Description
Zindagi Jeene Ki Raah
जिन्दगी जीने की राह
पुस्तकें पढ़ने और उनसे ज्ञानवर्धक विचारों को जानने में मेरी विशेष रूचि थी, अतः मैंने पुस्तकें, पढ़ते-पढ़ते श्रेष्ठ विचारों को संकलित करना शुरू किया और धीरे-धीरे स्वयं में यह हस्तलिखित पुस्तक बन गई और इसी दौरान श्री राजमोहन जी ने इसे पढ़ा और उन्होंने मुझे प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्य में श्री रतन सिंह जी ने मेरे ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के लिए विशेष मार्ग-दर्शन किया। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि हमेशा ही मेरे जीवन साथी श्री एम.एस., हैब्बार जी हर कार्य में मेरे सहयोगी व प्रेरणा स्त्रोत रहें, और इसे प्रकाशित करiने में विशेष रूचि दिखाई।
आशा है पाठकगण इस ज्ञानवर्धक जीवनपयोगी संकलन से लाभान्वित होंगें।
About the Author
मेरा जन्म ( रेखा हेब्बार, Rekha Hebbar) उत्तरप्रदेश के शहर मथुरा में हुआ, यही पर मेरी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। इस समय मेरे पिताजी राजकीय सेवा में कार्यरत थे। कु छ दिनो के बाद मेरी माँ ने राजस्थान में अध्यापिका की नौकरी शुरू कर दी थी, इसलिऐ मैंन राजस्थान में ही दसवी की परीक्षा पास की। पढ़ाई के दौरान वाद-विवाद प्रतियोगिताओ में भी हिस्सा लिया और अपने स्कू ल के लिए शील्ड जीती जो लगातार तीन बार जीतने पर ही मिलती है।
इस स्थान पर उच्च शिक्षा के अभाव में मुझे लखनऊ और हैदराबाद जाना पड़ा। लखनऊ से बारहवी की कक्षा पास करने के बाद विश्वविद्यालय से बी.ए. पास किया। बी.ए. पास करने के दौरान मुझे छात्रवृत्ति भी मिली, और उत्तीर्ण होने पर स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। 17 साल की उम्र में बी.ए. करने के बाद दयाल बाग कालेज आगरा में बी.टी. (आज का बी.एड.) की। 19 साल की उम्र मे दिल्ली में राष्ट्रीयकृ त बैकं में नौकरी मिली, जहाँ मैंन 35 साल उपरान्त वरिष्ट प्रबन्धक की हैसियत से कार्य करते हुए त्यागपत्र दे दिया। इस दौरान मुझे देश-विदेश भ्रमण करने का अवसर प्राप्त हुआ।
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