक बात करनी है।”

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ ठीक है, शान्ती जी बताइए।”

तभी शान्ती जी सिया से कहती हैं -“ सिया, मैं चाहती हूं कि अब सम्पर्क सांत्वना से शादी कर ले।”

शान्ती जी की बातों को सुनकर, सिया एकदम हैरान हो जाती है।

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ शान्ती जी, ये आप क्या कह रही हैं। अभी शिप्रा को दुनिया से जायें कितने दिन ही हुए हैं।”

तभी शान्ती जी सिया से कहती हैं -“ मुझे पता है सिया अभी इस बारे में बात करना, सही नहीं होगा। शायद शिप्रा की किस्मत में सम्पर्क का साथ यहीं तक लिखा था। मैं सम्पर्क को अपना बेटा ही समझती हूं, सम्पर्क अभी भी शिप्रा को याद कर करके दुखी होता रहता है, मैं सम्पर्क को शिप्रा की याद में ऐसे दुखी होते हुए नहीं देख सकती हूं, और मैंने ये भी देखा है कि सांत्वना के घर पर आने पर सम्पर्क शिप्रा के दुख को भूल जाता है और वो बहुत खुश रहता है। मुझे सम्पर्क का दुख देखा नहीं जाता है, इसलिए मैं चाहती हूं कि सम्पर्क सांत्वना से शादी कर ले। सम्पर्क मेरी ये बात नहीं मानेगा, इसलिए तुम्हें सम्पर्क को मनाने में मेरी मदद करनी पड़ेगी।”

तभी सिया शान्ती जी से कहती है -“ ठीक है, शान्ती जी। आज शाम को सम्पर्क के आफिस से वापस आने पर, हम दोनों मिलकर उससे इस बारे में जरुर बात करेंगे।‌ अभी आप आराम कीजिए। ”

तभी शान्ती जी वहां से चली जाती हैं।

शाम को सम्पर्क के आफिस से लौटकर आने पर, सिया और शान्ती जी सम्पर्क के पास आती हैं। 

 उसके बाद शान्ती जी सम्पर्क से कहती हैं -“ सम्पर्क, मुझे तुमसे एक बहुत जरूरी बात करनी है।”

तभी सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ ठीक है, मां, कहिए।”

तभी शान्ती जी सम्पर्क से कहती हैं -“ सम्पर्क, मैं चाहती हूं कि तुम सांत्वना से शादी कर लो।”

शान्ती जी की ये बात सुनकर सम्पर्क एकदम हैरान हो जाता है।

तभी सम्पर्क प्यार से शान्ती जी को समझाता है -“ मां, ऐसा कैसे हो सकता है ? सांत्वना मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं, इसलिए मैं उससे शादी कैसे कर सकता हूं, और मैं केवल शिप्रा से बहुत प्यार करता हूं।”

तभी शान्ती जी सम्पर्क से कहती है -“ शिप्रा तो अब कभी लौट कर नहीं आ सकती, और मैं तुम्हें शिप्रा के याद में दुखी होते हुए नहीं देख सकती हूं, और मैंने देखा है जब तुम सांत्वना के साथ होते हैं तब तुम बहुत खुश रहते हो‌।”

तभी सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ लेकिन मां।”

उसके बाद शान्ती जी सम्पर्क से कहती हैं -“ सम्पर्क बेटा, अगर तुम मुझे अपनी मां मानते हैं, तो तुम्हें सांत्वना से शादी करनी ही होगी।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, अब आप ही मां को समझाइए।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, शान्ती जी एकदम सही तो कह रही हैं।”

तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी, जैसा आप लोगों को सही लगे। लेकिन सांत्वना क्या मुझसे शादी करने के लिए मानेगी।”

तभी शान्ती जी सम्पर्क से कहती है -“ तुम इसकी चिंता मत करो। मैं और सिया मिलकर सांत्वना से बात कर लेंगे।”

उसके बाद सम्पर्क कहता है -“ ठीक है, जैसा आप लोगों को सही लगे।”

तभी सिया और शान्ती जी वहां से चले जाते हैं।

अगले दिन सिया सांत्वना को कॉल करके घर पर आने को कहती है। कुछ देर बाद सांत्वना घर पर आती है।

 तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ सिया दीदी, आपने मुझे अचानक ऐसे बुलाया, कोई काम था क्या ?”

उसके बाद सिया सांत्वना से कहती है -“ हां सांत्वना, मुझे तुमसे एक बहुत जरूरी बात करनी है।”

तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी, बताइए।”

तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ मैं और शान्ती जी सोच रहे थे कि तुम सम्पर्क के साथ शादी कर लो, इस बात से तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है।”

तभी सांत्वना शरमाकर कहती है -“ सिया दीदी, मुझे इस शादी से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि मैं तो सम्पर्क से बहुत पहले से प्यार करती हूं‌‌। लेकिन सिया दीदी, इस शादी से सम्पर्क को तो कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि सम्पर्क की मर्जी के वगैर मैं ये शादी नहीं करुंगी।”

तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, सम्पर्क को अब इस शादी से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि हम दोनों ने मिलकर सम्पर्क को इस शादी के लिए मना लिया है। अभी तुम अपने माता-पिता को बुला लो। उनसे बात करने के बाद हम एक-दो दिनों में ही तुम दोनों की सगाई कर देंगे, और जल्दी ही हम तुम दोनों की शादी करा देंगे।”

तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ सिया दीदी, मेरे माता-पिता तो सिंगापुर में हैं, वो इतनी जल्दी तो नहीं आ सकते हैं।”

तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ ठीक है, तो हम कल ही तुम दोनों की सगाई कर देते हैं, और तुम्हारे माता-पिता के यहां पर आने के बाद हम तुम्हारी और सम्पर्क की शादी कर देंगे।”

तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

उसके बाद सांत्वना वहां से चली जाती है।

उसी दिन शाम को सिया और शान्ती जी सम्पर्क को सबकुछ बता देती हैं।

अगले दिन ही, सांत्वना और सम्पर्क की सगाई हो जाती है, उसके बाद सांत्वना अपने माता-पिता को काॅल करके जल्दी आने के लिए कह देती है।

अब कुछ ही दिनों में उन दोनों की शादी होने वाली थी।

उनकी शादी को लेकर उस घर के सभी लोग खुश थे, लेकिन सांत्वना अपनी और सम्पर्क से शादी को लेकर कुछ ज्यादा ही खुश थी, लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर तक रहने वाली नहीं थी।

तूफान की तो फितरत ही ऐसी होती है कि वो सबकुछ उजाड़कर रख देता हैं। अब सम्पर्क के परिवार में भी एक ऐसा ही तूफान आने वाला था जो सबकुछ उजाड़कर रख देने वाला था, और जिसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था। 

Chapter 11:- सम्पर्क का असली चेहरा और एक्सीडेंट से बचने के बाद शिप्रा की उसके घर में वापसी 

 अब सांत्वना के माता-पिता भी आ चुके थे, सम्पर्क और सांत्वना की शादी में अब केवल दो दिन ही बचे थे। सम्पर्क के घर पर शादी की तैयारी बड़े जोरों से हो रही थी, और सम्पर्क के परिवार के सभी लोग इस शादी से बहुत खुश थे, और शादी की तैयारी में लगे हुए थे।

‌ अगले दिन सिया उस घर में अकेली ही शादी की तैयारी में लगी हुई थी क्योंकि उस समय शान्ती जी मार्केट गई हुईं थीं, और सम्पर्क किसी काम से अपने आफिस में गया हुआ था। तभी सिया के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आती है।

 तभी सिया उस काॅल को उठाकर बोलती है -“ हैलो कौन बोल रहा है ?”

तभी मोबाइल के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ हैलो, मेरा नाम डॉक्टर अभिनव है, और मैं सिद्धिविनायक हास्पिटल से बोल रहा हूं।”

तभी सिया घबराकर मोबाइल पर बोलती है -“ आपने मुझे अचानक कॉल किसलिए की है ?”

तभी मोबाइल पर डाॅक्टर अभिनव सिया से कहता है -“ हमारे हास्पिटल में शिप्रा नाम की एक मरीज ऐडमिट है, कई हफ्तों से वो बेहोश थी। होश में आने पर शिप्रा बार-बार आपका ही नाम ले रही थी, उसके बाद मैंने आपका मोबाइल नंबर पता किया, उसके बाद ही मैंने आज आपको काॅल की है।”

तभी सिया चौंककर मोबाइल पर डॉक्टर अभिनव से पूछती है -“ डॉक्टर, क्या ये सच है कि शिप्रा जिंदा है ?”

उसके बाद डॉक्टर अभिनव मोबाइल पर सिया से कहता है -“ हां, सिया मैम ये बिल्कुल सच है।”

शिप्रा के जिंदा होने की खबर सुनकर सिया बहुत खुश हो जाती है।

उसके बाद सिया खुश होकर मोबाइल पर डॉक्टर से कहती है -“ डॉक्टर अभिनव आपने मुझे बहुत बड़ी खुशखबरी दी है, शिप्रा बिल्कुल मेरी छोटी बहन जैसी है। डॉक्टर अभिनव, वैसे शिप्रा को हुआ क्या है ?”

तभी डॉक्टर मोबाइल पर शिप्रा से कहता है -“ आप यहां इस हास्पिटल में आ जाइए, मैं आपको शिप्रा के बारे में सबकुछ बता दूंगा।”

तभी सिया मोबाइल पर डॉक्टर से बोलती है -” ठीक है डॉक्टर अभिनव, मैं थोड़ी देर में वहां पर पहुंचती हूं।”

उसके बाद कॉल कट जाती है। तभी सिया शिप्रा के जिंदा होने की खबर सम्पर्क और शान्ती जी को बता देती है। उसके बाद शिप्रा के जिंदा होने के बारे में जानकार वे सभी लोग भी बहुत खुश हो जाते हैं। थोड़ी देर में वे सभी लोग शिप्रा से मिलने के लिए सिद्धिविनायक हास्पिटल पहुंच जाते हैं। हास्पिटल के रिसेप्शन में पता करने के बाद, वे सभी लोग शिप्रा से मिलने के लिए पहुंचते हैं। जिस समय वे सभी लोग शिप्रा से मिलने पहुंचते हैं, उस समय शिप्रा हास्पिटल के बैड पर लेटी हुई सो रही थी, और उसके मुंह पर आक्सीजन मास्क लगा हुआ था।

 तभी सिया डॉक्टर अभिनव से पूछती है -“ डॉक्टर अभिनव, शिप्रा को हुआ क्या है, और आपने हमें शिप्रा के बारे में पहले कुछ भी क्यों नहीं बताया।”

तभी डॉक्टर अभिनव सिया से कहते हैं -“ शिप्रा हमें सिद्धिविनायक हास्पिटल के बाहर बेहोशी की हालत में मिली हुई थी। शिप्रा को बहुत बड़ा सदमा लगा था जिससे वो अपनी पूरी याददाश्त खो चुकी है, लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर शिप्रा घर के माहौल में रहेगी तो शायद उसकी पूरी याददाश्त अगले तीन महीनों में ही आ जाएगी। और मैंने आपको पहले इसलिए कुछ नहीं बताया क्योंकि शिप्रा को दो दिन पहले ही होश आया है। उससे पहले हमें शिप्रा के बारे में कुछ भी पता नहीं था, हमें उसका असली नाम तक नहीं पता था, दो दिन पहले ही वो होश में आते ही बार-बार आपका नाम ही ले रही थी, फ़िर मैं आपके बारे में पता करने लगा, तभी मैंने एक मैगजीन में आपको शिप्रा के साथ देखा। उसी मैगजीन से मुझे शिप्रा का नाम पता चला, और उसी मैगजीन से मुझे आपका मोबाइल नंबर भी पता चला, उसके बाद मैंने कल ही आपको शिप्रा के बारे में बताने के लिए काॅल की।” 

तभी सिया डॉक्टर से कहती है -“ अभी तो आपने कहा था कि शिप्रा को कुछ भी याद नहीं है, तो फिर वो मेरा नाम कैसे बोल रही थी।”

तभी डॉक्टर अभिनव सिया से कहते हैं -“ कभी-कभी ऐसा होता है कि हम जिससे ज्यादा प्यार करते हैं उनकी कुछ बातें हमें याद रह जाती हैं।”

उसके बाद सम्पर्क डॉक्टर अभिनव से कहता है -“ ठीक है, डॉक्टर अभिनव। तो हम सिया को अपने घर पर कब तक ले जा सकते हैं।”

तभी डॉक्टर अभिनव सम्पर्क से कहता है -“ आज शाम तक शिप्रा की कुछ जरूरी जांचें पूरी हो जाएंगी, उसके बाद आप सभी लोग कल सुबह ही शिप्रा को अपने घर पर ले जा सकते हैं।”

तभी सिया डॉक्टर अभिनव से कहती है -“ ठीक है, तब तक मैं सभी लोगों के साथ शिप्रा के पास यहीं पर रुक जाती हूं।”

तभी डॉक्टर अभिनव सिया से कहते हैं -“ अभी आप लोग घर पर जाइए क्योंकि अभी शिप्रा को आराम करने की बहुत ज्यादा जरूरत है, वैसे भी शिप्रा कल सुबह तो आपके साथ जा ही रही है।”

तभी सिया डॉक्टर अभिनव से कहती है -“ ठीक है, अभी हम सभी लोग यहां से जा रहे हैं, लेकिन कल सुबह होते ही हम सभी शिप्रा को लेने के लिए यहां पर आ जाएंगे।”

तभी डॉक्टर अभिनव सिया से कहते हैं -“ ठीक है।”

तभी सिया, सम्पर्क और शान्ती जी वहां से अपने घर जाने के लिए निकल जाते हैं।

वहां से सभी लोगों के चले जाने के बाद, डॉक्टर अभिनव शिप्रा से कहता है -“ शिप्रा, अब तुम उठ सकती है, तुम्हारे घर के सभी लोग यहां से जा चुके हैं।”

तभी शिप्रा हास्पिटल के बैड से उठकर खड़ी हो जाती है।

तभी डॉक्टर अभिनव शिप्रा से कहता है -“ शिप्रा, मुझे तुमने उन सभी लोगों को सच क्यों नहीं बताने दिया और मुझसे उन्हें झूठ बोलने के लिए क्यों कहा।”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से बोलती है -“ तुम मेरे दोस्त हो इसलिए मैं तुमसे कुछ भी नहीं छुपाऊंगी, और तुम्हें सबकुछ सही-सही पता भी होना चाहिए, आज मैं तुम्हे सबकुछ सच-सच इसलिए भी बताना चाहती हूं क्योंकि कल मैं उस घर में वापस जा रही हूं, मुझे अगर उस घर में कोई परेशानी हुई तो मैं तुमसे तो मदद मांग सकती हूं।” 

तभी डॉक्टर अभिनव शिप्रा से कहता है-“ ठीक है, शिप्रा। अब तुम मुझे बताओ कि तुमने मुझसे उन सभी लोगों से झूठ बोलने के लिए क्यों कहा। ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से बोलती है -“ ठीक है तो सुनो-

 फ्लैशबैक का आरम्भ -« आज से कई हफ्तों पहले जब मैं सम्पर्क के साथ शहर के बाहर घूमने के लिए निकल रही थी, तो मैं बहुत खुश थी। लेकिन उस दिन मेरे साथ ऐसा कुछ होने वाला था, जिसके बारे में मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, मैं जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा करती थी, आज उसका असली चेहरा मेरे सामने आने वाला था। उस दिन सम्पर्क मुझे अपनी गाड़ी से घुमाने के लिए ले जा रहा था। तभी कुछ दूर जाने के बाद एक सुनसान जगह पर हमारी गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए, उसके बाद सम्पर्क ने मुझसे जो कहा, उसको सुनकर मैं एकदम हैरान रह गई। सम्पर्क ने मुझसे कहा -‘ शिप्रा, अब तुम्हारे मरने का समय आ गया है।’

तभी मैंने हैरान होकर संपर्क से कहा -‘ सम्पर्क जी, ये आप क्या कह रहे हैं।’

तभी सम्पर्क ने मुझसे कहा -‘ शिप्रा, तुमने बिल्कुल सही सुना है।’

तभी मैंने सम्पर्क से कहा -‘ लेकिन आप मुझे मारना क्यों चाहते हैं।’

तभी सम्पर्क ने मुझसे कहा -‘ क्योंकि अब मैं तुमसे प्यार का नाटक करते-करते थक चुका हूं, सही बात तो ये है कि मैं तुमसे बहुत नफरत करता हूं इसलिए मैं तुम्हें जिंदा भी नहीं छोड़ नहीं सकता हूं। और मुझसे सही कहा गया था कि तुमसे शादी करना, मेरी सबसे बड़ी ग़लती होगी। और मैं तुम्हें सबकुछ सही-सही इसलिए बता रहा हूं क्योंकि तुम्हें मरने से पहले पता होना चाहिए कि तुम क्यों मर रही हो। 

शिप्रा, तुम अपनी मां की फ़िक्र बिल्कुल भी मत करना, उनका ख्याल मैं रख लूंगा, इसलिए तुम आराम से मर सकती हो। तुम्हारे मरने के बाद, कुछ दिनों तक मुझे सबके सामने अच्छा बनकर रहना होगा, वो सब मैं कर लूंगा। मैंने इस गाड़ी के ब्रेक फेल कर दिए हैं, इसलिए अब मैं गाड़ी से कूदने जा रहा हूं।’

ये कहकर सम्पर्क उस गाड़ी से बाहर कूद गया, उसके बाद मैं बेहोश हो गई, फिर जब मुझे होश आया तो मैं इस हास्पिटल में थी।( फ्लैशबैक का अन्त)» 

 पहले मैं सम्पर्क से बहुत प्यार करती थी, लेकिन उस दिन के बाद मैं उससे बहुत नफरत करती हूं। मैंने इतने दिनों का इन्तज़ार इसलिए किया ताकि मैं सम्पर्क के खिलाफ ख़ुद को पूरी तरह से तैयार करना चाहती थी, लेकिन अब मैं सम्पर्क को पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए तैयार हूं, इसलिए आज मैंने तुम्हें उस घर में सिया दीदी को कॉल करने के लिए कहा, क्योंकि उस घर में अब मैं सिया दीदी को अपनी मां से भी ज्यादा मानती हूं। ”

तभी डॉक्टर अभिनव शिप्रा से पूछता है -“ क्या तुम अपनी सिया दीदी को भी सम्पर्क की सच्चाई नहीं बता सकती ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से बोलती है -“ नहीं, अभी मैं सिया दीदी को सम्पर्क की सच्चाई बताकर परेशान नहीं करना चाहती हूं, क्योंकि वो पहले ही मेरे लिए बहुत परेशान हो चुकी हैं, उनको मैं सही मौका देखकर सम्पर्क की सच्चाई बताऊंगी।”

