Description
कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है। कुम्भ का अर्थ होता है ‘घड़ा’। हिन्दू पौराणिक धर्म कथाओं में कहा गया है कि समुद्र मन्थन के दौरान अमृत से भरे कलश में से अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन की पावन भूमि पर गिरी थी और तब से ही इस कुम्भ मेले का आयोजन इन चारों स्थानों पर होता है। ऐसा विश्वास है कि कुम्भ मेले के दौरान जो व्यक्ति पवित्र स्नान करता है वो सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। इस पवित्र पर्व के दौरान संगम में स्नान करने के लिए पूरे भारतवर्ष से साधु-संत, तपस्वी, तीर्थ यात्रियों सहित लाखों लोगों की संख्या में आम नागरिक भी भाग लेते हैं। विदेशी श्रद्धालु भी अपार श्रद्धा के साथ इस महाकुम्भ में भाग लेते हैं।
About the Author
गोविन्द कुमार सक्सेना Govind Saxena विगत कई वर्षों से उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं। सेवा के अपने महत्वपूर्ण कार्यकाल की अवधि में इन्होंने ‘राज्य विधि अधिकारी’, ‘स्थायी अधिवक्ता’, ‘अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता’, ‘अपर शासकीय अधिवक्ता-प्रथम’ के पदों पर रहते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते रहे हैं।
‘प्रयाग गौरव सम्मान-2010’ से सम्मानित तथा गंगा नदी को स्वच्छ, निर्मल, अविरल बनाने हेतु किये जाने वाले जन-जागरण अभियान में सक्रिय भागीदारी के साथ ही इसके संचालन के महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करने हेतु ‘गंगा दूत सम्मान-2011’ से सम्मानित किये गए है ।
एक लेखक के रूप में गोविन्द कुमार सक्सेना Govind Saxena, की उपलब्धियाँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। इनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘प्रयाग महाकुम्भ-आस्था का उत्सव-2002’, ‘हस्ताक्षरों का राज’, ‘प्रयाग अर्धकुम्भ-2019’, ‘कुम्भ विज़न-2025’ ‘भारत में कोरोना वायरस महामारी’ सहित, अंगे्रजी भाषा में लिखी गयी Corona virus Pandemic in India, Implications of Judicial Activism on Indian Judiciary an Analysis , ‘Sexual Harassment of Women at Workplace, An overview’
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