Description
‘‘जीवन से जुडे अनुभवों से उत्पन्न भावों से निश्चित रूप से हमारा जीवन भी प्रभावित होता है, ये अनुभव हमें सीख भी देते है और हमें परिपक्व भी बनातें है। जीवन के छोटे-ंबडें सुखद अनुभव हमारे जीवन में जहॉ खुशी का संचार करते है, वही हमें दूसरो को सुखी रखने की प्रेरणा भी देते है।
शालिनी पारस द्ध।रा लिखी लघु कहानियॉ जो हमारे मानस पटल पर निश्चित रूप से अपनी छाप छोडने में कामयाब होती है, वही उन्हें पाकर ऐसा लगता है जैसे वे अपने जीवन में ही घटित हुई हो जैसे ‘हो गयी प्रेम की तपस्या’ ‘प्रयाग कहॉ हो तुम?” “मुझे भी रहना है केवल तुम्हारे पास” ‘‘वह पहली बारिश” आदि कहानियॉ हमारे अंदर रूमानी अहसास भरती है, वहीं ‘‘सौदा” ‘‘सरप्राइज” ‘‘पगडी” ‘‘अपनत्व” ‘‘बडे आदमी” ‘‘सम्मान” आदि रचनाए हमे सामाजिक जीवन से जुडी सीख दे जाती है। ‘‘संतुष्टि” ‘‘गलतफहमी” ‘‘पानी लेने मत जाना पापा” ‘‘अनजान रिश्ता” आदि रचनाएॅ हमारे संबंधों का जीवन में महत्व है।
लेखक – एक परिचय
शालिनी पारस का जन्म 12 दिसम्बर, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिलें मे हुआ था। पिताजी डाकविभाग मे कार्यरत रहे है और माताजी बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश में प्रधान शिक्षक के पद पर कार्यरत है। चार भाई बहनों मे सबसे बडी शालिनी की शिक्षा उन्नाव जिलें में हुई। हाई-स्कूल एवं इण्टरमीडिएट साइंन्स से करने के बाद, बायोलॉजी ग्रुप,से बी0एस0सी की पढाई डी0एस0एन0 कालेज, उन्नाव से पूरी की, तथा बाद में समाजशास्त्र विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन ‘‘कानपुर युनिवर्सिटी से पूर्ण किया। बेसिक टीचर टेंनिंग करने के पश्चात वर्तमान में ‘‘बेसिक शिक्षा परिषद”, उत्तर प्रदेश विभाग में उच्च प्राथमिक विद्यालय, विकास क्षेत्र- हसनगंज, जिलाः उन्नाव में विज्ञान शिक्षक के पद पर कार्य करतें हुए, देश के भविष्य को शिक्षित करने का पुनीत कार्य कर रही है।”
Pratyush Mishra –
पुस्तक का शीर्षक ही कहानियों की विशेषता बतलाता है।सभी कहानियां अत्यंत रोचक हैं।