तभी डॉक्टर अभिनव ने शिप्रा से पूछा -“ ठीक है, शिप्रा लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आई कि जब तुम जानती हो कि सम्पर्क से तुम्हारी जान को खतरा हो, फिर भी तुम उस घर में क्यों जाना चाहती हो ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से कहती है -“ मैं अपने तीन मक़सदों को पूरा करने के लिए उस घर में वापस जाना चाहती हूं –

* मेरी पहला मकसद ये है – उस दिन सम्पर्क ने गाड़ी के ब्रेक फेल करने से पहले मुझसे कहा था कि ‘ मुझसे सही कहा गया था कि तुमसे शादी करना, मेरी सबसे बड़ी ग़लती होगी। ‘ इसका मतलब ये है कि सम्पर्क के साथ कोई और व्यक्ति भी है, जिसने इस काम में उसका साथ दिया है, मैं उस व्यक्ति के बारे में पता लगाना चाहती हूं, मुझे उस व्यक्ति का पता उस घर से ही चलेगा, इसलिए मेरा उस घर में वापस जाना ज़रुरी है। उसके बाद मैं सम्पर्क को पूरी तरह से बर्बाद कर दूंगी।

* मेरी दूसरा मकसद ये है – मुझे सम्पर्क पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। मैं चाहती हूं कि मैं सम्पर्क की सच्चाई अपनी मां और सिया दीदी को बताऊं, उससे पहले ही सम्पर्क का असली चेहरा मेरी मां‌ और सिया दीदी के खुद ही सामने आ जाए, और वो फिर कभी उसके भोलेपन के झांसे में ना फंस पाएं। उसके बाद सिया दीदी लंदन वापस लौट जाएं, क्योंकि सिया दीदी मेरे लिए ही यहां पर आईं थीं। सिया दीदी के लंदन वापस लौटने के बाद मैं अपनी मां को अपने साथ किशनगढ़ वाले घर में वापस ले आऊं। इसलिए भी मेरा उस घर में वापस जाना बहुत जरूरी है। ताकि मैं वहां जाकर सम्पर्क के खिलाफ कोई सबूत ढूंढ सकूं, और फिर सबके सामने उसकी सच्चाई ला सकूं।

* मेरा तीसरा और आखिरी मकसद ये है – मैं नहीं चाहती हूं कि अब सम्पर्क किसी और लड़की को धोखा दे, जब मुझे पता चला कि सम्पर्क कुछ दिनों में ‘ सांत्वना ‘ से शादी करने वाला है, तो मैं सांत्वना के सामने सम्पर्क का असली चेहरा लाकर हमेशा के लिए इस शादी को भी रोकना चाहती हूं। भले ही मेरी सांत्वना से पटरी नहीं खाती हो, लेकिन मैं भी एक लड़की हूं, और जानबूझकर किसी दूसरी लड़की के साथ बुरा होते हुए नहीं देख सकती हूं।

 अपने इन सभी मक़सदों को पूरा करने के लिए मुझे उस घर में वापस जाना ही पड़ेगा। ”

तभी डॉक्टर अभिनव शिप्रा से पूछता है -“ जब तुम उस घर में वापस जाओगी तो सम्पर्क तुम पर दोबारा हमला भी तो कर सकता है ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से बोलती है -“ नहीं, सम्पर्क उस घर में मुझ पर कोई हमला नहीं करेगा।”

तभी डॉक्टर अभिनव ने शिप्रा से पूछा -“ लेकिन तुम्हें ऐसा क्यों लगता है ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर अभिनव से बोलती है -“ क्योंकि सम्पर्क की नजरों में मेरी याददाश्त चली गई है। अब उसे मुझसे अगले तीन महीनों के लिए कोई खतरा नहीं है, तब तक मैं उसके साथ देने वाले व्यक्ति का नाम जानकर, उसे पूरी तरह से बर्बाद कर दूंगी।

दूसरी बात ये है कि उस घर में सभी लोग मेरे आस-पास होंगे, और वो उस घर के लोगों के सामने अपनी शराफ़त का नकाब नहीं उतारेगा। ”

तभी डॉक्टर अभिनव ने शिप्रा से पूछा -“ लेकिन एक बात अभी भी मेरे समझ में नहीं आई कि तुमने अपने परिवार के लोगों को ये क्यों नहीं बताया कि मैं तुम्हारा दोस्त डाॅक्टर ’ शान्तनु ’ हूं ?”

तभी शिप्रा ने डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ क्योंकि सम्पर्क का साथ देने वाला व्यक्ति कोई भी हो सकता है, और ये भी हो सकता है कि वो उस समय हमारी सारी बातें सुन रहा है। अब मैं सम्पर्क के सामने बिल्कुल भी कमजोर नहीं पड़ना चाहती हूं, इसलिए मैंने तुम्हारी असलियत सबके सामने छुपवाई, इसी बजह से मैंने तुमसे उस घर में डाॅक्टर अभिनव बनकर बात करने के लिए कहा। तुमने ये सही किया कि अपने हास्पिटल के सभी स्टाफ को सम्पर्क के परिवार के सामने खुद को डॉक्टर अभिनव कहने के लिए कह दिया।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से पूछती है -“ शान्तनु, एक बात तुम मुझे बताओ कि मैं यहां तक कैसे पहुंची क्योंकि मैं तो बेहोश थी ?”

तभी डॉक्टर शान्तनु ने शिप्रा से कहा -“ आज से कई हफ्तों पहले, मुझे तुम बेहोशी की हालत में इस हास्पिटल के बाहर मिली थीं। बाद में मुझे पता चला कि तुम्हें कोई व्यक्ति बेहोशी की हालत में इस हास्पिटल के बाहर छोड़ गया था। लेकिन अजीब बात ये है कि तुम्हें बिल्कुल भी चोट नहीं लगी थी, बल्कि इस तरह के एक्सीडेंट में तो किसी भी व्यक्ति को बहुत चोटें लग जाती हैं और उस व्यक्ति की जान भी जा सकती है। मुझे तो ऐसा लगता है कि जो व्यक्ति तुम्हें यहां पर छोड़ गया था, उसी व्यक्ति ने तुम्हें उस एक्सीडेंट से बचाया था।” 

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ तुमने बिल्कुल सही कहा है, मैं उस व्यक्ति की बहुत अहसानबन्द हूं, क्योंकि अनजान होकर भी उस व्यक्ति ने मेरी जान बचाई, जबकि सम्पर्क ने अपना होकर भी मुझे मारने की कोशिश की। अब मैं सम्पर्क को पूरी तरह से बर्बाद करने के बाद, उस व्यक्ति का पता जरुर लगाऊंगी, और उससे मिलकर उसका धन्यवाद कहना चाहूंगी। ”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, अब तुम आराम करो, कल सुबह जब सम्पर्क के परिवार वाले तुम्हें लेने के लिए आएंगे, तो हमें उनके सामने दोबारा से अपना नाटक शुरू करना होगा।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ तुमने बिल्कुल सही कहा, कई दिनों से मैं सम्पर्क को बर्बाद करने के बारे में सोच रही‌ थी, लेकिन कल मेरे उस घर में जाने के बाद से ही सम्पर्क की बर्बादी शुरू हो जायेगी, इसलिए आज रात मैं सुकून से सोऊंगी।

 मुझे तुम्हें एक बात और बतानी है। कि जब मैं यहां से उस घर में चली जाऊंगी, तो तुम मुझसे बात करने के लिए उस घर के किसी भी नम्बर पर काॅल नहीं करोगे क्योंकि हो सकता है कि उस घर का प्रत्येक फोन व मोबाइल टैप हो रहा है, इसलिए मैं ही तुम्हें किसी PCO वाले नम्बर से कॉल करुंगी या फिर तुमसे मिलने हास्पिटल ही आऊंगी। ”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, जैसा तुमने कहा है मैं वैसा ही करुंगा।”

अगले दिन सुबह ही, सम्पर्क के घर के सभी लोग शिप्रा को लेने के लिए आ जाते हैं।

लगभग एक घंटे के बाद, जब उस हास्पिटल की सभी प्रक्रियाएं पूरी हो जाती है, तो शिप्रा सम्पर्क के परिवार के साथ उस हास्पिटल से चली जाती है।

उस घर में प्रवेश करने से पहले सिया शिप्रा की आरती उतारती हैं, 

 तभी शिप्रा मन में सोचती है -“ पहले इस घर में मैं सम्पर्क के जीवन में खुशियां भरने के लिए आईं थीं, लेकिन इस बार मैं सम्पर्क को बर्बाद करने के लिए आई हूं, लेकिन सिया दीदी के लिए मुझे बहुत बुरा लग रहा है, जब उन्हें सम्पर्क की सच्चाई पता चलेगी तो उन पर क्या बीतेगी ?”

तभी सिया शिप्रा को उस घर में अपने कमरे के पास वाले कमरे में ठहरा देती हैं, और शिप्रा के उस घर में वापस आने के बाद, सम्पर्क और सांत्वना की शादी तोड़ देती है। उसके बाद शान्ती जी की जगह सिया शिप्रा का ख्याल रखने लगती है। उसके बाद सिया शल्य को लंदन कॉल करके शिप्रा के बारे में सबकुछ बता देती है, और उससे कह देती है कि वो शिप्रा के ठीक हो जाने के बाद ही लंदन वापस आ पायेंगी, सिया शिप्रा का अब बहुत ख्याल रखने लगी थी।अब शिप्रा अपनी मां से ज्यादा सिया को मानने लगी थी। इस तरह शिप्रा के उस घर में कई दिन बीत जाते हैं, अकेले में शिप्रा उस घर के प्रत्येक कमरे को बहुत तलाशती है, लेकिन उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया था। अब शिप्रा सम्पर्क की किसी छोटी सी छोटी ग़लती का इन्तज़ार करने लगती है।

 एक दिन शिप्रा घर के बाहर जाकर PCO वाले फोन से डॉक्टर शान्तनु को कॉल करती है -“ हैलो शान्तनु, मैं शिप्रा बोल रही हूं।”

तभी फोन के दूसरी ओर से डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से बोलता है -“ शिप्रा आज तुमने मुझे बहुत दिनों बाद काॅल की है, तुम्हें सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ भी पता चला क्या ? ”

तभी शिप्रा फोन पर डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ मैंने उस घर के कोने-कोने को तलाश लिया, अभी तक तो मुझे कुछ भी पता नहीं चल पाया है, लेकिन मैं सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में पता लगाकर ही रहूंगी। उस घर की केवल तलाशी करने से कुछ नहीं होगा, अब तुम्हें सम्पर्क के मोबाइल नंबर और उस घर के प्रत्येक फोन को टैप करवाना होगा ताकि मैं उस घर पर आने वाले सभी फोन और सम्पर्क की मोबाइल की बातें सुन सकूं। उसके बाद मुझे जरूर कुछ ना कुछ पता चलेगा। और तुम्हें ये काम ऐसे करना है कि कोई कुछ भी पता नहीं लगा पाए कि ये नंबर कौन टैप करवा रहा है। ”

तभी फोन के दूसरी ओर से डॉक्टर शान्तनु कहता है -“ ठीक है शिप्रा, ऐसा ही होगा।”

 तभी शिप्रा फोन पर डॉक्टर शान्तनु से बोलती है-“ ठीक है, तो अभी मैं फोन रखती हूं।”

उसके बाद शिप्रा कॉल कट कर देती है, और वो घर के अन्दर अपने कमरे में जाने लगती है, तभी उसे सिया मिलती है।

 उसके बाद सिया शिप्रा से पूछती है -“ शिप्रा तुम अभी कहां गई थीं ?”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, मुझे घर में कुछ अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैं घर के बाहर टहलने के लिए गई हुई थी, वहां पर शायद मुझे कुछ याद ही आ जाए।”

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ ठीक है, लेकिन आगे से तुम अकेली कहीं मत जाना।”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ ठीक है , सिया दीदी। आगे से मैं अकेली कहीं नहीं जाऊंगी।”

उसके बाद शिप्रा अपने कमरे में चली जाती है। अगले ही दिन, शिप्रा के मोबाइल पर सम्पर्क सहित सभी नंबर के टैप एक्टीवेट होने का मैसेज आ जाता है।

अगले ही दिन रात को, जब सम्पर्क अपने कमरे में सो रहा होता है तो उसके मोबाइल पर रात को 12 बजे एक अनजान नंबर से कॉल आती है।

 तभी सम्पर्क उस कॉल को उठाता है, तो दूसरी ओर से आबाज आती है -“ मुझे तुमसे शिप्रा के बारे में कुछ बात करनी है , इसलिए मुझे तुमसे अभी मिलना है।”

तभी सम्पर्क अपने मोबाइल पर कहता है -“ ठीक है, मैं अभी आता हूं, मुझे तुम ऊपर वाले कमरे में मिलो।”

उसके बाद सम्पर्क ऊपर वाले कमरे की ओर जाने लगता है।

तभी शिप्रा सम्पर्क के मोबाइल की सारी बातें सुनकर, सम्पर्क का पीछा करने लगती है। तभी वो सिया के कमरे से होकर गुजरती है, लेकिन उस समय सिया अपने कमरे में नहीं होती है। तभी सम्पर्क ऊपर एक अलग कमरे में चला जाता है, उस कमरे में पहले से कोई मौजूद होता है, और तभी सम्पर्क उस कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है। उसके बाद उस कमरे में दो परछाइयां ही दिखाई देती हैं, तभी शिप्रा उस कमरे में कान लगाकर उनकी बातें सुनने लगती है, तभी उस कमरे से आवाज़ आती है -“ इतने बड़े एक्सीडेंट के बाद शिप्रा बच कैसे गई ? लेकिन कोई बात नहीं, अब शिप्रा की याददाश्त चली गई है इसलिए अगले तीन महीनों तक हमें उससे कोई खतरा नहीं है। अब हमें कुछ दिनों तक शान्त ही रहना होगा,‌‌ उसके बाद हम सोचेंगे कि अब शिप्रा को कैसे मारना है ?”

कुछ देर के बाद सम्पर्क उस कमरे से बाहर निकल जाता है। उसके बाद शिप्रा उस कमरे के कोने प्रत्येक कोने में देखती है, लेकिन वहां पर कोई भी नहीं होता है। उसके बाद थक-हार कर शिप्रा अपने कमरे की ओर जाने लगती है।

 अपने कमरे में जाते समय शिप्रा को सिया मिलती है, तभी शिप्रा सिया से पूछती है -“ सिया दीदी, आप इतनी रात को यहां पर क्या कर रही हैं ?”

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ मुझे बहुत प्यास लगी थीं, इसलिए मैं फ्रिज में से पानी लेने के लिए आई थी।”

तभी शिप्रा सिया से पूछती है -“ लेकिन सिया दीदी पानी तो आपके कमरे में ही होता है ?”

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ आज पानी खत्म हो गया था, इसलिए मैं फ्रिज में से पानी लेने के लिए आई थी।

वैसे तुम इतनी रात को यहां पर क्या कर रही हो ?” 

तभी शिप्रा सिया से बोलती है-“ जब मैंने आपको आपके कमरे में नहीं देखा, तो मैं परेशान हो गई, और आपको ढूंढने के लिए यहां पर आ गई।” 

तभी सिया शिप्रा से बोलती है -“ ठीक है, वैसे बहुत रात हो चुकी है, चलो हम दोनों अपने-अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं।”

उसके बाद शिप्रा और सिया अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं।

उसके बाद शिप्रा अपने कमरे में जाकर सोचती है -“ सिया दीदी, जरुर मुझसे कुछ छिपा रहीं हैं ,क्योंकि जब मैं उनके कमरे से गुजर रही थी तो मैंने पानी से भरा जग उनके कमरे में रखा हुआ देखा था, फिर सिया दीदी मुझसे झूठ क्यों बोल रहीं हैं। सिया दीदी, जरुर मुझसे कुछ छिपा रहीं हैं, इस बात का पता लगाने के लिए मुझे सिया दीदी पर नजर रखनी पड़ेगी।” 

शिप्रा की मुसीबत खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

अब शिप्रा को कुछ ऐसा पता चलने वाला था, जिसके बाद उसकी आंखें फटी की फटी रहने वाली थीं।

Chapter 12:- शिप्रा द्वारा सिया पर शक करना और सिया के सच या झूठ का राज़ 

 सिया पर नजर रखने के बारे में सोचकर शिप्रा उस रात को सो जाती है। 

 अगले दिन सुबह ही सम्पर्क अपने आफिस के लिए निकल जाता है, और शान्ती जी किसी काम से लगभग एक महीने के लिए घर से बाहर चली जाती हैं। शिप्रा के अलावा अब केवल सिया ही उस घर में अकेली रह गई थी। उसके बाद सिया शिप्रा को उसके कमरे में देखने को जाती है, तभी शिप्रा सिया को अपने कमरे में आते हुए देखकर सोने का नाटक करने लगती है, उसके बाद सिया शिप्रा को कमरे में सोता हुआ देखकर, शिप्रा के कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद करके चली जाती है। उसके बाद सिया अकेले में जाकर उस घर के फोन से किसी व्यक्ति को कॉल करती है, 

 उसके बाद सिया फोन पर बोलती है -“ ‌‌‌‌‌‌इतना बड़ा एक्सीडेंट होने के बाद शिप्रा बच कैसे सकती है ? मैं तो ये सोचकर बहुत खुश हो रही थी कि शिप्रा की मौत हो चुकी है, लेकिन मुझे क्या पता था कि शिप्रा फिर से इस घर में वापस आ जाएगी। अब मुझे खुद ही शिप्रा को मारने के लिए कोई अच्छा सा प्लान बनाना पड़ेगा। उसके लिए बस एक बार मुझे तुमसे मिलना पड़ेगा।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, तुम अभी मुझसे मिलने आ जाओ।”

तभी सिया फोन पर कहती है -“ मैं तुमसे मिलने अभी तो नहीं आ सकती हूं क्योंकि इस समय शिप्रा घर पर ही है, अगर आज मैं शिप्रा को घर में अकेले छोड़ कर तुमसे मिलने आ गई तो उसे कहीं मुझ पर शक ना हो जाए ,और अभी मुझे उसके सामने अच्छा बनकर रहना होगा।”

जो व्यक्ति फोन के दूसरी ओर होता है, चौंककर कहता है -“ शिप्रा घर पर अकेली है तो कहीं वो हमारी बातें सुन ना रही हो।” 

उसके बाद सिया फोन पर बोलती है -“ मैंने खुद शिप्रा को अपने कमरे में सोता हुआ देखा है, और उसके बाद मैं उसके कमरे को बाहर से बंद करके आई भी हूं, और वैसे भी शिप्रा की याददाश्त तो अगले तीन महीनों से पहले वापस आ नहीं सकती, इसलिए हमें उससे अभी कोई भी खतरा नहीं है।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, तो तुम मुझसे मिलने कब आओगी ?”

