Description
Poetry by Dr Dalip Sangwan
आपकी सेवा में प्रस्तुत ‘छोटी सी अरदास’ नाम का काव्य-संग्रह दिल की गहराईओं से उत्पन्न विचारों जिन्होंने शब्दों का आवरण ओढ़ लिया है, की मात्र अभिव्यक्ति ही तो है। मन गतिशील है, कभी रुकता नहीं। न जाने कैसे कैसे विचार मन की चौखट पर दस्तक देते हैं, वापिस लौट जाते हैं परंतु उनमें से कुछ विचार कभी कभी शब्दों का लिबास ओढ़ कागज़ों की दुनिया में बस जाते हैं, यहीं तो हैं कविताएं।
This book Chhoti Si Ardaaz is a collection of Hindi poems. These poems are a result of deep thoughts and feelings that arise from with in and pour out as words. Mind is always churning with thoughts and feelings. Some of these thoughts come and go but others stay on and pour out as words. Few lines:
सीमित सांसो का जीवन,
दुख सुख का पिटारा,
समझ लो इसे थोड़ा सा,
गर समझ ना सको सारा|
आदमी हो
आदमी के लिये कुछ तो कर जाओ,
पौंछ दो आँसू किसी के,
होंठो पर हँसी तो लाओ|
About the Author
काव्य पुस्तक ‘छोटी सी अरदास’ के लेखक डॉ दलीप सिंह सांगवान का जन्म 13 अप्रैल, 1956 को जिला चरखी दादरी में हुआ। पशु चिकित्सा के क्षेत्र में 32 वर्षों की राजकीय सेवा करते हुए कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे तथा उपनिदेशक के पद से वर्ष 2014 में सेवानिवृत हुए।डॉ दलीप सांगवान ने जिस दिन बतौर चिकित्सक पद ग्रहण किया उसी दिन मन में ठान ली थी कि पशुओं के ईलाज हेतु एक भी पैसा नहीं लेंगे। उन्होंने इस प्रण को निभाया तथा आज भी गरीब पशुपालकों के हित में कार्य कर रहे हैं। उन्हें क्षेत्र की सैकड़ों पंचायतों, बैंकों, विभिन्न संस्थाओं एवं सरकारी प्रशासन ने समान्नित किया।
डॉ सांगवान का ह्रदय आरंभ से ही संवेदनशील रहा है तथा अध्यात्म के प्रति झुकाव रहा है। उनका मानना है कि विचार ही विश्व का आधार है। मन की भावनाएं जब शब्दों पर सवार हो कागज पर अंकित हो जाती हैं तो वे कविताओं का रूप ले लेती हैं। पाठक के ह्रदय तक यदि कविता में छिपी संवेदनशीलता पहुंच उसमें स्मपंदन पैदा करदे तो ही कविता की जीवंतता सिद्ध होती है अन्यथा यह केवल कुछ शब्दों का मात्र समूह बन कर रह जाती है।
Poet Dr Dilip Sangwan was born on 13th April 1956. He specialized in Vetinary Sciences and went on to work for the Government in varying senior positions till his retirement in 2014. Since then he has decided to contribute to society by devoting his energies to helping treat animals free of cost. He has always been an emotional person and this emotional nature led him to social work and out puring of his feelings in words encapsulated now in this book Chhoti si Ardaaz.
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