Description
यह किताब निशा के जीवन के संघर्ष की कहानी है, जो समाज की रूढ़िवादिता का विरोध करते हुए सफलता हासिल करती है | वह बेटे की तरह ही अपनी सभी जिम्मेदारी और कर्तव्य का पालन करती है | यह कहानी कभी ना हार मानने वाली उस लड़की की है, जो समाज की हर लड़की को अपने जीवन मे सपने पूरा करने के लिए हौंसला देती है | एक नौजवान सिपाही जो अपने देश की बॉर्डर पर सुरक्षा के लिए शहीद होकर भारतमाता की गोद मे समा जाते है, वास्तव मे वो परिवार के लोग कितने बहादुर होते है, जो शहीद हुए अपने बेटे, पति या पिता के ना होने पर भी ज़िन्दगी के दुःख भरे पलों को बड़े ही गर्व के साथ जीते है | नानाजी जो अनाथ बच्चों को गोद लेकर अच्छे से पालन- पोषण और शिक्षा देकर भविष्य मे देश के काबिल नागरिक बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है, अन्यथा सड़क पर भूख और शिक्षा के आभाव मे वही अनाथ बच्चे चोर या आतंकवादी भी बन सकते थे | पोस्टमैन जो अपने शिक्षा के संघर्ष की वजह से सबकी मदद करते है ताकि किसी को ऐसा संघर्ष ना करना पड़े | वो गांव के बच्चे यहाँ तक की बुजुर्गो को भी शिक्षा के लिए प्रेरित करते है | मेरी कहानी के ये कुछ
पात्र है, यदि ऐसे ही सकारात्मक सोच वाले लोग हमारे देश मे होंगे तो भविष्य मे हम एक आदर्श समाज का निर्माण कर सकते है |
लेखक के बारे में
मै गाँव बिरूल बाजार, जिला -बैतूल,मध्यप्रदेश का निवासी हूँ | 5 वर्ष की उम्र मे मेरी मम्मी का स्वर्गवास हो गया था | इस घटना का मानसिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा | मेरा बचपन अन्य बच्चों की तरह खेलकूद, शरारत मे नहीं बीत पाया, मुझे ज्यादातर एकांत मे रहना ही अच्छा लगता था | इस एकांत मे अक्सर अपनी सोचविचार मे ही डूबा रहता था | मै 12 वर्ष की उम्र से अपनी सोच और भावनाओं को डायरी मे लिखना प्रारम्भ किया | एक दिन की बात है, तवानगर के हॉस्टल मे,जब मै 7 वी कक्षा मे पढ़ता था तब मेरे शिक्षक भार्गव सर ने गलती से मेरी डायरी के कुछ पन्ने पढ़े, वो काफी प्रभावित हुए तब से सर मुझे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करते रहते थे | मेरे एकांत मे प्राकृतिक दृश्य और डायरी मेरे सबसे अच्छे दोस्त बन गए थे | मैंने बहुत सी रचनाएँ लिखी है, जिसमे सपने, संघर्ष, अधूरी इच्छा, जिन्दा लाश, माँ की ममता, किसान आंदोलन, भाई, अभिशापित जीवन, जिम्मेदारी, प्यार जैसी कुछ रचनाएँ है | सपने मेरी पहली कहानी प्रकाशित हो रही है, बाकि कहानियाँ भी जल्द ही प्रकाशित करने की कोशिश करुँगा |
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Rahul Patidar –
Very very nice book