उसके बाद सिया फोन पर बोलती है -“ मैं दो-तीन दिनों के बाद तुमसे मिलने आऊंगी। उसके बाद सोचूंगी कि शिप्रा को हमें कैसे खत्म करना है, ताकि कभी भी कोई हम पर शक ना कर पाए।

और हां आगे से तुम कभी भी इस घर में कॉल नहीं करोगे, मैं दो-तीन दिनों के बाद तुमसे मिलने ही आऊंगी।”

तभी फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -“ ठीक है, अब मैं फोन रखता हूं।”

उसके बाद कॉल कट जाती है। फिर सिया जाकर के शिप्रा के कमरे के दरवाज़े को बाहर से खोल देती है। उधर शिप्रा अपने मोबाइल से सिया द्वारा उस घर के फोन पर कही हुई सारी बातों को सुन लेती है। सिया द्वारा कही हुई बातों को सुनकर शिप्रा के पैरों तले जमीन ही खिसक जाती है, और उसकी आंखों में आसूं आ जाते हैं। वो समझ नहीं पा रही थी कि वो किस पर भरोसा करे और किस पर नहीं, क्योंकि वो सिया को अपनी मां से भी ज्यादा मानती थी। जब सिया शिप्रा के दरवाज़े को बाहर से खोल कर चली गई, उसके बाद रोते हुए शिप्रा सोचने लगी कि “ उसने जिस पर भी अपने आप से ज्यादा भरोसा किया, उसी ने उसको धोखा दिया, पहले उसे सम्पर्क ने धोखा दिया और अब सिया ने भी यही किया।”

उसके बाद शिप्रा ने अपने आसूं पोंछकर सोचने लगी कि “ अब से मैं किसी पर भी आंख मूंद कर भरोसा नहीं करुंगी, अब मैं सब से एक-एक कर करके अपना बदला लूंगी, बस एक बार मैं सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति और सिया से बात करने वाले व्यक्ति का पता लगा लूं। उसके लिए मुझे सिया पर अपनी पैनी नजर रखनी होगी, लेकिन उससे पहले अभी मुझे शान्तनु से बात करनी होगी।”

 तभी शिप्रा सिया के पास जाकर कहती है -“ सिया दीदी, मुझे डॉक्टर अभिनव ने किसी चेकअप के लिए अभी बुलाया है।”

उसके बाद सिया शिप्रा से बोलती है -“ ठीक है, मैं तुम्हारे साथ हास्पिटल चलती हूं।”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ नहीं सिया दीदी, मुझे डॉक्टर अभिनव ने बस एक मामूली चेकअप के लिए बुलाया है। आप परेशान मत होइए, मैं अकेली ही वहां होकर आती हूं।”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ अच्छा ठीक है, लेकिन तुम वहां पर अपनी गाड़ी लेकर के आराम से जाना।”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

उसके बाद शिप्रा अपनी गाड़ी से सिद्धिविनायक हास्पिटल पहुंच जाती है। वहां शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से मिलकर बात करने के लिए हास्पिटल के एक कमरे में जाती है, उसके बाद डॉक्टर शान्तनु उस कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है ताकि कोई भी उनकी बातें ना सुन सके।

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ शिप्रा, अचानक तुम यहां पर कैसे ? मुझसे कोई काम था क्या ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ हां शान्तनु, मुझे तुमसे एक बहुत जरूरी बात करनी है।”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है शिप्रा, बताओ।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ मेरे एक्सीडेंट में सम्पर्क साथ देने वाले व्यक्ति का नाम तो मुझे पता नहीं चला, लेकिन मुझे मारने की चाह रखने वाले एक और व्यक्ति का नाम मुझे जरूर पता चल चुका है।”

तभी डॉक्टर शान्तनु गुस्से में शिप्रा से पूछता है -“ शिप्रा, कौन है वो व्यक्ति ?”

उसके बाद शिप्रा दुखी होकर रुखी आवाज में डॉक्टर शान्तनु से कहती है -“ वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि ‘ सिया ’ है।”

जैसे ही डॉक्टर शान्तनु ने शिप्रा के मुंह से ‘ सिया ’ का नाम सुना, वैसे ही वो एकदम हैरान रह जाता है।

तुरंत ही डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ नहीं शिप्रा, सिया ऐसा नहीं कर सकती है। सिया को तो तुम अपनी मां से भी ज्यादा मानती थी, और हमेशा सिया की तारीफ ही करतीं रहतीं थीं, इसलिए जरुर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है, ‘ सिया ’ ऐसा कभी नहीं कर सकती है।”

तभी सिया डॉक्टर शान्तनु से कहती है -“ पहले तो मुझे भी यकीन नहीं हुआ था, लेकिन ये बिल्कुल सच है।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु ने शिप्रा से कहा-“ ठीक है, सिया ऐसा कर भी सकती है, ऐसा तुम्हें क्यों लगता है ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ ठीक है, मैं तुम्हें पूरी बात बताती हूं, उसके बाद तुम्हें भी यकीन हो जाएगा कि मैं सिया के बारे में सच बोल रही हूं। 

 ‘ कल रात को लगभग 12 बजे जब मैंने सम्पर्क को किसी अनजान व्यक्ति से बात करते हुए सुना, तो उसके बाद मैं सम्पर्क का पीछा करने लगी ताकि मेरे एक्सीडेंट में सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति का पता लगा सकूं, लेकिन मुझे कुछ पता नहीं चला। उसके बाद मैं अपने कमरे की ओर जाने लगी, तभी लौटते समय मुझे सिया मिली। उस समय मुझे सिया का व्यवहार कुछ अजीब सा लगा, तभी मैंने सिया के ऊपर नजर रखने की सोची। उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने चली गई। आज सुबह जल्दी उठकर सम्पर्क अपने आफिस चला गया था, और मेरी मां सुबह ही लगभग एक महीने के लिए घर से बाहर चली गईं। उस समय सिया उस घर में अकेली रह गई, उसके बाद सिया मुझे मेरे कमरे में देखने आईं। सिया को अपने कमरे में आते देख, मैं सोने का नाटक करने लगी। उसके बाद सिया ने मेरे कमरे के दरवाजे को बाहर से बंद करके नीचे जाकर घर के फ़ोन से किसी को कॉल लगाई, उसके बाद सिया के फोन पर हुई बातों को मैं अपने मोबाइल से सुनने लगी। उसके बाद सिया ने जो कहा, उसको सुनकर मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई, और मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ, लेकिन मुझे यकीन करना पड़ा। सिया ने फ़ोन पर कहा कि ‹ इतने बड़े एक्सीडेंट के बाद शिप्रा बच कैसे गई, अब हमें ही शिप्रा को मारने के लिए कोई अच्छा सा प्लान बनाना पड़ेगा। उसके लिए मुझे तुमसे मिलना पड़ेगा। › उसके बाद सिया ने उस व्यक्ति से जिससे वो फोन पर बात कर रही थी, दो-तीन दिन के बाद मिलने की कहकर काॅल कट कर दी। काॅल कट करने के बाद सिया ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोल दिया। ’

 सिया की फोन पर हुई बातों को सुनने के बाद मेरा उस घर में दम सा घुट रहा था, इसलिए मैं सिया से अपने चेकअप का बहाना बनाकर तुमसे बात करने के लिए यहां पर आ गई।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से बोलता है -“ शिप्रा, ये तुमने बिल्कुल सही किया जो तुम यहां पर आ गईं, लेकिन अभी भी मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है कि सिया कभी ऐसा भी कर सकती है। क्योंकि तुम्हारे अनुसार सिया तुम्हारा बहुत ख्याल रखती थी और अभी तुम्हारा ख्याल रखने के लिए उसने तुम्हें अपने कमरे के पास ही ठहराया हुआ है।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से कहती है -“ मेरे लिए भी सिया के असली चेहरे पर यकीन करना, बहुत कठिन है। लेकिन यही सच है। जरुर सिया मेरा ख्याल रखने का नाटक कर रही हो ताकि मुझे उस पर कभी भी शक ना हो पाए, और हो सकता है उसने मुझे अपने कमरे के पास इसलिए ठहराया होगा ताकि वो मुझ पर अच्छे से नजर रख सके।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ शायद तुम सही कह रही हो, लेकिन अब तुम सिया के साथ क्या करोगी?”

तभी शिप्रा गुस्से में डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ वही जो मैं सम्पर्क के साथ करने वाली हूं। अब मैं सिया को मारुंगी तो नहीं, लेकिन मैं सिया को बर्बाद कर दूंगी, और मैं उसको बर्बाद करने में कोई भी नरमी नहीं दिखाऊंगी।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है-“ ठीक है, शिप्रा। लेकिन क्या तुम उस व्यक्ति को पहचानती हो, जिससे वो फोन पर बात कर रही थी।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ नहीं, लेकिन सिया दो-तीन दिन के बाद उस व्यक्ति से जरुर मिलने जाएगी।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, जब भी सिया उस व्यक्ति से मिलने जाए, तभी तुम सिया का पीछा करके उस व्यक्ति तक पहुंच कर ही जान पाओगी कि सिया तुम्हें क्यों मारना चाहती है, और सिया के साथ इस साज़िश में कौन-कौन शामिल है। उसके बाद ही तुम तय करना कि तुम्हें आगे क्या करना है ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ ठीक है शान्तनु, लेकिन उस समय अगर मैं किसी बजह से सिया का पीछा नहीं कर पाई, तो तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है शिप्रा, सिया का मोबाइल नंबर मेरे पास है ही, तुम किसी भी तरह से कुछ समय के लिए सिया के मोबाइल को लेकर के मुझे बता देना, फिर मैं सिया के मोबाइल नंबर पर एक लिंक भेजूंगा, उसके बाद तुम उस लिंक पर क्लिक करके उस लिंक को सिया के मोबाइल से डिलीट कर देना, फिर तुम सिया का मोबाइल लौटा देना। उसके बाद सिया चाहे अपना मोबाइल स्विच ऑफ ही कर दें, उसके बाद भी मैं सिया की लोकेशन को पता कर लूंगा, इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता नहीं करो।

 अभी तुम उस घर में वापस जाओ और सिया के सामने तुम ऐसे व्यवहार करना, जैसे कि तुम्हें उसके बारे में कुछ भी पता नहीं है, लेकिन तुम्हें सिया के हर कदम पर नजर रखनी है। अगर तुम्हें मेरी मदद की कोई जरूरत पड़े, तो तुम मुझे अपने मोबाइल ही से कॉल करना, क्योंकि अब मैं तुम्हारे मोबाइल को ऐसा कर दूंगा कि कोई भी तुम्हारे मोबाइल को टैप नहीं कर पाएगा। ”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ ये तुमने ठीक कहा कि अब मुझे सिया को एक पल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। मुझे हर समय सिया पर नजर रखनी होगी, तो अभी मैं चलती हूं, अगर मुझे तुम्हारी किसी भी मदद की जरूरत पड़ेगी, तो मैं तुम्हें काॅल करूंगी।”

उसके बाद शिप्रा वहां से चली जाती है। थोड़ी देर बाद वो उस घर में पहुंच जाती है। 

तभी सिया ( शिप्रा की फ़िक्र करते हुए) पूछती है -“ तुम्हारा चेकअप अच्छे से हो गया ? डॉक्टर अभिनव ने तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं बताई ?”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ नहीं सिया दीदी, डॉक्टर अभिनव ने सबकुछ ठीक बताया है। ठीक है सिया दीदी, अब मैं अपने कमरे में आराम करने के लिए जा रही हूं।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है, जाओ।”

उसके बाद शिप्रा अपने कमरे में चली जाती है।

 शिप्रा अपने कमरे में जाकर के सोचती है-“ सिया, तुम भोली बनने का और मेरी फ़िक्र करने का इतना अच्छा नाटक करती है कि कोई भी तुम्हारे झांसे में आ जाए, लेकिन मैं तुम्हारे इस घिनौने चेहरे के बारे में जान चुकी हूं। अब जल्द ही मैं उन सारे व्यक्तियों के बारे में जान जाऊंगी, जो मुझे मारना चाहते हैं। बस मुझे ये पता चल जाए कि तुम्हारे साथ फोन पर कौन बात कर रहा था।”

अब शिप्रा सिया की प्रत्येक हरकत पर नजर रखने लगी।अब शिप्रा बेसब्री से सिया द्वारा उस व्यक्ति से मिलने का इन्तज़ार कर रही थी, इसी तरह लगभग एक सप्ताह बीत जाता है। अब जल्द ही शिप्रा का ये इंतजार खत्म होने वाला था। अगले दिन रविवार का दिन था, उस दिन सिया घर से कहीं बाहर जाने के लिए तैयार हो रही थी, और सम्पर्क उस दिन घर पर ही था।

 उस दिन लगभग दोपहर के समय सिया सम्पर्क के पास जाकर कहती है -“ अभी मैं अपने किसी काम से बाहर जा रही हूं, आज शाम तक मैं वापस आ जाऊंगी। तब तक तुम शिप्रा का ख्याल रखना।”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है सिया दीदी, आप आराम से जाइए।”

उसके बाद सिया उस घर से निकल जाती है। सिया के उस घर से निकलने के तुरंत बाद ही सम्पर्क के मोबाइल पर उसके आफिस से कॉल आ जाती है, उसके बाद सम्पर्क अपने ड्राइवर को शिप्रा का ख्याल रखने के लिए छोड़कर वहां से चला जाता है, थोड़ी देर बाद शिप्रा सम्पर्क के ड्राइवर से छिपकर उस घर से निकल जाती है, उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से काॅल करके कहती है कि “ सिया कुछ देर पहले उस घर से निकल चुकी है, और किसी बजह से मैं उसका पीछा नहीं कर पाई हूं। क्या अभी तुम मुझे सिया की इस समय की लोकेशन बता सकते हो।” 

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है कि “ हां, सिया अभी-अभी एक सुनसान जगह पर पहुंची है।

तुम्हें मेरी और भी कोई मदद चाहिए क्या ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से कहती है -“ हां शान्तनु, तुम्हें भी शिप्रा पर नजर रखनी होगी ताकि शिप्रा कोई भी गड़बड़ ना कर पाए।”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, शिप्रा।”

उसके बाद शिप्रा काॅल कट कर देती है। तभी शिप्रा उस सुनसान जगह पर पहुंचती है जहां सिया अभी-अभी पहुंची थी। 

 थोड़ी देर के बाद, वहां पर एक व्यक्ति आता है। उसके बाद सिया उस व्यक्ति से बात करने लगती है, शिप्रा उस व्यक्ति की आवाज को पहचान लेती है। उसके बाद जैसे ही शिप्रा उस व्यक्ति को देखती है, वो एकदम हैरान हो जाती है। वो व्यक्ति और कोई नहीं, बल्कि वही जासूस होता है जिसने सम्पर्क से शादी होने से पहले ‘ सांत्वना ’ के सच के बारे में पता लगाया था। 

तभी शिप्रा सोचती है कि “ ये जासूस मुझे मारने में सिया की मदद क्यों कर रहा है ?”

 उसके बाद शिप्रा उन लोगों की बातों को बड़े गौर से सुनने लगती है। उन दोनों लोगों की बातें सुनते हुए शिप्रा और भी हैरत में पड़ जाती है। उन दोनों लोगों की बातें इस प्रकार चल रही होती हैं कि उनको सुनकर शिप्रा बार-बार हैरत में पड़ रही थी। उनकी बातें इस प्रकार चल रही थीं –

 सिया उस जासूस से कहती है -“ जैसा तुमने मुझे उस घर के फोन पर कहने के लिए कहा था मैंने बिल्कुल वैसा ही किया है।”

सिया की उस बात को सुनकर, शिप्रा को समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या चल रहा है, उसके बाद शिप्रा उन दोनों लोगों की बातों को और सुनने लगती है।

 तभी सिया उस जासूस से कहने लगी -“ आज से कई हफ़्तों पहले, जब शिप्रा का एक्सीडेंट हुआ था, तो मैं बहुत दुखी हुई, लेकिन मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे ये एक्सीडेंट एक एक्सीडेंट नहीं, बल्कि एक साज़िश लग रही थी, उसके बाद मैंने तुम्हें इस एक्सीडेंट के बारे में पता लगाने को कहा। क्योंकि मैं शिप्रा को अपनी छोटी बहन की तरह मानती हूं, जिसकी बजह से मुझे शिप्रा की सभी लोगों से भी ज्यादा फ़िक्र है। जब सम्पर्क की शादी सांत्वना से तय हो गई थी, तो मुझे बिल्कुल भी खुशी नहीं हुई, क्योंकि मैं शिप्रा की जगह किसी और को नहीं देख सकती थी, लेकिन शान्ती जी की खुशी के लिए मुझे सम्पर्क को ‘ सांत्वना ’ से शादी करने के लिए मनाना ही पड़ा। ”

तभी वो जासूस सिया से कहता है -“ मैंने इस एक्सीडेंट के बारे में बहुत पता लगाने की कोशिश की, लेकिन अभी तक मुझे कुछ भी पता नहीं चल सका है, लेकिन मुझे ये जरूर पता चल गया कि शिप्रा का एक्सीडेंट नहीं हुआ था, बल्कि ये एक सोची समझी साज़िश थी। लेकिन इस साज़िश के पीछे कौन है, मुझे इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है। क्योंकि ये साज़िश बहुत अच्छे से रची गई थी, और जिन लोगों ने ये साज़िश रची है उनसे शिप्रा की जान को अभी भी खतरा है।”

तभी सिया उस जासूस से कहने लगी -“ जब तुमने मुझे बताया कि शिप्रा को मारने की साज़िश रची गई थी और उसकी जान को अभी भी खतरा है। इसीलिए हास्पिटल से घर वापस लौटने के बाद मैंने शिप्रा को अपने कमरे के पास ही ठहरा दिया, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि शिप्रा को फिर से कोई मारने की कोशिश करे और जब तक शिप्रा की याददाश्त आ नहीं जाती, तब तक मैं शिप्रा का अच्छे से ख्याल रखना चाहती हूं। और उसे अकेले कहीं भी नहीं छोड़ना चाहती हूं, लेकिन आज मुझे तुमसे मिलने आने की बजह से शिप्रा को घर पर अकेले ही छोड़कर, और सम्पर्क को शिप्रा का ख्याल रखने की कहकर यहां पर आना पड़ गया।

 उस एक्सीडेंट के बाद से, मैं शिप्रा को अकेले कहीं भी जाने नहीं देना चाहती हूं, लेकिन आज से कुछ दिनों पहले जब शिप्रा ज़िद करके अकेली ही हास्पिटल चली गई, तो उसके बाद मुझे शिप्रा की फ़िक्र होने लगी, तभी मैंने तुमसे कॉल करके शिप्रा पर नजर रखने के लिए कह दिया, ताकि शिप्रा को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा पाए।”

उसके बाद सिया ने उस जासूस से पूछा -“ मुझे तुम्हारी एक बात बिल्कुल भी समझ में नहीं आई कि तुमने मुझे अपने घर के फोन से शिप्रा के खिलाफ बोलने के लिए क्यों कहा ?”

