Description
मेरी कविता संग्रह की एक ही वजह है-उलझन
यह उलझन जब मन के सभी दीवारों को तोड़कर कलम के रास्ते स्याही के सहारे पन्नों पर उतर जाती है तो कविता बन जाती है
इसी उलझन ने भावनाओं को जन्म दिया है
और फिर
इसी उलझन ने रचनाओं को जन्म दिया है
किसी की खोज नहीं, कुछ पा लाने की चाह नहीं, कोई हसरत नहीं कोई रास्ता या मुकाम नहीं
बस दुनिया ऐसी क्यों है, इसी की उलझन ने परेशान कर रखा है
हर मोड़ पे इंसान को रुक कर खुद को खंगालना और फिर तराशना चाहिए
शायद इसी उलझन और परेशानियों ने मेरी कविताओं को संवारा है
ज़िन्दगी के इसी उलझन से जूझते हुए मैंने कुछ रचनाओं
को जन्म दिया है
कोई बड़ा फलसफा नहीं
कुछ हलकी फुलकी सी दिल की बातें
कोई बड़ा सिद्धांत नहीं
बस मन भारी हो जाने पे
कलम से बह जाने वाली पीड़ा
पाठकों से बस एक ही निवेदन है
दुनिया जैसी होनी चाहिए थी वैसी तो नहीं
ऐसे माहौल में शिवेंद्र की कविताएं ही सही
तुम्हे पन्नों में अपना अक्स मिले तो रो न देना
अब कहाँ मिलते हैं कविता में आईने कहीं
About the Author
Shivendra Srivastava was born in Gorakhpur and did his schooling from Varanasi, Uttar Pradesh. He graduated from the National Institute of Technology, Jamshedpur in 2009 and joined Tata Hitachi Construction Machinery Limited as Graduate Engineer Trainee in 2009. He has appeared twice for IAS Interview and is currently working as Manager in Tata Steel. He founded an NGO ‘Sankalp-A Pledge to Change’ at the age of 23. The NGO has now spread to 3 states of the country and provides free of cost tuition to more than 2200 tribal children through its 20 centres.He was awarded the ‘Vision India Foundation Award for social work’
His hobbies are Singing, Poetry Writing and Social Work. He was the President of the Student Union while in college and has deep interest in joining politics in later part of the life.
Reviews
There are no reviews yet.