Description
गं गणपतये नमः,गौ गौर्ये नमः,गुं गुरवे नमः,ऐं सरस्वत्यै नमः-
।।श्री सत् शक्ति सुहावनी जयते।।
– शक्ति चरित ग्रन्थ परिचय –
शक्ति चरित ग्रन्थ (Shakti-Charit )की रचना जो कि रामायण की भाषा शैली में है दिनांक 28 मार्च सन् 1974 गुरूवार से प्रारम्भ होकर 3 वर्ष 2 माह 13 दिन में पूर्ण हुई इसकी प्रेरणा सद्गुरू भगवान सिद्ध की कृपा से जव में 17 वर्ष की उम्र का था तव प्राप्त हुई।ग्रन्थ 6 खन्डो में है।और 550 पृष्ठों का है।
उक्त ग्रन्थ मे आद्या शक्ति परमेष्वरी के विभिन्न रूपों की लीला चरित्र है जो कि शप्तसती ग्रन्थ को मूल आधार मानकर देवी भागवत सहित अन्य पौराणिक माता जगदम्वा से सम्वन्धित कथाओं का समावेश किया गया है।जो साधारण जन संस्कृत भाषा का ज्ञान नही रखते हैं इस कारण से वे सप्तशती ग्रन्थ का सीधे लाभ उठाने में असमर्थ रहते हैं।एैसे उन सर्व साधारण के लिये यह शक्ति चरित रामायण की भाषा शैली में अभूत पूर्व पुण्यलाभ अर्जित करने के लिये एवं अपना एवं अपने परिवार सहित सम्पूर्ण जगत को कल्याण मय सुखदाई जीवन जीने के लिये अति उत्तम साधन है। ग्रन्थ (Shakti-Charit) का मूल उद्येष्य इस विकारी संसार में चित्त में रमेहुये विकारांे को विकार रहित वनाकर मन को स्थूल जगत से आध्यात्मिक जगत में प्रवेश पाकर सूक्ष्म जगत के स्थाई रूप से वास्तविक सुख के स्वरूप को प्राप्त करना एवं लोकिक जगत का सुख प्राप्त करके परलोक के सुख को सुरक्षित रखना है।शक्ति चरित का यह आध्यात्मिक ग्रन्थ रचना समय से आजतक लगभग 43 वर्श से सद्गुरू भगवान सिद्ध की अमानत के रूप मेरे पास सुरक्षित रखा रहा।मैं अपने देव गुरू से प्रष्न नही कर सकता इसलिये इसको अभी तक जन कल्याणार्थ प्रकाश
में लाने में मैं असमर्थ रहा।इसका कारण तो वे स्वंय जानते हांेगे।अव सूक्षम जगत से सद्गुरू देवादेश हुआ है।इसलिये मैने प्रयास प्रारम्भ किया है।परिणाम क्या होगा इसे मै नही जानता।प्रयास करना मेरा काम है और मै कर रहा हँू।आगे सद्गुरू भगवान का वरद हस्त मेरे सिर पर है और माता विजयनी की कृपा मेरे साथ है। एैसा मेरा अटूट विश्वास हैं।
पं.महेश देवलिया
An interview with Pandit Mahesh Devaliya at Zorba Books office
पं. महेश कुमार देवलिया के बारे में
पं. महेश कुमार देवलिया ग्राम मगरवारा जिला झाँसी (उ.प्र.)
बचपन- अर्थाभाव में माता पिता के अत्याधिक प्यार एवं संरक्षण में ब्यतीत हुआ।
जीवन स्तर- सादा जीवन उच्च विचार के सूत्र से पूर्ण प्रभावित रहा।
साहित्य प्रेरणा श्रोत-कविवर श्री सुमित्रानन्दन पन्त जी की कवितायें।
सूक्ष्म जगत के चिन्तन की प्रेरणा- 7 वर्श की आयु में स्वमति से श्री हनुमान हरि की पूजा साधना।
साहित्य रचना प्रारम्भ- 12 वर्श की आयु से माता सरस्वती की कृपा रूप कविता लेखन एंव माता जगदम्वा की इश्ट देवी के रूप मे प्राप्ति।
संकल्प शक्ति में द्रणता- सहपाठी बन्धु एवं अपनो के द्वारा आलोचना से सहनशीलता एवं अपने इश्ट के प्रति पूर्ण समर्पण के भाव मेरे जीवन के लिये अत्यधिक द्रण एवं सार्थक सिद्ध हुये।
शक्ति चरित रचना- 17 वर्श की आयु में रामायण की भाशा षैली में 6 खन्डो में माता जी के लीला चरित्रौ का आध्यात्मिक चित्रण।
शसकीय सेवा काल- 31 अक्टूवर सन् 1981 से 30 जून 2016 तक म.प्र.में कृशि विभाग की शसकीय सेवा में रहा।
सेवा काल की आध्यात्मिक घटनायें- म.प्र. के टीकमगढ़ जिले के विकास खन्ड जतारा में कुन्ड पहाडी स्थान पर एक महान योगी जी द्वारा योग दीक्षा देकर सूक्ष्म जगत की शक्तिओं का अनुभव कराया।
सन् 2004 में ग्राम मगरवारा की पहाडी पर गुफा में स्वयंभू प्रगाट्य माता विजयनी के दर्षन हुये।जो आज विजनी दरवार के रूप में मेंरा साधना स्थल है।
शक्ति प्रतिश्ठा परिवार- यह एक एैसी संक्षिप्त साधना पघति है जिसे अपना कर किसी भी सम्प्रदाय का सज्जन अपने इश्ट की शक्ति को अपनी भाषI में अपने परिवार में प्रतिश्ठित करके अपनी मनोकामना पूर्ण करने में समर्थ हो जाता है।
साहित्यक रचनायें- (1) शक्ति चरित (2) ज्ञान सूत्र दोहा शतक (3) शक्ति प्रतिश्ठा परिवार (4) शक्ति यन्त्र दरवार पूजा (5) शक्ति कीर्तन (6) भजन भाव पद (7) चेतावनी ज्ञान पद (8) वन्दना कविता संग्रह (9) अन्य अनेको मन की भाव पूर्ण कवितायें।
वर्तमान में ग्रहस्थ होते हुये भी सन्यासी जैसे जीवन का आनन्द ले रहा हूँ यह मेरे सद्गुरू की दया एंव माँ की कृपा है।मेरा जीवन परिचय विस्तार से शक्ति चरित्र के प्रारम्भ में वर्णित है।मेरे वारे में बही से ज्यादा जाना जा सकता है।
दिनाँक 4 अप्रेल सन् 2018 बुधवार पं.महेश देवलिया
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