तभी वो जासूस सिया से कहता है -“ मैंने तुम्हें ऐसा करने के लिए इसलिए कहा क्योंकि मुझे अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि शिप्रा के एक्सीडेंट करवाने के पीछे कौन है , फिर मुझे पता चला कि कुछ दिनों पहले ही से तुम्हारे घर के सभी फोन नंबर को और सम्पर्क के मोबाइल को कोई व्यक्ति टैप कर रहा है, फिर मुझे ख्याल आया कि शायद ये वही व्यक्ति हो सकता है जो शिप्रा के एक्सीडेंट के पीछे है। फिर मुझे लगा कि अब मैं उस व्यक्ति तक पहुंच ही जाऊंगा,

लेकिन वो व्यक्ति इतना चालाक है कि मुझे उस व्यक्ति के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया, अब उस व्यक्ति के बारे में पता लगाने के लिए मेरे पास केवल एक ही रास्ता बचा था कि वो व्यक्ति खुद ही हमारे सामने आ जाए। 

 उसके बाद मेरे दिमाग में एक प्लान आया, उस प्लान को कामयाब बनाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत थी, क्योंकि बगैर तुम्हारी मदद के मेरा ये प्लान कामयाब नहीं हो सकता था। मैंने पहले तुम्हें नहीं बताया था, लेकिन अब मैं तुम्हें अपने प्लान के बारे में बता रहा हूं-‘ अगर तुम अपने घर के किसी फोन से मुझे कॉल करके शिप्रा के खिलाफ बोलने का ऐसा नाटक करोगी, जैसे कि तुम शिप्रा को जान से मारना चाहती हो, और उसके इस घर में वापस लौटने से तुम बिल्कुल भी खुश नहीं हो। तो हो सकता है कि उस व्यक्ति को जिसने तुम्हारे घर के सभी फोन नंबर टैप कराए हुए हैं, तुम पर ये यकीन हो जाए कि तुम भी शिप्रा को जान से मारना चाहती हो, फिर उसके बाद वो व्यक्ति खुद ही हमारे सामने आ जाएगा। जब उस एक व्यक्ति के बारे में हमें पता चल जाएगा, तो हमें इस पूरी साज़िश में शामिल सभी व्यक्तियों के बारे में भी पता जाएगा।’ ”

उसके बाद सिया उस जासूस से कहती है -“ तुमने प्लान तो बहुत ही अच्छा बनाया है।”

तभी वो जासूस सिया से कहता है -“ अब बस एक बार मेरा ये प्लान कामयाब हो जाए।”

उसके बाद वो जासूस सिया से पूछता है -“ वैसे सिया हमारा ये प्लान कामयाब हुआ क्या ?”

तभी सिया उस जासूस से कहती है -“ अभी तक तो नहीं।”

उसके बाद वो जासूस सिया से कहता है -“ इसका मतलब तुम्हें एक बार फिर शिप्रा के खिलाफ बोलने का नाटक करना होगा।”

तभी सिया उस जासूस से कहती है -“ मैं शिप्रा के लिए ये नाटक एक और बार तो क्या, बार बार करने के लिए भी तैयार हूं।” 

 उन लोगों की बातें वहां पर छिपकर सुन रही शिप्रा की आंखों में आसूं आ जाते हैं। शिप्रा को अपने ऊपर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। तभी वो सोचती है कि “ मैंने सिया दीदी के बारे में इतना कुछ कैसे सोच लिया ?”

 तभी शिप्रा के मन में ख्याल आता है कि “ कहीं सिया ने उसे पीछा करते हुए देख तो नहीं लिया है, जिसकी बजह से वो फिर से उसके सामने नाटक कर रही है।”

 वो तुरन्त ही डॉक्टर शान्तनु को कॉल लगाकर पूछती है -“ शान्तनु मुझे तुमसे एक बात पूछनी है कि तुम भी सिया पर नजर रखे हुए थे, तो कहीं सिया ने मुझे देख तो नहीं लिया है ?”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से बोलता है-“ नहीं शिप्रा, सिया तुम्हें देख ही नहीं सकती, क्योंकि तुमने सिया का बिल्कुल भी पीछा नहीं किया है, बल्कि तुम सीधे ही सिया की लोकेशन पर पहुंची हो। मैं भी तो सिया पर पूरे समय नजर रखे हुए था,बस मैं केवल सिया की बातों को नहीं सुन पा रहा था, लेकिन मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि सिया तुम्हें देख पाई है।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से कहती है -“ ठीक है, शान्तनु।”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से पूछता है -“ क्या बात है, शिप्रा। तुम बहुत परेशान लग रही हो, क्या तुम्हें सिया के बारे में कोई नई बात पता चली ?”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ हां शान्तनु, मैंने तुम्हें सिया के बारे में जो भी बताया था, वो मेरी गलतफहमी ही थी।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“कया मतलब है तुम्हारा ?”

(उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु को वहां पर हुई बातों के बारे में सबकुछ बता देती है।)

 उसके बाद ख़ुश होकर डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ मुझे पहले ही लग रहा था कि सिया तुम्हारे साथ ग़लत कैसे कर सकती है ? लेकिन ये सही हुआ जो सिया के खिलाफ तुम्हारी गलतफहमी दूर हो गई।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ अभी सब सही नहीं हुआ है, बल्कि मुझे सही करना होगा।”

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ क्या मतलब है तुम्हारा।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ ये मैं तुम्हें बाद में बताऊंगी, अभी मैं कॉल कट कर रही हूं।

 उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु की कॉल कट कर देती है।

Chapter 13:- सिया और शिप्रा का मिलकर एक साथ होना 

तभी शिप्रा बाहर निकलकर आती है, और फिर वो कहती है -“ सिया दीदी, अब आपको फिर से ये नाटक करने की कोई जरूरत नहीं है।”

 ‘ जैसे ही सिया और वो जासूस शिप्रा को वहां पर देखते हैं, वैसे ही वो एकदम हैरान हो जाते हैं। 

शिप्रा के बाहर निकलकर आने से, सिया और उस जासूस के सामने कई सवाल आकर के खड़े हो गए।’

तभी सिया शिप्रा से पूछती है -“ तुम यहां पर क्या कर रही हो ? इस समय तो तुम्हें घर पर होना चाहिए था।”

उसके बाद शिप्रा झिझककर सिया से बोलती है -“ दरअसल सिया दीदी, मैं आपका पीछा कर रही थी।”

तभी सिया शिप्रा से पूछती है -“ लेकिन तुम ऐसा क्यों कर रही थी।”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी ये बात बताने से पहले मैं आपको कुछ और बताना चाहती हूं।”

तभी सिया शिप्रा से बोलती है-“ ठीक है, शिप्रा।”

 

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ दरअसल सिया दीदी, मेरी कोई याददाश्त नहीं गई है, और ना ही मैं कई हफ्ते पहले से बिल्कुल भी बीमार थी, बल्कि तब से मैं आज तक आप सभी लोगों के सामने बीमार होने का नाटक कर रही थी। और इसमें मेरा साथ डाॅक्टर अभिनव ने दिया, जो मेरे बचपन का दोस्त डाॅक्टर शान्तनु है। उसी की मदद से मैंने सम्पर्क के मोबाइल सहित घर के सभी फोन टैप करवाए।”

शिप्रा की बातों को सुनकर सिया और उस जासूस के जैसे पैरों तले जमीन ही खिसक गई। शिप्रा की बातें सुनने के बाद, सिया को शिप्रा पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। और शिप्रा की बातें सुनने के बाद वहां पर मौजूद जासूस एकदम हैरान हो जाता है।

तभी सिया शिप्रा से नाराज़ होकर कहती है -“ शिप्रा, तुमने मुझसे इतना बड़ा झूठ बोलकर अच्छा नहीं किया। अब तुम मुझे ये भी बता दो कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रही थीं ?”

उसके बाद शिप्रा झिझककर सिया से बोलती है -“ ठीक है सिया दीदी, मैं आपको सबकुछ सही-सही बताती हूं।

 « आज से कुछ दिनों पहले जब आपको पता चला कि घर के सभी फोन और सम्पर्क के मोबाइल को कोई व्यक्ति टैप कर रहा है। उन सभी फोन नंबर को मैं ही शांतनु की मदद से टैप करवा के सुन रही थी, ताकि मुझे अपने एक्सीडेंट से सम्बंधित किसी और व्यक्ति के बारे में भी पता चल सके। कुछ दिनों बाद, जब मैंने घर के ही फोन से आपको इन जासूस से अपने बारे में बात करते हुए सुना, तो मुझे बहुत हैरानी हुई, उसके बाद मुझे आपके खिलाफ बहुत बड़ी गलतफहमी हो गई कि आप मुझे जान से मारना चाहती हो। उसके बाद मैं ये पता लगाने के लिए कि मेरे खिलाफ आपका साथ कौन दे रहा है ? उसके लिए मैंने आपका पीछा किया। लेकिन यहां पर आने के बाद मेरी सारी गलतफहमियां दूर हो गईं, और आप दोनों लोगों की बातें सुनकर मुझे पता चला कि आप लोग तो ये सब नाटक मेरी मदद करने के लिए ही कर रहे थे, आप सभी लोगों की पूरी बातें सुनने के बाद मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था। » ”

उसके बाद सिया नाराज़ होकर शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, मुझे तुमसे तो ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि तुम मुझसे अपने बीमार होने का और अपनी याददाश्त जाने का इतना बड़ा झूठ बोलोगी, इन सभी बातों के लिए मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आ रहा है। इसलिए अब तुम एक काम और करो कि यहां से चली जाओ।”

सिया की बातों को सुनकर शिप्रा की आंखों में आसूं आ जाते हैं और वो अपने कान पकड़कर सिया से कहती है -“ सिया दीदी, मुझे पता है कि आप मुझसे इन सभी झूठों के लिए बहुत गुस्सा हैं, उसके लिए आप मुझे सजा दीजिए, लेकिन मुझे यहां से जाने के लिए मत कहिए।”

तभी शिप्रा रोने लगती है।

उसके बाद सिया शिप्रा के आसूं पोंछकर बोलती है -“ शिप्रा, मैं तुम्हें अपनी छोटी बहन समझती हूं इसलिए तुमसे नाराज़ होकर ख़ुश तो मैं भी नहीं रह पाऊंगी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं तुम्हें ऐसे ही माफ़ कर दूंगी, इसलिए मैं सज़ा तो तुम्हें देकर ही रहूंगी।”

तभी शिप्रा आंखों में आसूं लिए सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, आप मुझे जो चाहे वो सज़ा दीजिए, लेकिन आप बस मुझे माफ़ कर दीजिए।”

उसके बाद सिया शिप्रा से बोलती है-“ ठीक है शिप्रा, तो तुम्हारे लिए मेरी सज़ा ये है कि तुम कभी मुझसे कोई भी बात नहीं छिपाओगी।”

तभी ख़ुश होकर शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है सिया दीदी, मैं आपसे वादा करती हूं कि मैं आज ही से आपसे कुछ भी नहीं छिपाऊंगी।”

उसके बाद सिया खुश होकर शिप्रा से बोलती है -“ शिप्रा कोई भी बात हो, लेकिन मुझे ये जानकर खुशी हुई कि तुम बिल्कुल ठीक हो, और तुमने अपनी याददाश्त जाने का केवल एक नाटक किया था। इसलिए आज तो मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है। ”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है-“ सिया दीदी, आप मुझे इन सभी झूठों को बोलने के लिए एक बार फिर माफ कर दीजिए।”

उसके बाद सिया शिप्रा को गले लगाकर कहती है -“ कोई बात नहीं शिप्रा, तुम पहली की सारी बातें याद कर-करके खुद को दुखी मत करो। तुम ये सोचो कि जब मैं ये बात सम्पर्क को बताऊंगी, तो वो कितना खुश होगा।”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, आप ये बात सम्पर्क को बिल्कुल भी नहीं बताओगी।”

शिप्रा की ये बात सुनकर सिया और वहां पर मौजूद जासूस एकदम हैरान हो जाता है।

उसके बाद सिया शिप्रा से पूछती है -“ लेकिन क्यों, शिप्रा।”

तभी शिप्रा सिया का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रखवाकर बोलती है -“ सिया दीदी, आपको मेरी क़सम है।अगर आप मुझे अपनी छोटी बहन समझती हैं, तो सम्पर्क को मेरी ये याददाश्त वाली बात बिल्कुल नहीं बताओगी।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ तो ये बात सम्पर्क के बारे में है।”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ हां, सिया दीदी।”

उसके बाद सिया कुछ देर सोचने के बाद कहती है -“ ठीक है शिप्रा, मैं तुम्हारी कसम खाकर कहती हूं कि मैं तुम्हारी याददाश्त वाली बात सम्पर्क को बिल्कुल भी नहीं बताऊंगी। लेकिन तुम मुझे तो बता सकती है कि तुम ये बात सम्पर्क को क्यों नहीं बताना चाहती हो ?”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, मैंने आपसे वादा किया है कि मैं आपसे कुछ भी नहीं छिपाऊंगी। लेकिन मेरी ये बात सुनने के बाद आपको मेरी इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होगा।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, मैं तुम्हें अपनी छोटी बहन समझती हूं। इसलिए तुम मुझसे कोई भी बात कह सकती है, और मैं तुम्हारी हर एक बात पर यकीन करुंगी।”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी। मैंने थोड़ी देर पहले आपसे कहा था कि आपको ये नाटक फिर से करने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा मैंने इसलिए कहा था क्योंकि मैं उस व्यक्ति का नाम जानती हूं, जिसने मेरा एक्सीडेंट करवाया था, और मैं ये भी जानती हूं कि मेरा एक्सीडेंट करवाने में उसका साथ किसी दूसरे व्यक्ति ने दिया है। उसी दूसरे व्यक्ति का पता लगाने के लिए मैंने शान्तनु की मदद से अपने घर के सभी फोन सहित सम्पर्क का मोबाइल भी टैप करवाया, उसी दूसरे व्यक्ति का पता लगाने के लिए ही मैंने आपका पीछा किया।”

उसके बाद सिया शिप्रा से पूछती है -“ शिप्रा कौन है वो व्यक्ति, जिसने तुम्हें मारने की कोशिश की?”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि ‘ सम्पर्क ’ है।

जैसे ही सिया शिप्रा के मुंह से ‘ सम्पर्क ’ का नाम सुनती है, वैसे ही सिया के पैरों तले जमीन ही खिसक जाती है, और वो एकदम हैरान हो जाती है। और वहां पर मौजूद वह जासूस भी एकदम हैरान हो जाता है।

तुरन्त ही सिया शिप्रा से कहती है -” शिप्रा, जरुर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है, सम्पर्क ऐसा कभी नहीं कर सकता, वो तो तुमसे बहुत प्यार करता है।”

 

शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, मैं आपको सबकुछ सही-सही बताती हू, उसके बाद ही आप फैसला करना कि मैं सही हूं या ग़लत ? ”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, मैं पहले ये बात सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि सम्पर्क मुझे मारने की कोशिश भी कर सकता है। लेकिन आज से कई हफ्तों पहले जब मैं सम्पर्क के साथ अपनी गाड़ी से घूमने के लिए जा रही थी, उसके बाद सम्पर्क गाड़ी को एक सुनसान जगह पर ले गया, वहां पर सम्पर्क ने खुद कबूल किया कि ‹ मैं तुमसे कोई प्यार-व्यार नहीं करता हूं, बल्कि आज तक मैं तुमसे केवल प्यार करने का नाटक कर रहा था, बल्कि मैं तो तुमसे बहुत नफरत करता हूं। और मुझसे सही कहा गया था कि तुमसे शादी करना, मेरी सबसे बड़ी ग़लती होगी। और मैं तुम्हें सबकुछ सही-सही इसलिए बता रहा हूं क्योंकि तुम्हें मरने से पहले पता होना चाहिए कि तुम क्यों मर रही हो।फिर उसने मुझे बताया कि उसने मुझे एक्सीडेंट द्वारा मारने के लिए मेरी गाड़ी के ब्रेक फेल कर दिए हैं। ये कहने बाद वो खुद गाड़ी से बाहर कूद गया। ›

 एक्सीडेंट के बाद मैं बेहोश हो गई, उसके बाद जब मुझे होश आया तो मैं ‘ सिद्धिविनायक ’ हास्पिटल में एडमिट थी। वहां पर मैं कैसे पहुंची, ये मुझे याद नहीं। लेकिन सम्पर्क की उन बातों को याद कर करके, मुझे ये यकीन तो हो गया था कि मुझे मारने में सम्पर्क का साथ कोई अन्य व्यक्ति तो दे रहा था, और ये भी हो सकता है कि सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति एक से ज़्यादा भी हो सकते हैं। तभी मैंने सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में पता करने के लिए अपनी याददाश्त जाने का नाटक किया।

 मैं कई हफ्तों तक घर पर इसलिए नहीं आई क्योंकि मैं सम्पर्क के धोखे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, और मैं सम्पर्क के खिलाफ बदला लेने के लिए ख़ुद को पूरी तरह से तैयार भी करना चाहती थी। ”

उसके बाद शिप्रा सिया बोलती है -“ सिया दीदी, मैंने आपको सबकुछ सही-सही बता दिया है।”

तभी सिया शिप्रा से पूछती है -“ शिप्रा, ऐसा भी तो हो सकता है कि कोई सम्पर्क पर नजर रखे हुए हैं, इसलिए उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया हो।”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, उस समय उस सुनसान जगह पर कोई भी नहीं था, अगर सम्पर्क चाहता तो मुझे जिंदा भी छोड़ सकता था।”

तभी सिया गुस्से में शिप्रा से कहती है -“ सम्पर्क ने तुम्हारे साथ बहुत ही ग़लत किया है, इसके लिए मैं सम्पर्क को कभी माफ नहीं करूंगी। मैं उससे घर जाकर पूछूंगी कि इस काम में उसका साथ किसने-किसने दिया है ? ”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, आप इस बारे में सम्पर्क से कुछ नहीं पूछेंगी, क्योंकि हो सकता है कि सम्पर्क इस काम में साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ भी नहीं बताए, फिर तो सम्पर्क ये भी जान जायेगा कि मैं अपनी याददाश्त जाने का नाटक कर रही हूं। उसके बाद मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी, और हमें कभी भी सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में पता नहीं चल पाएगा।”

तभी वहां पर मौजूद जासूस सिया से कहता है -“ सिया, शिप्रा बिल्कुल सही कह रही है। हमें ये नाटक ऐसी ही चलने देना होगा, जब तक हम सब मिलकर सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में पता नहीं कर लेते।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है, शिप्रा। आज से मैं तुम्हारे हर प्लान में साथ दूंगी। और मैं सम्पर्क से तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं कहूंगी, अब तो मैं भी जानना चाहती हूं कि सम्पर्क ये सब क्यों और किसकी मदद से कर रहा है ? अब शिप्रा मुझे क्या करना है ?”

