Description
यह किताब, खयालों और जज़्बातों की नदी का वो सफ़र है, जो ज़िंदगी के अनुभवों से होता हुआ यादों के समन्दर में ख़त्म होता है । यह नदी, काव्य य शायरी के रूप में सामने आती है, और सभी को अपने बहाव का एहसास दिलाती है। इस किताब में मेरी ज़िन्दगी के खट्टे मीठे एहसास और ख़्यालों की असीमित दौड़ दर्ज है। अलग अलग जज़्बात, जो उम्र के कई पायदानों से होते हुए आप तक इस किताब के द्वारा पहुँच रहे हैं।
लेखक के बारे में
सुधाँशु चतुर्वेदी का जन्म ३ जुलाई १९८० में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ था। वो ४ बहन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके पिताजी केंद्रीय सरकार के अधीन स्कूल में अंग्रेज़ी के शिक्षक थे सुधाँशु ने अपनी ज़िंदगी की पहले ११ वर्ष Dalhousie में ही बिताए। उन्होंने अपने आरम्भिक शिक्षा DPS Dalhousie में प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई जिवाजी विश्वविद्यालय से गणित और कम्प्यूटर साइयन्स में पूरी की और तत्पश्चात् MBA बेंगलुरु से सम्पूर्ण किया। उन्होंने IIM अहमदाबाद से strategic analytics में इग्ज़ेक्युटिव कोर्स भी किया।
अंग्रेज़ी शिक्षक के परिवार में होने के कारण सुधाँशु हमेशा से साहित्य में रुचि रखते थे, अंग्रेज़ी और हिंदी साहित्य में। कॉलेज के दौरान उन्होंने अपनी पहली कोशिश की कुछ शेर और ग़ज़ल के रूप में जिसकी उनके परिवार और दोस्तों ने काफ़ी सराहना की। शायरी ने उनका पीछा कभी नहीं छोड़ा। प्राइवट सेक्टर में १२-१३ साल बिताने के बाद अपने परिवार के प्रोत्साहन के बाद उन्होंने फिर से लिखना शुरू किया। कुछ समय के बाद उन्होंने अपना एक ब्लॉग शुरू किया जिसमें अपने शेर, ग़ज़ल, त्रिवेणी, कविता, इत्यादि पब्लिश किए और बहुत ही ज़्यादा प्रशंसा प्राप्त की अपने पढ़ने वालों से। इस बात ने उनको प्रेरणा दी अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित के लिए।
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