Description
Natural Disaster, and Management in the State of Uttarakhand
प्रस्तुत पुस्तक “प्राकृतिक आपदा-प्रभाव एवं प्रबंधन” विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक व परास्नातक भूगोल के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखकर राष्ट्रभाषा हिंदी के अत्यंत सरल ढंग से लिखी गई है । पुस्तक में कुल 9 अध्याय हैं, जिनमें प्राकृतिक आपदा का अर्थ, प्रकार, प्रभाव एवं आपदा प्रबंधन नीति पर्वतीय क्षेत्रों के विशेष संदर्भ में तथा आपदा ग्रस्त जनसमूह की भागीदारी व सूचना व संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है ।
प्रस्तुत पुस्तक संपूर्ण विश्व में घटित प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित जनों को समर्पित है, जिनको प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलते हुये भारी धन व जन संपत्तियों का नुकसान झेलते हुये अपने सुखमय जीवन से वंछित होना पड़ा । हम हृदय से उन सभी आपदा प्रभावित जनों के लिये कामना करते हैं कि ईश्वर उनका जीवन पुनः सुखमय व सुरक्षित बनाये तथा संपूर्ण विश्व में रहने वाले मानव समुदाय को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने हेतु प्रभावी आपदा प्रबंधन नीति तैयार करने की बौद्धिक व शारीरिक शक्ति प्रदान करें ।
लेखक के बारे में
डॉ. सुमिता पवांर वर्ष 2010 से भूगोल विषय की प्रध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. सुमिता पवांर द्वारा दिसम्बर 2008 में यू.जी.सी.नेट उत्तीर्ण किया गया तथा ”जनपद उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा प्रबन्धन का भौगोलिक अध्ययन“ विषय पर शोध कर वर्ष 2009 में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की गई । इनके द्वारा वर्तमान तक विभिन्न राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभाग कर 20 शोध पत्र प्रकाशित किये जा चुके हैं। इनके द्वरा वर्ष 2017 में “प्राकृतिक आपदा प्रभाव एवं प्रबन्धन“ शीर्षक पर एक पुस्तक का प्रकाशन भी किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा बी.एड., पी.जी.डी.सी.ए., बैचलर इन जर्नलिज्म तथा एम.ए. समाजशास्त्र की उपाधि भी प्राप्त की गई है।
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Jeet Panwar –
Waawo… proud of you 👏