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ अब मैं सम्पर्क से कुछ ऐसा कहूंगी, जिसके बाद सम्पर्क कोई ना कोई ग़लती करेगा ही करेगा, उसके बाद सिया दीदी आपको मेरे साथ मिलकर सम्पर्क के हर एक कदम पर नजर रखनी है, क्योंकि मैं अपने घर के हर एक कोने की तलाशी तो ले चुकी हूं, लेकिन सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है, शिप्रा।”

तभी वहां पर मौजूद जासूस शिप्रा से कहता है -“ अच्छा, शिप्रा। तो मैं चलता हूं, अगर तुम्हें मेरी मदद की कोई जरूरत पड़े। तो मुझे बताना।”

शिप्रा उस जासूस से कहती है -“ ठीक है, आप जाइए। अगर मुझे आपकी मदद की कोई भी जरूरत पड़ेगी, तो मैं आपको बता दूंगी।”

उसके बाद वो जासूस वहां से चला जाता है।

उसके सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है शिप्रा, तो हम भी घर पर चलते हैं।”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ ठीक है, सिया दीदी। मैं शान्तनु से एक बार कॉल कर लूं। उसके बाद मैं घर पर लौट चलती हूं।”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है, शिप्रा।”

उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु को कॉल लगाकर कहती है -“ हैलो शान्तनु, मुझे तुम्हें सिया दीदी के बारे में कुछ बताना है।”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है-“ ठीक है,बताओ।”

उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से कहती है-“ मुझे सिया दीदी के बारे में एक बहुत बड़ी गलतफहमी हो गई थी।”

तभी डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ कैसी गलतफहमी ?”

उसके बाद सिया डॉक्टर शान्तनु को वहां पर हुई सारी बातें बता देती है।

उसके बाद डॉक्टर शान्तनु शिप्रा से कहता है -“ मुझे लग ही रहा था कि तुम्हारी सिया दीदी कभी ऐसा नहीं कर सकतीं हैं।”

तभी शिप्रा डॉक्टर शान्तनु से बोलती है -“ तुमने बिल्कुल सही कहा था, मैंने सिया दीदी के बारे में पता नहीं क्या-क्या सोच लिया था।

ठीक है, शान्तनु। अब मैं काॅल कट कर रही हूं। ”

उसके बाद शिप्रा कॉल कट कर देती है।

तभी शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, अब हम घर पर चलते हैं।”

उसके बाद सिया और शिप्रा घर पर लौट जाते हैं।

Chapter 14:- सांत्वना के घिनौने चेहरे का पता चलना 

थोड़ी देर बाद शिप्रा सिया के साथ अपने घर पर पहुंच जाती है, तब तक सम्पर्क भी उस घर में वापस आ गया था।

 उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से पूछता है -” मैं इस घर से जाने से पहले अपने ड्राइवर को तुम्हारी देखभाल करने के लिए छोड़ गया था, लेकिन उसने मुझे बताया कि तुम अचानक कहीं चली गई हो, वैसे तुम कहां पर गई थीं ?”

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ मुझे डॉक्टर अभिनव ने अचानक ही सिद्धिविनायक हास्पिटल में बुलाया था, इसलिए मैं जल्दबाजी में किसी को कुछ नहीं बता पाई।”

उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से पूछता है -“ तुम्हें डॉक्टर अभिनव ने अचानक हास्पिटल में क्यों बुलाया था।”

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ सम्पर्क जी, मुझे डॉक्टर अभिनव ने एक अलग तरह के चेकअप करने के लिए बुलाया था। वो चेकअप करने के बाद उन्होंने मुझे एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी।”

उसके बाद सम्पर्क हैरान होकर शिप्रा से पूछता है -“ कैसी, खुशखबरी ?”

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ डॉक्टर अभिनव ने मुझसे कहा कि अब इस एक महीने के भीतर ही मेरी पूरी याददाश्त आ जायेगी। “

उसके बाद सम्पर्क खुश हो जाता है।

तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ ठीक है, तो अब मैं अपने कमरे में जाकर आराम करती हूं। ”

उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ ठीक है।”

तभी शिप्रा वहां से चली जाती है।

उसके बाद सिया भी सम्पर्क से अपने कमरे में जाने की बोलकर, वहां से चली जाती है।

उसके बाद शिप्रा सिया के पास आकर के कहती है -“ सिया दीदी, अब सम्पर्क को पता चल गया है कि मेरी याददाश्त बहुत जल्द वापस आ जाएगी। तो अब वो कुछ ना कुछ ऐसी ग़लती जरूर करेगा, जिसके बाद हमें उस व्यक्ति के बारे में ज़रूर पता चल जाएगा, जो सम्पर्क का साथ दे रहा है। बस हमें केवल सम्पर्क के हर एक कदम पर नजर रखनी होगी।”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा ये तुमने बहुत अच्छा प्लान बनाया है, अब सम्पर्क ऐसी कोई ना कोई ग़लती जरूर करेगा, जिसके बाद हमें सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में पता चल जाएगा, और इस बार तुम्हारा ये प्लान जरुर कामयाब होगा। इसलिए शिप्रा, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो। अब मैं सम्पर्क के हर एक कदम पर नजर रखूंगी। ”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी।”

उसके बाद सिया और शिप्रा वहां से चले जाते हैं, और वे दोनों सम्पर्क पर नजर रखने लगते हैं।

इसी तरह कई दिन बीत जाते हैं, लेकिन सिया और शिप्रा को सम्पर्क के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता है।

 ऐसा लग रहा था कि सम्पर्क को शिप्रा की याददाश्त वापस आने वाली बात से कोई फर्क नहीं पड़ा हो। शिप्रा और सिया को अपना प्लान फेल होता दिखाई दे रहा था, उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करें।

 फिर एक दिन शाम को आफिस से लौटकर वापस आने के बाद, सम्पर्क सिया के पास जाकर के कहता है -“ सिया दीदी, मेरे आफिस में बहुत काम बढ़ गया है। इसलिए मैं कल से ही कुछ दिनों के लिए जल्दी आफिस में जाया कऊंगा, और देर रात तक अपने आफिस में काम किया करुंगा, और कुछ दिनों तक देर रात तक आफिस से घर वापस आया करुंगा। जब मेरा काम खत्म हो जाएगा, तो मैं जल्दी घर वापस आने लगूंगा। इसलिए आप बिल्कुल भी परेशान नहीं होना।”

उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, सम्पर्क।”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। अब मैं सोने जाता है, कल सुबह जल्दी उठकर मुझे आफिस के लिए भी निकलना है।”

तभी सम्पर्क वहां से चला जाता है। उसके बाद सिया शिप्रा के पास जाती है।

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, मुझे तुम्हें एक जरूरी बात बतानी है। ”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ ठीक है सिया दीदी, बोलिए। ”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, सम्पर्क ने मुझे बताया कि वो कल से कुछ दिनों के लिए अपने आफिस में जल्दी जाकर देर रात तक काम करेगा, और वो कुछ दिनों के लिए देर रात को घर में वापस आया करेगा। ”

तभी सिया परेशान होकर शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, इसका सीधा-सा मतलब ये है कि कुछ दिनों के लिए हम सम्पर्क पर नजर नहीं रख पायेंगे।”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ सिया दीदी, आप परेशान मत होइए, मैं कुछ सोचती हूं। ”

थोड़ी देर के बाद, शिप्रा ख़ुश होकर सिया से कहती है -“ सिया दीदी, अभी-अभी मेरे दिमाग में एक बहुत अच्छा प्लान आया है। जिसको सुनने के बाद आपकी सारी परेशानी खत्म हो जाएंगी, और इस बार हमें सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में जरुर पता चल जाएगा। ”

तभी सिया शिप्रा से पूछती है -“ वैसे तुम्हारा प्लान क्या है ?”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, मुझे और आपको सम्पर्क पर इस घर में नज़र रखने के बाद भी, अभी तक उसका साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है। इसलिए सिया दीदी, मैंने सोचा है कि आप सम्पर्क के साथ उसके आफिस में जाकर उस पर नजर रखें। और आप तो सम्पर्क के आफिस को पहले भी सम्भाल चुकी हैं, इसलिए आपको वहां पर जाने के बाद कोई परेशानी भी नहीं होगी। सम्पर्क के आफिस में जाकर, उस पर नजर केवल आप ही रख सकती हैं, मैं तो सम्पर्क के आफिस में जा नहीं सकती हूं, क्योंकि उसकी नज़रों में तो मेरी याददाश्त जा चुकी है। इसलिए मेरा ये प्लान आपके विना कामयाब नहीं हो पाएगा। मेरे इस प्लान के कामयाब होने के बाद, हमें सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति के बारे में ज़रूर पता चल जाएगा। सिया दीदी, बस मुझे आपकी मदद की जरूरत पड़ेगी, आपको किसी भी तरह सम्पर्क को मनाना ही पड़ेगा कि वो आपको अपने आफिस में अपने साथ में ले जाने की इजाजत दे दे। ”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, मैंने पहले भी कहा है कि मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करुंगी, इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता नहीं करो, मैं तुम्हारी इस प्लान में पूरी-पूरी मदद करुंगी, और हमारा ये प्लान जरुर कामयाब होगा। मैं सम्पर्क को स्वयं को अपने आफिस में साथ ले जाने के लिए जरूर मना लूंगी।

 शिप्रा, लेकिन एक परेशानी है। ”

 उसके बाद शिप्रा सिया से पूछती है -“ सिया दीदी, तो आप कौन-सी परेशानी के बारे में बोल कर रही हैं ? ”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, सम्पर्क तो कल सुबह जल्दी अपने आफिस के लिए निकल जाएगा, तो मैं कल उसके साथ कैसे जा पाऊंगी ? ”

उसके बाद शिप्रा सिया से बोलती है -“ कोई बात नहीं सिया दीदी, आप परसों से सम्पर्क के आफिस में जाने लगना। जब कल सम्पर्क अपने आफिस से वापस आ जाएगा, तब आप उससे उसके आफिस में जाने के लिए बात कर लेना। ”

तभी सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है, शिप्रा। ”

 अगले दिन सुबह जल्दी उठकर सम्पर्क अपने आफिस के लिए निकल जाता है, फिर देर रात को सम्पर्क घर पर लौट कर आता है।

तभी सिया सम्पर्क के पास जाकर कहती है -“ सम्पर्क तुमने कल मुझे बताया था कि तुम्हारे आफिस में बहुत काम बढ़ गया है, इसलिए मैं सोच रही थी कि मैं कल से ही तुम्हारे साथ तुम्हारे आफिस में जाकर, आफिस के काम में तुम्हारी मदद करूं। ”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, आप आफिस के काम की चिंता मत कीजिए, उसको तो मैं सम्भाल लूंगा, आप केवल घर पर आराम कीजिए।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ वो तो ठीक है, सम्पर्क। लेकिन जैसे मैंने पहले तुम्हारे आफिस को सम्हाला था, वैसे ही अब भी मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूं। और अब तो तुम भी मेरी मदद करने के लिए वहां पर मौजूद होगे। ”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ लेकिन, सिया दीदी।”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ अब लेकिन-वेकिन कुछ नहीं। सम्पर्क, अगर तुमने मुझे अपने आफिस में अपने साथ ले जाने के लिए मना किया, तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। और उसके बाद मैं यहीं समझूंगी कि तुम्हें मेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं है।”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। कल से आप‌ मेरे साथ मेरे आफिस में चल रही हो, लेकिन सिया दीदी, आप फिर से ये कभी नहीं कहेंगी कि मुझे आपकी कोई परवाह नहीं है। ”

तभी सिया सम्पर्क से कहती है -” ठीक है, सम्पर्क। अभी मैं सोने जा रही हूं, कल मुझे तुम्हारे साथ आफिस के लिए भी निकलना है। ”

उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -” ठीक है, सिया दीदी। ”

तभी सिया वहां से चली जाती है, और फिर वो शिप्रा के पास जाकर कहती है -“ शिप्रा, मैंने सम्पर्क को उसके आफिस में खुद को अपने साथ ले जाने के लिए मना लिया है। और मैं कल से ही उसके साथ उसके आफिस में जाऊंगी। ”

उसके बाद शिप्रा सिया से कहती है -“ ठीक है, सिया दीदी। अब हमारा प्लान जल्दी ही कामयाब हो जाएगा। उसके बाद मैं सम्पर्क से अपना बदला लूंगी।

ठीक है सिया दीदी, अब आप सोने जाइए। ”

उसके बाद सिया वहां से अपने कमरे में सोने के लिए चली जाती है।

अगले दिन सुबह ही सिया सम्पर्क के साथ उसके आफिस के लिए निकल जाती है।

सिया लगभग दो दिनों से सम्पर्क पर नजर रखे हुए थी, लेकिन अब तक सिया को सम्पर्क के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था।

 उसके अगले ही दिन भी, आफिस में सिया सम्पर्क पर नजर रखे हुए थी, उसी दिन सम्पर्क के मोबाइल पर एक नम्बर से बार-बार काॅल आ रहा था, लेकिन सम्पर्क उस काॅल को बार-बार काट रहा था। तो सिया को शक हो गया कि ये कहीं उसी व्यक्ति की कॉल तो नहीं है, जो सम्पर्क का साथ दे रहा है। उसके बाद सिया सम्पर्क से दूर किसी दूसरे कमरे में चली जाती है, उसके बाद वो उस कमरे का दरवाज़ा बंद कर देती है, फिर वह शिप्रा को कॉल लगाकर कहती है -‘ हैलो शिप्रा, सम्पर्क के मोबाइल पर बहुत देर से एक नंबर से कॉल आ रही थी, मुझे लग रहा है कि ये उसी व्यक्ति की काॅल है जो सम्पर्क का साथ दे रहा है। अब जब मैं सम्पर्क के पास से चली आई हूं, तो अब सम्पर्क उस व्यक्ति की कॉल जरुर उठाएगा। इसलिए अभी तुम सम्पर्क के मोबाइल की उस काॅल को सुनकर, मुझे उस कॉल की रिकॉर्डिंग भेजो। ’

फोन के दूसरी ओर से शिप्रा बोलती है -‘ ठीक है, सिया दीदी। ’

थोड़ी देर बाद शिप्रा सिया के मोबाइल पर सम्पर्क के मोबाइल की अभी की कॉल रिकॉर्डिंग भेज देती है।

उसके बाद सिया उस कॉल रिकॉर्डिंग को सुनती है, « उस कॉल रिकॉर्डिंग में सम्पर्क किसी व्यक्ति से कह रहा था ‘ जब मैं कॉल को बार-बार काट रहा था, तो तुम मुझे बार-बार कॉल क्यों कर रहे थे। उस समय सिया दीदी मेरे सामने ही खड़ी थीं, इसलिए मैं तुम्हारी कॉल को बार-बार काट रहा था, क्योंकि अगर उन्हें मुझ पर शक हो जाता, तो हमारा पूरा प्लान फेल हो जाता। ’

उसके बाद फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -‘ ठीक है, अब से मैं तुम्हें कॉल नहीं करुंगा। ’

तभी सम्पर्क कहता है -‘ अभी तुमने मुझे किसलिए कॉल की है। ’

उसके बाद फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -‘ मैं अभी तुमसे मिलना चाहता हूं। ’

तभी सम्पर्क कहता है -‘ अभी सिया दीदी यहां पर नहीं है, इसलिए मैं अभी तुमसे पहले वाली जगह पर मिलने पहुंच रहा हूं। ’ 

उसके बाद फोन के दूसरी ओर से आबाज आती है -‘ ठीक है। ’

उसके बाद काॅल कट जाती है। ›

तुरंत ही सिया सम्पर्क को देखने जाती है, तब तक सम्पर्क अपने आफिस से निकल चुका था। उसके बाद सिया भी उस आफिस से जाने के लिए निकल जाती है, आफिस से बाहर निकलकर, फिर से वह शिप्रा से काॅल लगाकर कहती है -‘ शिप्रा, मैं सम्पर्क के पास से होकर आ रही हूं, लेकिन तब तक सम्पर्क निकल चुका था। ’

 उसके बाद फोन के दूसरी ओर से शिप्रा सिया से कहती है -‘ सिया दीदी, लगता है सम्पर्क उसी आदमी से मिलने गया है जिससे वह फोन पर बात कर रहा था। ’

 तभी सिया फोन पर शिप्रा से कहती है -‘ तुम्हें ये कैसे पता कि सम्पर्क जिससे बात कर रहा था, वह एक आदमी ही है। ’

उसके बाद शिप्रा फोन पर सिया से कहती है -‘ सिया दीदी, मुझे ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि वो व्यक्ति बिल्कुल आदमी की तरह ही बात कर रहा था। ’

 तभी सिया फोन पर शिप्रा से कहती है -‘ शिप्रा, ऐसा भी तो हो सकता है कि वो व्यक्ति कोई आदमी नहीं हो, बल्कि आदमी बनने का नाटक कर रहा है ताकि कोई उनकी बातें सुन भी ले, उसके बाद भी वह पता नहीं लगा पाए कि वह आदमी है या औरत।’

उसके बाद शिप्रा फोन पर सिया से कहती है -‘ सिया दीदी, आप बिल्कुल सही कह रही हैं।

 वैसे सिया दीदी, आपने मुझे अब कॉल क्यों की है ? ’

तभी सिया फोन पर शिप्रा से कहती है -‘ शिप्रा, मैंने तुम्हें इसलिए कॉल की है, क्योंकि तुम अभी मुझे अपने दोस्त शान्तनु से सम्पर्क की अभी की लोकेशन पता करके बताओ। मैं यहीं से सीधे सम्पर्क का पीछा करने जाऊंगी, उसके बाद ही मैं घर पर वापस आऊंगी। ’

 उसके बाद शिप्रा फोन पर सिया से कहती है -‘ ठीक है, सिया दीदी। मैं थोड़ी देर में शान्तनु से सम्पर्क की इस समय की लोकेशन पता करके आपको मैसेज करती हूं। और आप अपने मोबाइल के द्वारा वीडियो रिकॉर्डिंग जरुर कर लीजिएगा, ताकि हमें सम्पर्क के खिलाफ सबूत मिल सके। ’ 

उसके बाद बाद सिया शिप्रा से कहती है – ‘ ठीक है, शिप्रा। ’

 उसके बाद शिप्रा की कॉल कट जाती है।

कुछ मिनटों बाद ही, सिया के मोबाइल पर शिप्रा की ओर से एक मैसेज आता है, जिस पर सम्पर्क की अभी की लोकेशन का पता था।

उसके बाद सिया उस मैसेज में आए पते को देखती है, वो पास ही के एक सुनसान घर का पता था, थोड़ी देर में ही सिया उस पते पर पहुंच जाती है।

वहां पर पहुंचकर वो देखती है कि सम्पर्क वहां पर अभी-अभी पहुंचा था, तभी सम्पर्क एक कमरे में चला जाता है, उस कमरे में कोई व्यक्ति पहले से ही मौजूद था, उसके बाद सम्पर्क उस कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है। सिया उस कमरे के चारों ओर देखती है, लेकिन उसे उस कमरे में कोई भी खिड़की और कोई भी रोशनदान दिखाई नहीं देता है। तभी सिया को उस कमरे की दीवार पर एक छोटा सा सुराख दिखाई देता है। तभी वह उसी सुराख से अपने मोबाइल के द्वारा, सम्पर्क और उस कमरे में मौजूद व्यक्ति का वीडियो बनाने के लिए झांकने लगती है ताकि वो उस वीडियो रिकॉर्डिंग को शिप्रा को दिखा सके और सम्पर्क के खिलाफ सबूत भी हासिल कर सकें।

 सिया कमरे में मौजूद व्यक्ति को देखने के लिए बहुत बेसब्र हो रही थी, लेकिन ये पता नहीं चल रहा था कि वो व्यक्ति आदमी है या औरत, क्योंकि उस व्यक्ति ने जैकेट पहनी हुई थी। और सिया को उस व्यक्ति का चेहरा भी दिखाई नहीं दे रहा था, क्योंकि वह व्यक्ति सिया की ओर पीठ करके सम्पर्क से बात कर रहा था। सिया उस व्यक्ति के मुड़ने का इन्तज़ार करना छोड़कर, वीडियो रिकॉर्डिंग करना शुरु कर देती है। उस वीडियो रिकॉर्डिंग में केवल सम्पर्क का चेहरा ही साफ दिखाई दे रहा था। 

 « तभी वे दोनों आपस में बात करने लगे, 

 सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ अभी तक जैसा तुमने मुझसे कहा था, मैंने बिल्कुल वैसा ही किया है। ”

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ तुम्हारे पास ऐसा करने के अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं था। ”

 तभी सिया सम्पर्क और उस व्यक्ति की वो बात सुनकर एकदम हैरान रह जाती है, सिया समझ ही नहीं पा रही थी कि ये सब हो क्या रहा है और वो लोग किस बारे में बात कर रहे हैं।

 उसके बाद सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ मैं तुमसे शादी बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं तुमसे शादी करने के लिए भी तैयार हो गया, अब तो तुम मुझ पर भरोसा करो। ”

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ ठीक है। ”

 तभी सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ अच्छा अब तुम मुझे ये बताओ कि तुमने मुझे यहां पर क्यों बुलाया है ? ”

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ मैंने तुम्हें ये पूछने के लिए बुलाया है कि सिया तुम्हारे आफिस में क्या कर रही है ? कहीं तुमने सिया को सबकुछ सच-सच बता तो नहीं दिया है। ”

 तभी सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ मैं सिया दीदी को तुम्हारे बारे में सबकुछ बता देना चाहता हूं, लेकिन मैं चाहकर भी उन्हें कुछ नहीं बता सकता हूं। सिया दीदी तो कुछ दिनों के लिए मेरे आफिस में बस मेरी मदद करने के लिए आ रही हैं। ”

उन दोनों की ये बात सुनकर, सिया समझ गई कि ये व्यक्ति उसे बहुत अच्छे से जानता है, लेकिन सिया को ये बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये व्यक्ति कौन हो सकता है।

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ ठीक है, तुम सिया को मेरे बारे में कुछ भी बताने की सोचना तक नहीं, अगर तुमने ऐसा किया, तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। और तुम सिया को भी आफिस में आने के लिए मना कर दोगे, क्योंकि उनकी बजह से तुमसे मिलने मैं आफिस में भी नहीं आ पा रहा हूं। ”

तभी सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ लेकिन उनसे तुम्हें कोई भी खतरा नहीं होगा।”

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ मुझे पता है, लेकिन मैं कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता हूं। ”

 तभी सम्पर्क उस व्यक्ति से कहता है -“ ठीक है, मैं थोड़ी देर बाद अपने घर पर जाकर सिया दीदी से आफिस आने के लिए मना कर दूंगा। ” 

 उसके बाद वो व्यक्ति सम्पर्क से कहता है -“ ठीक है, तो मैं चलता हूं। ”

 उसके बाद जैसे ही वो व्यक्ति जाने के लिए मुड़ता है, तभी सिया उस उस व्यक्ति का चेहरा देख लेती है, उस व्यक्ति का चेहरा देखकर सिया के पैरों तले जैसे जमीन ही खिसक जाती है, सिया ने उस व्यक्ति के बारे में सोचा तक नहीं था कि वो व्यक्ति कभी ऐसा भी करेगा। सिया को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था, क्योंकि वो व्यक्ति बहुत सीधी-सादी बनने का नाटक करती थी। वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि ‘ सांत्वना ’ थी। उसके बाद सांत्वना उस कमरे से बाहर निकल जाती है, उसके बाद सिया वीडियो रिकॉर्डिंग को बंद करके, वहां से अपने घर पर जाने के लिए निकल जाती है। »

घर पर जाते समय, सिया ये बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि ‘ सांत्वना ’ ये सब क्यों कर रही है, और सम्पर्क उसकी हर बात क्यों मान रहा है, और वो लोग किस बारे में बात कर रहे थे ? इस समय सिया के मन में ऐसे ही कई सवाल उठ रहे थे, उन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए सिया बहुत बेसब्र हो रही थी।

Chapter 15:- सम्पर्क का हैरान कर देने वाला सच 

 तभी थोड़ी देर बाद, सिया अपने घर पर पहुंच जाती है।

तभी शिप्रा सिया से पूछती है -“ सिया दीदी, आपको सम्पर्क का साथ देने वाले व्यक्ति का नाम पता चल गया क्या ?”

 उसके बाद सिया मायूस होकर शिप्रा से कहती है -“ हां, पता चल गया। ”

 तभी शिप्रा सिया से पूछती है -“ सिया दीदी, ये तो ख़ुश होने वाली बात है, फिर आप इतनी मायूस क्यों लग रही हैं ?”

 

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ पहले मैं सम्पर्क के खिलाफ सबूत हासिल करने के लिए बहुत बेसब्र हो रही थी, लेकिन आज जब मैंने सम्पर्क का पीछा किया, तब सम्पर्क की बातें सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं सम्पर्क के साथ सही नहीं कर रही हूं। ”

तभी शिप्रा हकलाकर सिया से बोलती है-“ सिया दीदी, ये आप क्या कह रही हैं, आज सुबह आपको सम्पर्क के बारे में ऐसा भी क्या पता चल गया है। ”

 उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ आज थोड़ी देर पहले तुम्हारे द्वारा सम्पर्क की लोकेशन बताने के बाद, जब मैं सम्पर्क के पीछे गई। तब मैंने सम्पर्क के ख़िलाफ़ सबूत के लिए अपने मोबाइल में वीडियो रिकॉर्डिंग करनी शुरु कर दी। वो वीडियो रिकॉर्डिंग अभी मेरे मोबाइल में ही है, तुम उसे देख लो, उसके बाद तुम्हें सबकुछ समझ में आ जाएगा। ”

 तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ ठीक है, सिया दीदी। ”

 उसके बाद शिप्रा सिया के मोबाइल में वो वीडियो रिकॉर्डिंग देखती है।

 उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखने के बाद शिप्रा की आंखें फटती ही चली जाती हैं, वो बिल्कुल हैरान हो जाती है।

 तभी शिप्रा सिया से बोलती है-“ सिया दीदी, इस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखने के बाद तो मुझे भी लग रहा है कि सम्पर्क ने ये सब किसी मजबूरी में आकर किया है, और अभी तक सम्पर्क ने जो कुछ भी किया है, उसके पीछे ‘ सांत्वना ’ का हाथ है। मुझे ये यकीन ही नहीं हो रहा है कि ‘ सांत्वना ’ मेरे साथ कभी ऐसा भी करेगी ? ”

 तभी कुछ सोचने के बाद, शिप्रा सिया से बोलती है-“ सिया दीदी, कहीं सम्पर्क ने आपको देख तो नहीं लिया था, इसलिए वो आपके सामने नाटक कर रहा हो। ”

 उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ नहीं शिप्रा, मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उस समय सम्पर्क कोई नाटक कर रहा था। और उस जगह पर जब मैं पहुंची थी, तब तक सम्पर्क वहां पर पहुंच चुका था। ”

 तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, शायद आप बिल्कुल सही कह रही हैं। अगर आप सम्पर्क का पीछा करने के बाद उस जगह पर पहुंचती, जहां सम्पर्क सांत्वना से मिलने पहुंचा था, तो शायद सम्पर्क आपको देख भी सकता था। लेकिन मैंने आपको सम्पर्क की लोकेशन का पता बताया था, और आप सम्पर्क के पहुंचने के बाद पहुंची थी, इसलिए सम्पर्क आपको देख ही नहीं सकता था। ”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, मुझे लगता है कि सम्पर्क ने तुम्हारे साथ जो कुछ भी किया है, वो जानबूझकर नहीं किया था, बल्कि किसी मजबूरी में आकर किया था, और उस वीडियो रिकॉर्डिंग में साफ-साफ दिख रहा है इस सब के पीछे ‘ सांत्वना ’ का हाथ है। ”

तभी शिप्रा रोते हुए सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, क्या कोई भी मजबूरी आने पर सम्पर्क मुझे मारने की कोशिश करेगा। ‘ सांत्वना ’ तो दूसरी थी, लेकिन सम्पर्क तो मेरा पति था, फिर भी उसने मेरे साथ दुश्मनों से भी बद्तर व्यवहार किया। ”

उसके बाद सिया गुस्से में शिप्रा से कहती है -“ शिप्रा, तुमने बिल्कुल सही कहा। सम्पर्क की कैसी भी मजबूरी हो, लेकिन उसे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। इस सब के लिए ‘ सांत्वना ’ और ‘ सम्पर्क ’ दोनों को ही सजा जरूर मिलनी चाहिए, और मैं उन दोनों को सजा दिलवाकर ही रहूंगी। उससे पहले मैं सम्पर्क से पूछना चाहूंगी कि उसने ये सब क्यों और किस मजबूरी में आकर किया है, इसलिए शिप्रा तुम्हें रोने की कोई भी जरूरत नहीं है। ”

तभी वहां पर सम्पर्क आ जाता है।

उसके बाद सिया सम्पर्क से बोलती है -“ सम्पर्क, मैं तुमसे कुछ पूछूं, और तुम मुझे उसका कोई भी जबाव दो, उससे पहले मैं तुम्हें एक वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाना चाहती हूं। ”

उसके बाद सिया सम्पर्क को वो वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाती है, जो उसने अपने मोबाइल में रिकार्ड की हुई थी।

 उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखकर, सम्पर्क ऐसे व्यवहार करता है जैसे उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखने के बाद उसे बिल्कुल भी फ़र्क नहीं पड़ा हो। सम्पर्क को ऐसा व्यवहार करते हुए देखकर सिया और शिप्रा दोनों ही हैरान रह जाती हैं।

तभी सिया सम्पर्क से पूछती है -“ सम्पर्क क्या तुम्हें इस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखकर कोई भी हैरानी नहीं हुई ? ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ नहीं, सिया दीदी।”

 सम्पर्क की ये बात सुनकर, सिया और शिप्रा दोनों हैरान हो जाते हैं।

 तभी सिया सम्पर्क से पूछती है -“ लेकिन, क्यों सम्पर्क। इस वीडियो रिकॉर्डिंग के द्वारा, मैं तुम्हें सजा भी दिलवा सकती हूं।”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, सज़ा से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, मुझे तो इस बात की खुशी है कि ‘ सांत्वना ’ अब बच नहीं पायेगी।

 बस सिया दीदी, मुझे आपकी और शिप्रा की एक मदद चाहिए। ”

तभी सिया गुस्से में सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं करुंगी। ”

 उसके बाद शिप्रा कुछ सोचकर, सिया से ना बोलने का इशारा करके सम्पर्क से बोलती है -“ ठीक है। मैं और सिया दीदी दोनों ही आपकी मदद करेंगे, लेकिन पहले तुम्हें ये बताना होगा कि तुमने मुझे मारने की कोशिश क्यों की, और तुम सांत्वना की बात क्यों मान रहे हो ?”

तभी सिया रुखी आवाज में सम्पर्क से कहती है – सम्पर्क, तुम्हें मेरी कसम है और तुम मेरी जरा सी भी इज्जत करते हो, तो तुम बिल्कुल भी झूठ नहीं बोलोगे। ”

उसके बाद सम्पर्क दुखी होकर सिया से कहता है -“ ठीक है सिया दीदी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं इसलिए मैं आपसे बिल्कुल भी झूठ नहीं बोलूंगा। सिया दीदी, पहले ये बात मैं आपसे छुपाकर रखना चाहता था, लेकिन अब वो समय आ ही गया है, जब आपको सबकुछ पता होना ज़रूरी है। ”

 तभी सिया रुखी आवाज में सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, तो बताओ। ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, सही बात तो ये है कि ये सब मैंने आपके लिए ही किया है। ”

सम्पर्क की वो बात सुनकर सिया और शिप्रा एकदम से चौंक जाते हैं।

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, ये तुम क्या कह रहे हो, कहीं तुम फिर से झूठ तो नहीं बोल रहे हो। ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया कहता है -“ सिया दीदी, आपने मुझे अपनी क़सम दी है, इसलिए मैं आपसे बिल्कुल भी झूठ नहीं बोल सकता हूं। 

 ठीक है, मैं आप दोनों लोगों को पूरी बात बताता हूं। ”

उसके बाद सिया और शिप्रा सम्पर्क की बात बड़े गौर से सुनने लगते हैं।

 तभी सम्पर्क कहता है -“ « आज से कई महीनों पहले, जब मैं अपने एक्सीडेंट की बजह से विकलांग हो गया था। उसके छः महीने बाद जब मैं पूरी तरह से ठीक हो गया, उसी दिन मैं शिप्रा को सरप्राइज देने के लिए उसका आफिस से लौटने का इन्तज़ार कर रहा था। कुछ घंटो के बाद, जब शिप्रा लौटकर आई, तो उसने मुझे बताया कि मेरा ये एक्सीडेंट जानबूझकर कराया गया है, और इस एक्सीडेंट के पीछे शल्य जी का हाथ है। मैं शिप्रा की ये बात सुनकर एकदम हैरान रह गया, मुझे शिप्रा की इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ। तभी शिप्रा ने मुझे एक वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई जो उसे उसके एक दोस्त ‘ सुरेश ’ ने दी थी, उस वीडियो रिकॉर्डिंग में शल्य जी मेरे एक्सीडेंट करवाने के लिए शिप्रा के उसी दोस्त से कह रहे थे। उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखने के बाद, मुझे शल्य जी पर बहुत गुस्सा आया। उसके बाद शिप्रा ने मुझे समझाया कि सिया बहन ने आपके लिए बहुत कुछ किया है, जब उनको ये पता चलेगा कि आपका ये एक्सीडेंट शल्य जी ने करवाया है, तो वे बहुत ज्यादा दुखी होंगी, और वैसे भी आप ठीक हो ही चुके हैं, अब उस एक्सीडेंट के बारे में सोचने का कोई भी फायदा नहीं है, इसलिए आप शल्य जी को माफ़ कर दीजिए। शिप्रा की ये बात सुनने के बाद मैंने शल्य जी को माफ़ कर दिया, लेकिन मैंने शल्य जी को बस ये पूछने के लिए लंदन कॉल करके यहां पर बुला लिया कि उन्होंने मेरा ये एक्सीडेंट क्यों करवाया था, उन्होंने मुझे अगले दिन तक आने के लिए कह दिया। » ”

उसके बाद सिया शिप्रा से पूछती है -“ शिप्रा, क्या तुम पहले से जानती थी कि सम्पर्क का वो एक्सीडेंट किस ने करवाया है ? फिर भी तुमने मुझसे कुछ कहा क्यों नहीं ? ”

तभी शिप्रा सिया से बोलती है -“ क्योंकि सिया दीदी, मैं जानती थी कि आप सम्पर्क से बहुत प्यार करती हैं, इसलिए मैं आपको इस बात के बारे में बताकर दुखी नहीं करना चाहती थी। तब तक सम्पर्क जी भी ठीक हो ही चुके थे, इसलिए अब ये बात करने का, किसी को कुछ फायदा नहीं होने वाला था। और मैंने ये बात सम्पर्क जी को बस इसलिए बतायी ताकि दूसरा कोई इस बात को बताकर, आपके और सम्पर्क जी के बीच में गलतफहमियां पैदा ना कर पाए।

सिया दीदी, अब आप इस बात को भुला दीजिए। ”

उसके बाद सिया शिप्रा से कहती है -“ ठीक है।”

 तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ उसके बाद क्या हुआ, इस बारे में मैंने शिप्रा को भी कुछ नहीं बताया था, लेकिन आज सबकुछ बताना ज़रूरी हो गया है।

 « उस दिन शल्य जी को लंदन कॉल करके बुलाने के बाद, उसी दिन शाम को ये जानने के लिए कि ‘ कहीं ये वीडियो रिकॉर्डिंग नकली तो नहीं है, जो मेरे पास है, ’ मैं शहर से दूर एक कम्प्यूटर वाले के पास चला गया। उस कम्प्यूटर वाले ने मुझसे कहा कि ‘ मेरे पास एक नई टेक्नोलॉजी आई है, जिससे पता चल जाएगा कि ये वीडियो रिकॉर्डिंग असली है या नहीं, और ये भी पता चल जाएगा कि इस वीडियो रिकॉर्डिंग में कितने व्यक्ति हैं। ’ तभी मैंने उस कम्प्यूटर वाले से उस वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच करने के लिए कहा। उसके बाद उस कम्प्यूटर वाले ने मुझे जो बताया, उसको सुनकर मेरे पैरों तले जैसे जमीन ही खिसक गई।

उसने मुझे बताया कि ‘ ये वीडियो रिकॉर्डिंग एकदम असली है, और इस वीडियो रिकॉर्डिंग में दो नहीं बल्कि तीन व्यक्ति हैं, इस वीडियो रिकॉर्डिंग में एक महिला पर्दे के पीछे छिपी हुई है जो पहले दिखाई नहीं दे रही थी। ’ मैं उस वीडियो रिकॉर्डिंग में आपको छिपा हुआ देखकर हैरानी में पड़ गया। उसके बाद मैं उस कम्प्यूटर वाले से पहले वाली वीडियो रिकॉर्डिंग और उस वीडियो रिकॉर्डिंग की कापी लेकर वहां से लौट आया, और फिर मैं शल्य जी का इन्तज़ार करने लगा।

शल्य जी के यहां पर आने के बाद, मैंने उनसे एक्सीडेंट करवाने की बजह के बारे में पूछा। पहले तो उन्होंने मुझे सच नहीं बताया, फिर मैंने दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को शल्य जी को दिखाया, उसके बाद उन्होंने मुझे बताया कि ‘ मेरा बिजनेस पूरी तरह बर्बाद होने वाला था, इसलिए उसको बचाने के लिए कुछ दिनों के लिए मुझे तुम्हारा बिजनेस अपने नाम पर चाहिए था, इसके लिए मुझे तुम्हारा ये एक्सीडेंट मजबूरी में करवाना पड़ा। उसके लिए मैंने सुरेश से तुम्हारा एक छोटा सा एक्सीडेंट करने के लिए कहा, उसके बाद सुरेश उस छोटे से एक्सीडेंट करने के लिए मान गया, लेकिन सुरेश ने मुझे धोखा दिया, उसने तुम्हारा छोटा सा एक्सीडेंट करने की बजाय तुम्हें एक्सीडेंट में मारने की कोशिश की, जिससे तुम बच तो गए लेकिन विकलांग हो गये। फिर जब मुझे इस बात का चला, तो मैंने सुरेश को इसकी सजा दे दी। तुम्हारा एक्सीडेंट करवाने में सिया की कोई भी ग़लती नहीं है, वो तो मुझे तुम्हारा छोटा सा एक्सीडेंट करवाने से भी मना कर रही थी, लेकिन मेरे बहुत कहने पर ही वो इस एक्सीडेंट के लिए मानी थी, इसलिए तुम सिया को माफ़ कर दो। ’ उसके बाद शल्य जी ने मुझसे वादा किया कि ‘ मैं फिर कभी ऐसा नहीं करुंगा। ’ उसके बाद इस सब के लिए शल्य जी ने मुझसे माफी मांगी। फिर मैंने आपको और शल्य जी को माफ़ कर दिया, उसके बाद शल्य जी ने मुझसे वादा लिया कि ‘ मैं ये बात कभी भी सिया को ना बताऊं। ’ उसके बाद मैंने वे दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल से डिलीट कर दीं। » ”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, उस समय मैंने तुम्हारे साथ बहुत ग़लत किया था, इसलिए तुम मुझे फिर से माफ़ कर दो।”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, मैं पुरानी सभी बातों को भुला चुका हूं, इसलिए आप भी पुरानी बातें भुला दीजिए। ”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ ठीक है, सम्पर्क। लेकिन तुम्हें शिप्रा को मारने की क्या जरूरत पड़ गई। ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है सिया दीदी, मैं आपको इस बारे में भी बताता हूं – « उस घटना को कई हफ्ते बीत गए, अब जल्द ही मेरी जिंदगी में एक ऐसा तूफान आने वाला था, जिसके बारे में मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। फिर एक दिन ‘ सांत्वना ’ मुझसे मिलने के लिए मेरे आफिस में आई, मुझे नहीं पता था कि ‘ सांत्वना ’ मेरी जिंदगी में वही तूफान बनकर आई है, जो मेरी पूरी जिंदगी को उजाड़ कर रख देने वाला था।

 मैंने सांत्वना को अपने आफिस से निकल जाने के लिए कहा, उसके बाद सांत्वना ने अकड़कर मुझसे कहा ‘ एक बार मेरी बात सुनने के बाद, तुम कभी भी मुझे जाने के लिए नहीं कहोगे। ’ 

 उसके बाद मैंने सांत्वना से कहा ‘ ठीक है, जल्दी बताओ जो भी बताना चाहती हो। ’ 

 तभी सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ मुझे पता है कि आज से कुछ महीनों पहले तुम्हारा एक्सीडेंट किसने करवाया था। ’ 

 सांत्वना की ये बात सुनकर मैं एकदम से चौंक गया। उसके बाद मैं सांत्वना को अकेले में लेकर गया। तभी मैंने सांत्वना से पूछा ‘ ये तुम क्या कह रही हो ? ’ 

फिर सांत्वना ने मुझे वे दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाईं, जिनको मैं अपने मोबाइल से डिलीट कर चुका था, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि दूसरी वाली वीडियो रिकॉर्डिंग सांत्वना के पास कैसे पहुंची क्योंकि वो वीडियो रिकॉर्डिंग तो केवल मेरे पास ही थी।

 उसके बाद मैंने सांत्वना से पूछा ‘ ये दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग तुम्हारे पास कैसे आईं ? ’

उसके बाद सांत्वना ने मुझे बताया ‘ ठीक है, तो सुनो- ‹ दरअसल ‘ सुरेश ‘ मेरा दोस्त था। मैंने ‘ सुरेश ‘ से तुम्हारे एक्सीडेंट करवाने वाली वीडियो रिकॉर्डिंग लेकर के, तुम्हें बताने के लिए तुम्हारे घर पहुंच गई, ताकि मैं तुम्हारे घर में ड्रामा होते हुए देख सकूं, तभी मैंने छिपकर देखा कि शिप्रा ने तुम्हें मेरी वाली वीडियो रिकॉर्डिंग पहले ही दिखा दी है, उसके बाद उसने तुम्हें समझाकर, सारी बात को सम्भाल भी लिया। फ़िर मेरा ड्रामा होते हुए देखने का प्लान, शिप्रा की बजह से फैल हो गया। फिर तुम शल्य को अगले दिन आने की कहकर, थोड़ी देर बाद तुम शहर से दूर जाने के लिए निकल गए, उसके बाद मैं तुम्हारा पीछा करने लगी। फिर तुम एक कम्प्यूटर वाले के पास चले गए, इत्तेफाक से मैं उस कम्प्यूटर वाले को अच्छे से जानती थी, थोड़ी देर के बाद तुम वहां से चले ‌‌‌‌‌गए। फिर मैंने उस कम्प्यूटर वाले से पूछा कि ‘ तुम यहां पर क्यों और किसलिए आए थे ? ‘ उसके बाद उस कम्प्यूटर वाले ने मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ बता दिया, फिर मैंने उस कम्प्यूटर वाले से उसी टेक्नोलॉजी से अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग की कापी निकलवाई, फिर उस कम्प्यूटर वाले से मैं अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग की कापी को लेकर वहां से चली गई। दूसरे दिन, मैं तुम्हारे घर पर फिर से पहुंची, तभी मैंने देखा कि तुम शल्य से कह रहे थे कि ‘ इन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में सिया दीदी या किसी और को कुछ भी पता नहीं चलेगा। ‘ उसके बाद तुमने अपने मोबाइल से दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को डिलीट कर दिया, उसके बाद मैं तुम्हारे घर से चली आई।

 तभी सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ अब वे दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग केवल मेरे पास हैं, अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी या इन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में सिया या शिप्रा को कुछ भी बताया, तो वे‌ दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग सबके पास होंगी। उसके बाद सिया को तो सब कुछ पता चलेगा ही चलेगा, फिर शल्य और सिया को सज़ा होने से कोई भी नहीं बचा पाएगा। ’ सांत्वना की ये बात सुनकर मैं पसीने-पसीने हो गया।

 तभी मैंने सांत्वना से पूछा ‘ ठीक है, अब तुम क्या चाहती हो। ’

 उसके बाद सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ मेरी सिया से तो कोई दुश्मनी नहीं है, मैं केवल शिप्रा से बदला लेना चाहती हूं, क्योंकि जब तुमसे मेरी शादी होने वाली थी तो उस समय शिप्रा ने मेरी बहुत बेइज्जती की थी, उसके बाद उसने तुम्हारे एक्सीडेंट का सच बताने का मेरा प्लान भी फ़ैल कर दिया था। अब मैं समझ चुकी हूं कि शिप्रा के रहते हुए मेरा कोई भी प्लान कामयाब नहीं होगा, इसलिए तुम्हें मेरी केवल दो शर्तें माननी पड़ेगी, उसके बाद मैं ये दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग हमेशा के लिए अपने पास से डिलीट कर दूंगी। ’

 तभी मैंने सांत्वना से पूछा ‘ ठीक है, तुम अपनी वो दो शर्तें बताओ। ’

 उसके बाद सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ * मेरी पहली शर्त ये है कि ‹ तुम्हें शिप्रा को एक्सीडेंट करके इस तरह से मारना होगा कि उसके बाद शिप्रा तुमसे बहुत नफरत करने लगे, ताकि अगर शिप्रा बच भी जाए तो वो तुम्हारे बारे में ही ग़लत सोचे, और कोई कभी भी मुझ तक ना पहुंच पाए। ›

* मेरी दूसरी शर्त ये है कि ‹ तुम्हें मुझसे शादी करके अपनी सारी जायदाद मेरे नाम पर करनी होगी। › 

 तुम मेरी ये दोनों शर्तें पूरी कर दो, उसके बाद मैं ये दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग हमेशा के लिए अपने पास से डिलीट कर दूंगी। ’

 तभी मैंने सांत्वना से कहा ‘ ठीक है, मैं तुम्हें शाम तक बता दूंगा। ’ 

 उसके बाद सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ ठीक है, मैं शाम को फिर आऊंगी। ’

‌ उसके बाद सांत्वना वहां से चली गई। 

 उसके बाद बहुत सोचने के बाद, मैंने शल्य जी को काॅल लगाई, उसके बाद उन्हें सांत्वना जो कह रही थी उस बारे में सबकुछ बता दिया।

 उसके बाद शल्य जी ने मुझसे कहा ‘ अगर मैं तुम्हारे साथ हुए एक्सीडेंट का सारा इल्जाम अपने सर पर ले लूं, तो सांत्वना सिया को किसी तरह की सजा नहीं दिलवा पाएगी। ’

 तभी मैंने शल्य जी से कहा ‘ इसके बाद सांत्वना सिया के साथ तो कुछ नहीं कर पाएगी, लेकिन मेरे एक्सीडेंट के लिए आपको सजा हो जाएगी, और मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी बजह से आपको और सिया दीदी को कोई भी परेशानी हो। इसलिए आप ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेंगे। ”

 फिर शल्य जी ने मुझसे कहा ‘ ठीक है, तो अब तुम क्या करोगे। ’

 तभी मैंने शल्य जी से कहा ‘ शायद मेरा और शिप्रा का साथ यहीं तक का था, और मैंने सोच लिया है कि अब मुझे क्या करना है। मैं जो करना चाहता हूं उसमें मुझे आपकी मदद की जरूरत पड़ेगी। ’

 तभी शल्य जी ने मुझसे कहा ‘ ठीक है बताओ, मुझे क्या करना है। ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी को बताया ‘ मैं कुछ दिनों बाद शिप्रा को बाहर घुमाने के लिए ले जाऊंगा, तभी मैं शिप्रा को एक्सीडेंट करके मारने का ऐसा नाटक करुंगा कि वो मुझसे बहुत नफरत करने लगेगी, और मुझसे बेहद नफ़रत करने की बजह से वो दोबारा से मेरे घर में नहीं आएगी, और फिर वो सांत्वना की नजरों से भी बची रहेगी। उसके बाद आप शिप्रा को सिद्धिविनायक हास्पिटल के बाहर छोड़ आएंगे, वहां पर उसका दोस्त ‘ डॉक्टर शान्तनु ‘ है जो शिप्रा का अच्छे से ख्याल रखेगा।’

 ‍तभी शल्य जी ने मुझसे पूछा ‘ तुम इस तरह से शिप्रा को मारने का नाटक करोगे, तब तो शिप्रा हमेशा ही तुमसे बहुत नफरत करती रहेगी। ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी से कहा ‘ मुझे पता है कि शिप्रा मुझसे बहुत नफरत करती रहेगी, लेकिन मुझे ये करना ही पड़ेगा नहीं तो सांत्वना उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सिया दीदी को सज़ा दिलवा देगी, और मैं सिया दीदी को फ़िर से खो नहीं सकता हूं। मैं शिप्रा के साथ रह तो नहीं सकता हूं, लेकिन मुझे एक बात की तो खुशी होगी कि शिप्रा कम से कम जिंदा तो रहेगी। ’

 तभी शल्य जी ने मुझसे पूछा ‘ क्या तुम खुद शिप्रा को सिद्धिविनायक हास्पिटल के बाहर नहीं छोड़ सकते हो ? ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी से कहा ‘ मैं शिप्रा को उस हास्पिटल के बाहर नहीं छोड़ सकता हूं, इसकी सीधी बजह ये है कि सांत्वना की हर समय मुझ पर नज़र रहेगी, अगर शिप्रा को मैं उस हास्पिटल के बाहर छोड़ने गया, और सांत्वना को मुझ पर जरा सा भी शक हो गया, तो कहीं वो उन वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सिया दीदी को सज़ा ना दिलवा दे, और सिया दीदी को मैं अपनी बजह से किसी ख़तरे में नहीं डाल सकता हूं। इसकी एक वजह ये भी है कि मैं इस काम के लिए किसी और व्यक्ति पर भरोसा नहीं कर सकता हूं, और फिर आपकी सिद्धिविनायक हास्पिटल में भी अच्छी जान-पहचान है, जिससे मुझे शिप्रा के बारे में भी पता चलता रहेगा। ’

 तभी शल्य जी ने मुझसे कहा ‘ ठीक है, तुम्हारे द्वारा शिप्रा का एक्सीडेंट करने के बाद, मैं शिप्रा को सिद्धिविनायक हास्पिटल के बाहर पहुंचा दूंगा। ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी से कहा ‘ आपको इस बारे में सिया दीदी को बिल्कुल भी नहीं बताना है। शिप्रा के एक्सीडेंट का नाटक करने के बाद, मैं कुछ दिनों में सांत्वना से शादी करके पूरी जायदाद उसके नाम पर कर दूंगा, उसके बाद मैं सांत्वना से उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को डिलीट करवा दूंगा। ’

 तभी शल्य जी ने मुझसे पूछा ‘ क्या तुम सांत्वना से शादी करने के बाद, शिप्रा को भुला दोगे। ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी से कहा ‘ मैं सांत्वना से शादी केवल सिया दीदी के खिलाफ उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को डिलीट करवाने के लिए कर रहा हूं, उसके बाद मैं सांत्वना से अलग हो जाऊंगा। क्योंकि मैं तो हमेशा शिप्रा से ही प्यार करता रहूंगा, चाहें शिप्रा मुझसे कितनी नफ़रत ही क्यों न करती रहे। और शल्य जी, आपको हमारे बीच में हुई बातों के बारे में सिया दीदी को कभी कुछ नहीं बताना है। ’

 तभी शल्य जी ने मुझसे कहा ‘ ठीक है सम्पर्क, मैं हमारे बीच में हुई बातों के बारे में सिया को कभी कुछ नहीं बताऊंगा। ’

 उसके बाद मैंने शल्य जी से कहा ‘ ठीक है, शल्य जी। अब मैं कॉल कट करता हूं। ’ »

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, अभी तुमने मुझे जो कुछ भी बताया है, क्या वो एकदम सच है ? ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ हां, सिया दीदी। मैंने आपको एक-एक बात सच-सच बताई है, आप चाहें तो शल्य जी से कॉल करके पूंछ सकती हैं। ”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ इसका मतलब ये है कि शल्य को इस बारे में सबकुछ पता था, और उसने मुझे इसलिए कुछ भी नहीं बताया, क्योंकि तुमने उसे ऐसा करने से रोक दिया था। और शिप्रा के बारे में भी तुम्हें मालूम था कि वो अपनी याददाश्त जाने का नाटक कर रही है। ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ हां, सिया दीदी। मुझे तो शल्य जी‌ ने बहुत पहले ही बता दिया था कि शिप्रा अपनी याददाश्त जाने का नाटक कर रही है, लेकिन सांत्वना को शिप्रा के बारे में कुछ भी पता नहीं था। ”

 

 उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, अगर तुमने मुझे सबकुछ सही बताया है, तो मैं अभी शल्य को कॉल करके पूंछ लेती हूं। ”

 तभी सिया शल्य को काॅल करके सम्पर्क द्वारा कही सारी बातों की सच्चाई के बारे में पूछती है।

 उसके बाद सिया सम्पर्क से कहती है -“ सम्पर्क, मैंने शल्य से तुम्हारी एक-एक बात के बारे में पूछा है, उसके बाद शल्य ने मुझसे कहा कि अभी तक तुमने जो कुछ भी बताया है वो एकदम सच है। ”

 तभी सिया सम्पर्क से पूछती है -“ मैं शल्य की इस समय की लोकेशन के बारे में कुछ नहीं पूंछ पाई हूं, वैसे शल्य इस समय कहां पर हैं ? ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, जब से मैंने शल्य जी को सांत्वना के बारे में सबकुछ बताया है, उस समय से शल्य जी इसी शहर के एक होटल में रुके हुए हैं। ”

 

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ सम्पर्क जी, मेरे एक्सीडेंट के कुछ दिनों पहले से आप सांत्वना की बातों की बजह से परेशान थे, तो क्या इसलिए आप मुझसे सही से बात नहीं कर रहे थे ? ”

 उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ हां शिप्रा, तुम बिल्कुल ठीक समझीं। शिप्रा तुम भी मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत ही ग़लत किया है। ”

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ कोई बात नहीं सम्पर्क जी, आपने मेरे साथ जानबूझकर थोड़े ही कुछ किया था, बल्कि ये सब करना आपकी मजबूरी थी, बताइए कि उसके बाद क्या हुआ।”

 उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, तो सुनो- « उसके बाद सांत्वना मुझसे अलग होने के लिए मान गई, और फिर मैंने उसकी दोनों शर्तों के लिए हां कर दी। फिर जैसा मैंने सोचा था वैसा ही चलने लगा। सांत्वना भी सिया दीदी के खिलाफ उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को डिलीट करने के लिए मान गई, अब केवल सांत्वना से शादी करना बाकी था, उसके बाद तुम अचानक ही इस घर में वापस आ गईं, जिसके बारे में मैंने सोचा तक नहीं था, और मेरी सांत्वना से शादी होनी रुक गई, उसके बाद सांत्वना मुझे नाराज़ होकर यहां से चली गई।

 फिर एक दिन सांत्वना ने काॅल करके मुझे मिलने के लिए बुलाया, तभी मैंने उसे ऊपर वाले कमरे में आने को कह दिया। जब मैं सांत्वना से मिलने पहुंचा, तो उसने मुझसे गुस्सा होकर के कहा कि ‘ इतना बड़ा एक्सीडेंट होने के बाद भी शिप्रा बच कैसे गई, और उसने तुमसे मेरी शादी होने से एक बार फिर रोक दी, इस बार तुम शिप्रा को मेरे सामने ही मारोगे, उसके बाद ही मैं तुमसे शादी करुंगी, और मैं तभी सिया के खिलाफ वे दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग अपने पास से डिलीट करुंगी। ’

 उसके बाद मैंने सांत्वना से कहा ‘ अगले तीन महीनों तक शिप्रा की याददाश्त वापस नहीं आयेगी, इसलिए अभी हमें उससे कोई खतरा नहीं है, उसके बाद मैं शिप्रा को तुम्हारे सामने ही मारुंगा। केवल शिप्रा की याददाश्त वापस आने तक तुम रुक जाओ, इतना तो तुम मेरे लिए कर ही सकती हो। ’

ये बोलकर मैंने सांत्वना को बहुत समझाया, उसके बाद मेरी बात मान कर सांत्वना ने मुझसे कहा ‘ ठीक है, लेकिन शिप्रा की याददाश्त वापस आने के बाद तुम उसे मेरे सामने ही मारोगे, और तुम शिप्रा के बारे में मुझे हर बात बताओगे। ’

 ये बोलकर वो वहां से चली गई। 

 तभी मैं तुम्हें सांत्वना से बचाने के बारे में सोचने लगा, लेकिन मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। फिर एक दिन सांत्वना ने मुझे कुछ दिनों के लिए अपने आफिस में जल्दी आने के लिए कहा, ताकि वो मेरे आफिस में मुझसे मिलने के लिए, बेफिक्र होकर आ सके। उसके बाद मैंने सिया दीदी को कुछ दिनों के लिए आफिस में जल्दी जाने के लिए कहा, उसके अगले दिन सिया दीदी ने मुझे जबरदस्ती करके खुद को अपने आफिस में साथ ले जाने के लिए मना लिया, उसके बाद मेरे दिमाग में एक विचार आया, तभी मैंने सांत्वना का सच सबके सामने लाने का प्लान बनाया। मेरे प्लान के कारण ही, सिया दीदी सांत्वना के खिलाफ ये वीडियो रिकॉर्डिंग कर पाईं। »

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ ये वीडियो रिकॉर्डिंग तो मैं अपने मोबाइल में रिकार्ड करके लाई हूं, फिर इसमें तुम्हारा प्लान कैसे हो सकता है ? ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी,आपकी ये बात तो सही है कि बिना आपकी मदद के मैं सांत्वना के खिलाफ ये वीडियो रिकॉर्डिंग कभी नहीं ला सकता था, और आपने अनजाने में ही मेरी बहुत मदद की है।

 अब मैं आपको अपने प्लान के बारे में बताता हूं -« पिछले कुछ दिनों से आप और शिप्रा कुछ ज्यादा ही करीब रह रहे थे, इसलिए मैं ये जान चुका था कि आप शिप्रा के कहने पर ही मेरे साथ मेरे आफिस में आ रही हैं, और मैं ये भी समझ गया था कि आप मेरे आफिस में ऐसे ही नहीं आ रही हैं, बल्कि मेरे खिलाफ जरुर वीडियो रिकॉर्डिंग करने के लिए आ रही हैं। आपके मेरे आफिस में आने के बाद, आपके पीछे मैं जानबूझकर सांत्वना से मिलने एक सुनसान घर में पहुंच गया क्योंकि मुझे पता था कि आप और शिप्रा मिलकर, किसी ना किसी तरह मुझ तक पहुंच ही जाओगे। उस सुनसान घर में मैंने आपको झांकने के लिए पहले से ही एक सुराख बनाकर रखा हुआ था, और फिर आपने वहां पहुंचकर अपने मोबाइल में सांत्वना के खिलाफ वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली। »

 तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, अगर आप सांत्वना के खिलाफ वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं करतीं, तो मेरा प्लान फैल हो जाता, और फिर मैं कभी भी शिप्रा को सांत्वना से बचा नहीं सकता था। 

 इसलिए सिया दीदी, आपने अनजाने में ही सही मेरी बहुत मदद की है। ”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ कोई बात नहीं सम्पर्क, मैं शिप्रा के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं, लेकिन सम्पर्क तुम्हें मेरी खातिर सांत्वना की हर बात नहीं माननी थी। ”

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ सिया दीदी, मैं आपको फिर से खोना नहीं चाहता हूं, इसलिए मुझे ये सब मजबूरी में करना पड़ा। ”

 तभी सिया सम्पर्क से पूछती है -“ सम्पर्क एक बात मुझे समझ में नहीं आई कि तुम भी तो सांत्वना के खिलाफ वीडियो रिकॉर्डिंग या वायस रिकॉर्डिंग कर सकते थे, तो अभी तक तुमने ऐसा क्यों नहीं किया ? “

Chapter 16:- परिवार की ताकत के द्वारा सांत्वना के घिनौने इरादों को हराना 

 उसके बाद सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। मैं इस बारे में भी आपको बताता हूं, दरअसल सिया दीदी, सांत्वना हर समय अपने पास एक डिटेक्टर डिवाइस रखती है, जिसके कारण उसके सामने अगर कोई व्यक्ति उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग या वायस रिकॉर्डिंग करें, तो उसके पास एक नोटिफिकेशन पहुंच जाता है, जिसकी बजह से मैं सांत्वना की चाहकर भी कोई रिकार्डिंग नहीं कर सकता था। अगर मैं ऐसा करता, तो सांत्वना को मुझ पर शक हो जाता। ”

 तभी सिया सम्पर्क से कहती है -“ वो तो ठीक है, सम्पर्क। लेकिन तुमने शिप्रा के साथ बहुत ही ग़लत किया है। ”

 उसके बाद तुरंत ही शिप्रा सिया से बोलती है -“ सिया दीदी, सम्पर्क जी ने बिल्कुल सही किया है, आज से पहले मैं सम्पर्क जी से बहुत नफ़रत करती थी, और उनसे बदला लेना चाहती थी, लेकिन सम्पर्क जी की पूरी बात सुनने के बाद,‌‌‌‌‌ मैंने तो उन्हें माफ़ भी कर दिया है। सिया दीदी, मैं भी सम्पर्क जी की तरह, आपके साथ अपनी बजह से कुछ भी ग़लत होते हुए नहीं देख सकती हूं। इसलिए उस समय सम्पर्क जी ने जो भी किया, वो बिल्कुल सही किया, और मैं सांत्वना से आपके खिलाफ वे दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग लेकर ही रहूंगी। ”

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ सम्पर्क जी, क्या आप सांत्वना से उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग को ला सकते हैं। ”

उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ हां शिप्रा, मेरे पास एक प्लान है, उस प्लान को कामयाब करने के लिए, मुझे आप दोनों लोगों की मदद की जरूरत पड़ेगी, उसके बाद सांत्वना को अपने पास से सिया दीदी के खिलाफ उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिग को डिलीट करना ही पड़ेगा, और फिर तुम्हें भी उससे कोई खतरा नहीं रहेगा। ”

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ ठीक है, आप हमें अपना प्लान बताइए।”

 उसके बाद सम्पर्क सिया और शिप्रा को अपने प्लान के बारे में समझाता है।

 उसके बाद सम्पर्क कहता है -“ बस जैसा मैंने सोचा है वैसा ही हो जाए, उसके बाद हमें सांत्वना से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। ”

 तभी सम्पर्क के कहने पर, सिया सांत्वना को काॅल करके, वहां पर आने के लिए कह देती है।

 उसके बाद सम्पर्क शल्य को कॉल करके कहता है -“ हैलो शल्य जी, मैंने सिया दीदी को सांत्वना के बारे में सबकुछ सच बता दिया है। और मैंने सिया दीदी को सांत्वना के पास, उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में भी सबकुछ बता दिया है। और मैंने सिया दीदी से कहकर सांत्वना को काॅल करवाके यहां पर बुलवा लिया है। ”

 तभी फोन के दूसरी ओर से शल्य सम्पर्क से कहता है -“ सम्पर्क ,जब सिया ने मुझे काॅल करी थी, तभी मैं समझ गया था कि तुमने सिया को सांत्वना के बारे में सबकुछ बता दिया है।

 लेकिन सम्पर्क , अगर सांत्वना को ये पता चलेगा कि तुमने सिया को उसके बारे में और उन दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में सबकुछ बता दिया है, तो उसके बाद सांत्वना हम सब के साथ पता नहीं क्या करेगी। ”

 उसके बाद सम्पर्क फोन पर शल्य से कहता है -“ आप चिंता मत कीजिए, अब सांत्वना हमारे साथ कुछ भी ग़लत नहीं कर पाएगी। ”

 तभी फोन के दूसरी ओर से शल्य सम्पर्क से कहता है -“ लेकिन क्यों सम्पर्क ? ”

 उसके बाद सम्पर्क फोन पर शल्य से कहता है -“ क्योंकि शल्य जी मेरे पास एक ऐसा प्लान है, जिसके कामयाब होने के बाद सांत्वना हमारे साथ कुछ भी ग़लत नहीं कर पाएगी। ”

 तभी सम्पर्क शल्य को फोन पर ही अपने प्लान के बारे में समझा देता है।

 उसके बाद सम्पर्क फोन पर शल्य से कहता है -“ इस प्लान को कामयाब करने के लिए मुझे आपकी मदद की भी जरूरत पड़ेगी, इसलिए आप आधे घंटे में मेरे घर पर पहुंच जाइए। ”

 तभी फोन के दूसरी ओर से शल्य सम्पर्क से कहता है -“ ठीक है, सम्पर्क। ”

 उसके बाद सम्पर्क शल्य की कॉल को काट देता है।

 थोड़ी देर के बाद, उस घर में सांत्वना आ जाती है।

 उसके बाद सांत्वना सिया से कहती है -“ सिया दीदी, आपने अचानक ही मुझे यहां पर आने के लिए कहा, आपको मुझसे कोई काम था क्या ? ”

 तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, अब तुम्हें मेरे सामने नाटक करने की कोई भी जरूरत नहीं है। ”

 उसके बाद सांत्वना सिया से कहती है -“ सिया दीदी, ये आप क्या कह रही हैं।‌‌ ”

 तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, सम्पर्क ने मुझे तुम्हारे और उसके बीच में हुई सारी बातों के बारे में बता दिया है, और अब तो मैं ये भी जान चुकी हूं कि तुम्हारे पास मेरे खिलाफ दो वीडियो रिकॉर्डिंग हैं, जिसके द्वारा तुम मुझे सजा दिलवाना चाहती हो। 

 सांत्वना मैंने सोचा नहीं था कि तुम कभी ऐसा कुछ भी करोगी, इसलिए मैंने भी तुम्हारे लिए एक वीडियो रिकॉर्डिंग बनाई है, जिसे मैं तुम्हें दिखाना चाहती हूं। ”

तभी शल्य वहां पर आ जाता है।

 उसके बाद सिया सांत्वना को अपने मोबाइल में रिकार्ड की हुई वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाती है।

 उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखने के बाद, सांत्वना पसीने-पसीने हो जाती है।

 तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, अब तुम ये नहीं कहना कि ये वीडियो रिकॉर्डिंग असली नहीं है, क्योंकि ये वीडियो रिकॉर्डिंग मैंने खुद अपने मोबाइल में रिकार्ड की है। ”

 उसके बाद सांत्वना सिया से कहती है -“ सिया दीदी, भले ही ये वीडियो रिकॉर्डिंग एकदम असली हो, लेकिन इस वीडियो रिकॉर्डिंग में सम्पर्क भी है। और मैं जानती हूं कि आप सम्पर्क से बहुत प्यार करती हैं, इसलिए अगर आपने इस वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए मुझे सजा दिलवाने की कोशिश की, तो फिर सम्पर्क भी नहीं बच पाएगा। ”

 तभी सम्पर्क सांत्वना से कहता है -“ सांत्वना, पहली बात तो ये है कि मुझे सजा होने से कोई भी डर नहीं लगता है, लेकिन मुझे इस बात की खुशी रहेगी कि तुम भी बच नहीं पाओगी। और दूसरी बात ये है कि अगर तुम अपनी दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग मुझे सज़ा दिलवाने के लिए पुलिस को दे दोगी, तो मैं सरकारी गवाह बन जाऊंगा, उसके बाद मैं तुम्हारे खिलाफ ही गवाही दूंगा, उसके बाद मुझे तुमसे कम सजा होगी। ”

 तभी सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, मेरे बारे में तुम बस ये जानती हो कि मैं सम्पर्क से बहुत प्यार करती हूं, लेकिन तुम ये नहीं जानती हो कि मैं सम्पर्क से भी ज्यादा शिप्रा से प्यार करती हूं। और तुम्हारी बजह से शिप्रा को बहुत तकलीफ़ हुई है, इसलिए सम्पर्क की तरह मैं भी तुम्हारे खिलाफ गवाही दूंगी। ”

 उसके बाद सांत्वना सिया से कहती है -“ लेकिन सिया दीदी, मेरे पास आपके खिलाफ जो वीडियो रिकॉर्डिंग हैं, उनके द्वारा आपको सजा तो होकर ही रहेगी। ”

 तभी शल्य सांत्वना से कहता है -“ सांत्वना, माना कि तुम्हारे पास सिया के खिलाफ दो वीडियो रिकॉर्डिंग हैं। अगर तुमने उन वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सिया को सज़ा दिलवाने की कोशिश की, तो मैं सम्पर्क के साथ एक्सीडेंट करवाने का पूरा इल्जाम अपने सर पर ले लूंगा, लेकिन मैं सिया को कुछ भी नहीं होने दूंगा। ”

 उसके बाद शिप्रा सांत्वना से बोलती है -“ सांत्वना, अगर तुम्हारी बजह से शल्य जी को सज़ा हुई, तो मैं तुम्हें भी सजा दिलवाकर ही रहूंगी। ”

 उसके बाद सांत्वना एकदम से घबरा जाती है, 

 तभी वो घबराकर सिया से कहती है -“ सिया दीदी, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई, हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिए। अब आप जो भी कहेंगी, मैं बिल्कुल वैसा ही करुंगी। बस आप अपने वीडियो रिकॉर्डिंग के द्वारा मुझे सजा मत दिलवाएगा। ”

 उसके बाद सिया सांत्वना से कहती है -“ ठीक है, तो तुम्हें मेरी एक बात माननी होंगी, उसके बाद मैं अपने पास से ये वीडियो रिकॉर्डिंग किसी को भी नहीं दूंगी। ”

 तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है सिया दीदी, बताइए कि मुझे क्या करना होगा। ”

 

 उसके बाद सिया सांत्वना से कहती है -“ सांत्वना, तुम्हें अपने पास से मेरे खिलाफ दोनों वीडियो रिकॉर्डिंग डिलीट करनी होगी, उसके बाद तुम्हें हम लोगों की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जाना होगा, फिर मैं ये वीडियो रिकॉर्डिंग किसी को भी नहीं दूंगी।

 अगर तुमने चालाकी दिखाकर फिर से हममें से किसी को भी ब्लैकमेल करने की कोशिश की, तो इसके लिए मैं अपने मोबाइल में ये वीडियो रिकॉर्डिंग हमेशा ही रखूंगी। ”

 तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है सिया दीदी, मैं आपकी ये बात मानने के लिए तैयार हूं, लेकिन अगर मैंने अपने पास से आपके खिलाफ सभी वीडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दीं, तो कहीं आप मुझे अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सजा तो नहीं दिलवाओगी। ”

 उसके बाद सिया सांत्वना से कहती है -“ नहीं सांत्वना, अगर तुम मेरे साथ कोई भी चालाकी नहीं दिखाओगी, तो मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं अपने पास से वो वीडियो रिकॉर्डिंग किसी को भी नहीं दूंगी। और अभी तुम्हारे पास मुझ पर भरोसा करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। ”

 तभी सांत्वना सिया से कहती है -“ ठीक है सिया दीदी, लेकिन आप अपने वादे को याद रखियेगा। ”

 उसके बाद सिया सांत्वना से कहती है -“ ठीक है, सांत्वना। ”

 उसके बाद सांत्वना उस घर से हमेशा के लिए दूर चली जाती है। उसके अगले दिन, सिया सम्पर्क और शिप्रा के पास आती है। 

  

 तभी सिया कहती है-“ सम्पर्क, अब सांत्वना नाम का खतरा भी हमारी जिंदगी से हमेशा के लिए जा चुका है, और अगर फिर उसने इस तरह की कोई भी हरक़त करने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ मेरे पास वीडियो रिकॉर्डिंग जैसा सबूत है ही, अब मुझे और शल्य को इस शहर में रहते हुए भी बहुत दिन हो गए हैं, इसलिए अब हमें भी लंदन वापस जाने के लिए निकलना चाहिए। ”

 तभी सम्पर्क सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। आप आज रात को इस घर में रुक जाइए, और कल सुबह होते ही आप शल्य जी के साथ लन्दन के लिए निकल जाइएगा। ”

 तभी सिया कहती है-“ ठीक है, और सम्पर्क तुम अब शिप्रा को किसी भी बजह से दुख नहीं पहुंचाओगे, नहीं तो मैं तुम्हें उस बार माफ़ नहीं करूंगी। ”

 तभी सम्पर्क हंसकर सिया से कहता है -“ ठीक है, सिया दीदी। ”

 उसके बाद सिया वहां से चली जाती है। 

 उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ मैं तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है, लेकिन मुझे ये सब मजबूरी में आकर करना पड़ा, उसके लिए तुम मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे वादा करता हूं कि अब मैं किसी भी अपनी बजह से कभी तुम्हारी आंखों में आसूं नहीं आने दूंगा। ”

 तभी शिप्रा आंखों में आसूं भरकर सम्पर्क के गले लगकर बोलती है -“ सम्पर्क जी, मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं, इसलिए आप फिर कभी मेरे साथ ऐसा मत कीजिएगा। ”

 उसके बाद सम्पर्क शिप्रा से कहता है -“ ठीक है, शिप्रा। मैं फिर कभी ऐसा करने के बारे में सोचूंगा तक नहीं। और जब मां यहां पर वापस लौट आएं, तो तुम उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताओगी, नहीं तो वे बेकार में ही परेशान हो जाएंगी। ”

 तभी शिप्रा सम्पर्क से बोलती है -“ ठीक है, सम्पर्क जी। ”

 अगले दिन सुबह ही सिया शल्य के साथ लंदन चली जाती है। 

 सिया के जाने के थोड़ी देर बाद शिप्रा सम्पर्क के साथ सिद्धिविनायक हास्पिटल में जाकर डॉक्टर शान्तनु से सम्पर्क को मिलवाती है। उसके बाद शिप्रा डॉक्टर शान्तनु को सांत्वना के बारे में सबकुछ बता देती है, कुछ घंटे बाद शिप्रा सम्पर्क के साथ अपने घर वापस लौट आती है।

 उसी दिन शाम को शिप्रा की मां ( शान्ती जी ) भी वापस लौट आती हैं।

 उसके बाद सम्पर्क शान्ती जी से कहता है -“ सही किया मां जो आज आप वापस आ गईं, अब तो शिप्रा की पूरी याददाश्त भी वापस आ चुकी है, और आज सुबह ही सिया दीदी शल्य जी के साथ लंदन वापस लौट गई हैं। ”

 अब शिप्रा और सम्पर्क की जिंदगी में कोई भी परेशानी नहीं बची थी, इसलिए अब वे दोनों ख़ुशी-खुशी रहने लगते हैं।

          ‌‌     ‌   –समाप्त–

  

  



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Vinay Kumar